पर्यावरण दिवस : सबको समझनी होगी जिम्मेदारी
कौन चाहता है पर्यावरण संरक्षण?
वैज्ञानिक आकलन करते हैं। कोपेनहेगेन में सम्मेलन होते हैं और पर्यावरण प्रेमी विश्व पर्यावरण दिवस पर रैली निकाल कर संतुष्ट हो लेते हैं। बाजारवाद के चलते न किसी उद्योगपति की इसमें रुचि है और न ही राजनीतिज्ञ की। धरती के गर्भ से लगातार प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है, जिसके कारण धरती इसके दुष्परिणाम भुगत रही है। डेढ़ वर्ष पूर्व जीइओ-4 ने चेताया था कि यदि आर्थिक विकास के नाम पर प्राकृतिक संसांधनों का इसी तरह दोहन होता रहा तो आने वाले 150 वर्ष में जलवायु परिवर्तन के चलते धरती का पर्यावरण किसी भी प्राणी और मानव के रहने लायक नहीं रह जाएगा। हजारों फिट नीचे खदान से कोयला और हीरा निकाला जाता है। बोरिंग के प्रचलन के चलते जगह-जगह से धरती में छिद्र कर दिए गए है। पहले वृक्ष कटते थे अब जंगल कटते हैं। पहाड़ कटते हैं। नदियों को प्रदूषित कर दिया गया है और समुद्र के भीतर भी खुदाई का काम जारी है। अंतरिक्ष में भी कचरा फैला दिया गया है।उक्त सभी कारणों के चलते तूफानों और भूकंपों की संख्या बढ़ गई है। मौसम पूरी तरह से बदल गया है कहीं अधिक वर्षा तो कहीं सूखे की मार है। प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाकर बार-बार मानव को चेतावनी दे रही है, लेकिन मानव ने धरती पर हर तरह के अत्याचार जारी रखे हैं।