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Last Updated : सोमवार, 11 जनवरी 2021 (08:00 IST)

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, संगठन बोले- सरकार बना रही है राजनीतिक ढाल

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, संगठन बोले- सरकार बना रही है राजनीतिक ढाल - Supreme Court to hear pleas on farm laws, ongoing farmers protest
नई दिल्ली। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा।
 
केंद्र और किसान संगठनों के बीच 7 जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इंकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी 'घर वापसी' सिर्फ 'कानून वापसी' के बाद होगी।
 
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा की वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है।

शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर 'स्वस्थ चर्चा' जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं। 
 
अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिये समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी। अदालत ने कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं। हम 11 जनवरी को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो। 
 
आठवें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया। 
 
किसानों की एक संस्था ‘कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन’ (सीआईएफए) ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया।

उसने कहा कि कानून किसानों के लिये 'फायदेमंद' हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था।
बना रही है राजनीतिक ढाल : ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) ने कहा कि सरकार को नए कृषि कानूनों पर बने ‘राजनीतिक गतिरोध’ का समाधान उच्चतम न्यायालय के दखल के बगैर निकालना चाहिए। उसने चेतावनी दी कि प्रदर्शनकारी किसानों की कानूनों को रद्द करने की मांग नहीं मानी जाएगी तो वे ‘दिल्ली की सभी सीमाओं को जल्द ही बंद कर देंगे'। संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ‘कॉरपोरेट घरानों के दबाव’ में लागू किए गए कानूनों को लेकर बने ‘राजनीतिक गतिरोध को सुलझाने में’ सुप्रीम कोर्ट की ‘‘भूमिका नहीं है और नहीं होनी चाहिए’’।
 
 संगठन ने कहा कि इसमें ‘उच्चतम न्यायालय की कोई भूमिका नहीं है’ और यह मामला ‘राजनीतिक नेतृत्व पर छोड़ देना चाहिए’। एआईकेएससीसी ने आरोप लगाया कि सरकार उच्चतम न्यायालय का इस्तेमाल ‘राजनीतिक ढाल’ की तरह कर रही है। उसने एक वक्तव्य में कहा कि ‘किसान सभी दिशाओं से दिल्ली को घेर रहे हैं और जल्द ही सभी सीमाओं को बंद कर देंगे।
 
पुलिस अधिकारियों ने की वार्ता : उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की पुलिस उपायुक्त विजयंता आर्य समेत दिल्ली के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं के प्रतिनिधियों से रविवार को मुलाकात की।
 
यह बैठक गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले हुई है। किसान संगठनों की योजना हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के मौके पर ‘किसान परेड’ निकालने की है। 
अधिकारियों ने बताया कि वे लगातार किसान नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं और रविवार की यह मुलाकात उसी नियमित बैठक का हिस्सा है।  7 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी, जिसके बारे में उनका कहना था कि यह ‘किसान परेड’ की रिहर्सल थी। (इनपुट भाषा)
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