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Last Updated : शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020 (01:01 IST)

कृषिमंत्री तोमर ने कहा- सरकार बातचीत के लिए तैयार, किसानों ने दी रेल रोकने की धमकी

Narendra Singh Tomar | कृषिमंत्री की दोटूक- कानून वापस नहीं लिए जाएंगे, सरकार चर्चा को तैयार, किसानों ने दी रेल रोकने की धमकी
नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 2 सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गुरुवार को कहा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे रेल पटरियां अवरुद्ध कर देंगे।

किसान संघों ने गुरुवार को हुई अपनी बैठक के बाद कहा कि वे देशभर में रेल पटरियां अवरुद्ध करने की तारीख का जल्द ही ऐलान करेंगे। सिंघु बॉर्डर पर मीडिया से बातचीत में किसान संघों ने कहा कि वे विरोध-प्रदर्शन को तेज करेंगे और राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले सभी राजमार्गों को जाम करना शुरू करेंगे।
गौरतलब है कि दिल्ली में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद पिछले करीब 2 सप्ताह से किसान सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। वे नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रखने की मांग कर रहे हैं।

सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम रेल पटरियां अवरुद्ध करेंगे। हम इसकी तारीख तय कर जल्द ही घोषणा करेंगे। रेल पटिरियां सिर्फ पंजाब और हरियाणा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अवरुद्ध की जाएंगी।
 
किसानों ने यह घोषणा ऐेसे वक्त की है, जब केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत जारी है और ऐसे में आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं है।

उन्होंने किसान संघों से फिलहाल बातचीत करने को कहा है। तोमर ने किसान संघों के नेताओं से उन्हें भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर विचार करने को कहा। केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के विरोध के कारण जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए किसानों से बातचीत के बाद उन्हें संशोधन से जुड़े प्रस्ताव का एक मसौदा भेजा है।
एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र ने स्वीकार किया है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं। अगर कृषि राज्य का विषय है तो केंद्र को उस पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं।सरकार ने बुधवार को कहा कि वह फसलों के लिए मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था को जारी रखने का लिखित आश्वासन देगी।
 
हालांकि किसान संघों ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि जब तक सरकार कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग मान नहीं लेती, वे अपना आंदोलन तेज करेंगे। सरकार ने मंडी प्रणाली सहित कम से कम 7 मुद्दों पर जरुरी संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है।

एक अन्य किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि सरकार से साथ 5 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। अभी तक सरकार ने हमें अगले चरण की बातचीत के लिए कोई न्योता नहीं भेजा है। अगर सरकार हमें बातचीत के लिए प्रस्ताव भेजती है तो हम अपनी बैठक में उस पर फैसला लेंगे।
 
कक्का ने कहा कि ठंड और कोविड-19 के कारण हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इसके बावजूद हम अपनी मांगें पूरी होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे। (भाषा)
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