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  4. Will Daksh be able to rescue 41 laborers from the dark tunnel?
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Last Updated : मंगलवार, 21 नवंबर 2023 (12:59 IST)

क्‍या अंधेरी सुरंग से 41 मजदूरों को निकाल पाएगा Daksh?, जानिए कैसे रेस्क्यू ऑपरेशन की उम्‍मीद बना DRDO का रोबोटिक व्हीकल

Daksh
Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग धंसने से उसमें फंसे 41 मजदूर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। उन्‍हें बचाने की लगातार कोशिश की जा रही है। इसके लिए 12 नवंबर से ही रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल सकी है।

अब इस अंधेरी सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए दक्ष नाम का एक रोबोटिक व्हीकल इस्‍तेमाल किया जाएगा, जो रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन की उम्‍मीद बना हुआ है। जानते हैं आखिर क्‍या है दक्ष रोबोटिक व्हीकल और क्‍या ये मजदूरों सुरंग से बाहर निकालने में सफल होगा।
पहले जानते हैं कैसे हुआ था हादसा : 12 नवंबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग के निर्माण के दौरान हादसा हो गया था। इस हादसे में सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए थे। हादसे के बाद से ही उन्‍हें बाहर निकालने की लगातार कोशिश की जा रही है। बता दें कि जिले का सिलक्यारा वो जगह है, जहां सुरंग निर्माण का काम चल रहा था और इसका कुछ हिस्सा धंसने की वजह से उसके भीतर 41 मजदूर फंस गए।

अब उम्‍मीद बना दक्ष
अब डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की रोबोटिक्स टीम ने 'रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल' (ROV) तैनात किया गया है। इस आरओवी का नाम 'दक्ष' है। अब इस आरओवी के जरिए सुरंग में फंसे हुए लोगों की मदद की जाएगी। ये आरओवी विशेष रूप से मोटराइज्ड पैन-टिल्ट प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो जोखिम भरे इलाके तक पहुंचने में मदद कर सकता है।
क्‍या है ROV दक्ष है?
डीआरडीओ के मुताबिक दक्ष को लंबी दूरी पर बैठकर भी कंट्रोल किया जा सकता है, इसलिए इसे रिमोट ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) के तौर पर जाना जाता है। ये एक ऐसा व्हीकल है, जिसका इस्तेमाल इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का पता लगाने और उन्हें मैनेज करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा न्यूक्लियर या फिर केमिकल हादसे वाली जगह पर सर्वे के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। कई बार खतरनाक वस्तुओं को भी इसके जरिए ही हैंडल किया जाता है।

क्‍या है दक्ष की खासियत : दक्ष अपने नाम के मुताबिक ही कई कामों में दक्ष है। दक्ष के पास सीढ़ियों पर चढ़ने की काबिलियत है और ये लगातार 3 घंटे तक काम कर सकता है। 100 से 500 मीटर के दायरे में इसे आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है। दक्ष का इस्तेमाल सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बम निरोधक इकाइयां (बीडीयू) आईईडी और अन्य खतरनाक पदार्थों से निपटने में करती हैं। आरओवी दक्ष में एक मोटराइज्ड पैन-टिल्ट प्लेटफॉर्म है और इसे 500 मीटर की रेंज के भीतर दूर से कंट्रोल किया जा सकता है।

कैमरे- हाईटेक उपकरणों से लैस दक्ष
DRDO का कहना है कि दक्ष विस्फोट के प्रभावों को झेलने में सक्षम है। ये कई कैमरों, IED हैंडलिंग टूल्स, परमाणु जैविक रसायन (NCB) टोही सिस्टम, एक मास्टर कंट्रोल स्टेशन (MCS) और एक बंदूक से लैस होता है।

अंधेरी सुरंग में कैसे काम करेगा ROV दक्ष?
बचाव अभियान में जुटी एजेंसियों को ROV दक्ष से सुरंग में जोखिम भरे रास्तों को पता लगाने में मदद मिल सकती है। साथ ही इसे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की निगरानी करने के लिए भी भेजा जा सकता है। इसमें लगे कैमरों की मदद से बचाव अभियान में जुटी टीमों को अंदर की वस्तुस्थिति का पता चलेगा, जिसके बाद वह बचाव अभियान में तेजी लाने की बेहतर रणनीति बना सकेंगी।
ढलान और खतरे में काम का विशेषज्ञ : रोबोटिक व्‍हीकल खासतौर से ढलान और खतरनाक जगहों पर ऑपरेशन को अंजाम देने में माहिर है। रोबोटिक व्हीकल में एक आर्म भी लगी हुई है, जो 20 किलोग्राम की खतरनाक चीज को 2.5 मीटर और 9 किलोग्राम की वस्तु को 4 मीटर की दूरी से उठा सकती है। दक्ष के पास सीढ़ी चढ़ने और ढलान पर काम करने की काबिलियत भी है। रोबोटिक व्हीकल में लगे पहिए धमाके के असर को झेल सकता है। फुली चार्ज होने पर ये 3 घंटे तक ऑपरेट करता है। इसमें कई सारे कैमरा, मास्टर कंट्रोल स्टेशन, शॉटगन, आईईडी हैंडलिंग टूल जैसे डिवाइस लगे हुए हैं।

9 दिनों से सुरंग में फंसे हैं 41 मजदूर
12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे उत्तरकाशी में भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। पिछले 9 दिनों मजदूर यहां फंसे हुए हैं, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के अभियान में राज्य और केंद्र की अलग-अलग एजेंसियां जुटी हैं। ये सभी मजदूर अभी सुरंग में सुरक्षित हैं और उन्हें पाइप की मदद से ऑक्सीजन और खाने-पीने की आवश्यक वस्तुएं पहुंचाई जा रही हैं।
Edited By : Navin Rangiyal