मंगलवार, 1 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. एकादशी
  4. Vijaya Ekadashi Katha 2025
Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (11:26 IST)

Vijaya Ekadashi 2025: विजया एकादशी व्रत आज, पढ़ें पौराणिक कथा

Vijaya Ekadashi 2025
2025 Vijaya Ekadashi : वर्ष 2025 में विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी, दिन सोमवार को रखा जा रहा है। विजया एकादशी व्रत की शुभ कथा पढ़ने से दसों दिशाओं से विजय मिलती हैं। मान्यता के अनुसार यह एकादशी अपने नाम के हिसाब से ही हर क्षेत्र में विजय दिलाने वाली मानी गई है। ALSO READ: विजया एकादशी व्रत रखने का तरीका और पूजा की विधि
 
इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उससे भगवान श्री विष्णु का अभिषेक करने तथा पीपल में जल अर्पित करने का विशेष महत्व है। इतना ही नहीं श्रीहरि विष्णु का वास पीपल वृक्ष में होने के कारण इस दिन पीपल की जड़ में कच्चा दूध, काली तिल तथा पीले फल और पीले रंगी मिठाई का भोग लगाने से श्रीहरि नारायण और माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपना शुभाशीष अपने भक्तों को प्रदान करते हैं। 
 
धार्मिक पुराणों के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से जुड़ी हुई है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्‍य को विजय प्राप्त‍ होती है। इस दिन व्रतधारियों को उपवास रख कर तथा रात्रि जागरण और श्री विष्णु का पूजन-अर्चन तथा ध्यान करना चाहिए। यह व्रत पुराने तथा नए पापों को नाश करने वाला कहा गया है।ALSO READ: विजया एकादशी कब है, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत का फल
 
यहां जानिए विजया एकादशी व्रत की पौराणिक कथा के बारे में...
विजया एकादशी की प्रामाणिक कथा : इस व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु श्री राम के वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया, तब भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हुए। माता सीता की खोज के दौरान हनुमान की मदद से भगवान राम की वानरराज सुग्रीव से मुलाकात हुई। वानर सेना की मदद से भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र तट पर आए। विशाल समुद्र के चलते लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए। इसके लिए कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था।
 
अंत में भगवान राम ने समुद्र से मार्ग के लिए निवेदन किया, परंतु मार्ग नहीं मिला। फिर भगवान राम ने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा। तब ऋषि-मुनियों ने विजया एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। साथ ही यह भी बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है। 
 
प्रभु श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत किया और व्रत के प्रभाव से समुद्र को पार किया लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध किया और माता सीता से फिर पुनः मिलन हुआ। विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है। भयंकर शत्रुओं से जब आप घिरे हो और सामने पराजय दिख रही हो उस विकट स्थिति में भी अगर विजया एकादशी का व्रत किया जाए तो इस व्रत के प्रभाव से अवश्य ही विजय प्राप्त होती है।

यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है। इस विजया एकादशी के महात्म्य तथा कथा के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्‍य को विजय प्राप्त‍ होती है। विजया एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।