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पर्यावरण संवाद सप्ताह में तीसरे दिन जैव विविधता संरक्षण तकनीक पर चर्चा

पर्यावरण संवाद सप्ताह  में तीसरे दिन जैव विविधता संरक्षण तकनीक पर चर्चा - Environment week 2020
विश्व पर्यावरण दिवस 2020 के उपलक्ष्य में जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित “पर्यावरण संवाद सप्ताह” के तीसरे दिन 2 जून को आईटी एक्सपर्ट समीर शर्मा ने जैव विविधता संरक्षण की सस्टेनेबल तकनीकों पर विस्तृत बात रखी। उन्होंने बढ़ती आबादी, प्राकृतिक संसाधन के निर्मम शोषण और पारंपरिक ईंधन प्रयोग को जैव विविधता, वन्य जीवों और जंगलों के लिए खतरा बताया।

उन्होंने कहा कि चुनौती यही है कि उन तकनीकों को  विकसित किया जाए जो जैव विविधता संरक्षण व विकास में मददगार हो। अब हम विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों व पशु- पक्षियों का रियल टाईम डाटा ले सकते हैं जिनसे उचित योजना बन सके। प्राकृतिक संसाधनों से अक्षय ऊर्जा व वैकल्पिक उर्जा जैसे नवाचार जरूरी हो गए हैं।  
 
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्टार्ट अप, ऑनलाइन पोर्टल्स और आईटी के माध्यम से हम शहरी क्षेत्रों में प्रमाणित जैविक खाद्य आपूर्ति को बढ़ावा देने का एक अच्छा तंत्र बना सकते हैं।
 
सौर ऊर्जा का अधिक उपयोग हमें दूसरे प्राकृतिक संसाधन बचाने में मदद करेगा और इससे आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
 
सूर्य जैसे अक्षय ऊर्जा स्त्रोत से बिना हानिकारक उत्सर्जन ही खाना बनाने का विकल्प उपलब्ध है लेकिन इसका उपयोग अपेक्षाकृत कम है। कोरोना वायरस जैसे संकट में सोलर ड्रायर , सोलर कुकर और सोलर पॉवर बेहतरीन समाधान हैं।
 
जैवविविधता मनुष्य के लिए एक प्राकृतिक पूंजी है और जैविक खेती इसका बढ़िया माध्यम है। 
 
 जैविक तरीकों से उत्पादन करने वाले किसान जैवविविधता को बढ़ावा देकर खराब पैदावार के जोखिम को कम करते हैं। जैविक कृषि प्रणाली में पक्षी प्रजातियों की समृद्धि और जैवविविधता को तेज़ी से बढ़ावा दें तो पारिस्थितिक तंत्र और लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर दिखेगा।

जैविक किसान हर स्तर पर जैवविविधता के संरक्षक होते हैं। जैविक किसान मिट्टी और मिट्टी के केंचुए जैसे जीवों को तक स्वस्थ बनाने की कोशिश करते हैं। विभिन्न फसलों का चयन फसल रोटेशन में विविधता जोड़ सकता है। सर्दियों की फसलें और जंगली पौधे ठंड में जंगली जानवरों के लिए वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराते हैं। जैवविवधता में मधुमक्खियों का भी योगदान है।
 
समीर शर्मा ने बताया कि कचरा प्रबंधन के लिए खाद बनाने में स्वाहा, सोलर फूड प्रोसेसिंग आदि जैसे स्टार्टअप अब मध्यप्रदेश और पैनइंडिया में जैवविविधता की रक्षा के लिए काफी सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। इसलिए तकनीक ही हर क्षेत्र में जैवविविधता की मदद और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर जनक पलटा ने कहा कि युवाओं को विशेष तौर पर तकनीक और जैव विविधता संरक्षण पर विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना चाहिए।