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Written By समय ताम्रकर

मर्डर 3 : फिल्म समीक्षा

मर्डर 3
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बैनर : विशेष फिल्म्स, फॉक्स स्टार स्टुडियो
निर्माता : मुकेश भट्ट
निर्देशक : विशेष भट्ट
कलाकार : रणदीप हुडा, अदिति राव हैदरी, सारा लॉरेन
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 40 सेकंड

महेश और मुकेश भट्ट का सिनेमा हमेशा विदेशी फिल्मों से प्रेरित रहा है। यहां तक कि उनकी फिल्मों के कई पोस्टर्स भी विदेशी फिल्मों के पोस्टर्स से मिलते-जुलते हैं। ‘मर्डर 3’ के रूप में उन्होंने द हिडन फेस का ऑफिशियल रिमेक बनाया है। अपराध और सेक्स के इर्दगिर्द उनकी हर फिल्म घूमती है और यही फॉर्मूला ‘मर्डर 3’ में भी देखने को मिलता है।

बार में शराब परोसने वाली निशा (सारा लॉरेन) अपने उन कस्टमर की आंखों में आंसू नहीं देख सकती जो नितांत अकेले हैं। वाइल्ड लाइफ और फैशन फोटोग्राफर विक्रम (रणदीप हुडा) जब नशे में धुत्त होकर गिर पड़ता है तो वह उसे अपने घर ले जाती हैं।

विक्रम इसलिए उदास है क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड रोशनी (अदिति राव हैदरी) उसे छोड़ कर चली गई है और उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा है। निशा को देख वह अदिति को भूल जाता है और निशा उसकी गर्लफ्रेंड बन जाती है।

निशा के साथ विक्रम के भव्य घर में अजीबो-गरीब घटनाएं घटने लगती हैं। कभी उसे वॉश बेसिन में से आवाजें सुनाई देती हैं तो कभी शॉवर में से अचानक गरम पानी आने लगता है। उसे महसूस होता है कि घर में कोई है। चूंकि ये भट्ट की फिल्म है इसलिए दो मुलाकात के बाद बात सीधे बेड तक पहुंच जाती है।

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इधर रोशनी के गायब होने की शिकायत विक्रम पुलिस स्टेशन में दर्ज कराता है। दो पुलिस ऑफिसर्स इस मामले की जांच कम और डॉयलागबाजी ज्यादा करते हैं। रोशनी के गायब होने में एक ट्विस्ट है, जिसे पूरी बारीकी के साथ पेश नहीं किया गया है। आइडिया अच्छा है, लेकिन उसका क्रियान्वयन कई प्रश्न उठाता है। यदि इसे डिटेल्स के साथ पेश किया जाता तो फिल्म में काफी वजन बढ़ जाता।

‘मर्डर 3’ इंटरवल के बाद ही देखने के काबिल है। रोशनी का गायब होना और निशा का विक्रम की जिंदगी में आना सिर्फ ये दो बातें ही इंटरवल के पहले घटित होती हैं। बाकी का काम कुछ गानों और खोखले दृश्यों के जरिये पूरा किया गया है।

देखिए मर्डर मूवी

रणदीप हुडा, अदिति राव हैदरी और सारा लॉरेन के अभिनय और स्टार वैल्यू में इतना दम नहीं है कि बिना बात के वे दर्शकों को बांध कर रख सके। लिहाजा कई उबाऊ सीन और घटिया एक्टिंग झेलना पड़ती है।

रोशनी के गायब होने वाले रहस्य से जब पर्दा उठता है तब फिल्म में रोचकता बढ़ती है। जबरदस्त थ्रिल पैदा होता है और यहां पर कुछ उम्दा सीन देखने को मिलते हैं, लेकिन फिल्म का अंत संतोषजनक नहीं है। मर्डर 4 के लिए गुंजाइश बनाते हुए ओपन एंड किया गया है, लेकिन अंत ऐसा होना चाहिए कि दर्शकों को संतुष्टि मिले।

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मुकेश भट्ट के बेटे विशेष भट्ट ने इस फिल्म के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा है। रिमेक बनाकर उन्होंने सुरक्षित दांव खेला है। विशेष फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली फिल्मों की छाप उनके निर्देशन में नजर आती है, लेकिन वे कलाकारों से अच्छा अभिनय नहीं करवा पाए और न ही स्क्रिप्ट की कमियों को छुपाने में कामयाब रहे। एक पुलिस ऑफिसर का निशा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर बताया गया है लेकिन यह ट्रेक आधा-अधूरा है। इसी तरह पुलिस की भूमिका भी सतही है।

रणदीप हुडा ने जैसे-तैसे अपना काम किया है। अदिति राव हैदरी कुछ सीन में अच्छी तो कुछ में बेहद बुरी रहीं। सारा लॉरेन और एक्टिंग में 36 का आंकड़ा है। गाने फिल्म की थीम के मुताबिक ठीक है, लेकिन हिट गाने की कमी अखरती है।

कुल मिलाकर मर्डर 3 में थोड़े रोमांचकारी क्षणों को देखने के लिए कई उबाऊ सीन की कीमत चुकानी पड़ती है।

रेटिंग : 2/5