Devshayani ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा के शुभ मुहूर्त
Devshayani ekadashi 2024: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन से चातुर्मास अर्थात 4 माह की वह कलावधि प्रारंभ हो जाती है यानी 4 माह के लिए देव सो जाते हैं। इस दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस बार 17 जुलाई 2024 बुधवार के दिन देवशयनी एकादशी रहेगी।
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 16 जुलाई 2024 को रात्रि 08:33 से
एकादशी तिथि समाप्त- 17 जुलाई 2024 को रात्रि 09:02 तक
पारण (व्रत तोड़ने का) शुभ समय- 18 जुलाई गुरुवार को प्रात: 05.46 से 08.06 तक।
पूजा के शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:13 से 04:53 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:33 से 05:34 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 से 03:40 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम को 07:19 से 07:39 तक।
सायाह्न सन्ध्या : रात्रि 07:20 से 08:22 तक।
अमृत काल : शाम 04:23 से 06:03 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 05:34 से अगले दिन तड़के 03:13।
अमृत सिद्धि योग : सुबह 05:34 से अगले दिन तड़के 03:13।
इस दिन भगवान श्रीविष्णु को इन खास मंत्रों का जाप करके सुलाया जाता है।
हरिशयन मंत्र- 'सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।'
- अर्थात्, हे प्रभु आपके जगने से पूरी सृष्टि जग जाती है और आपके सोने से पूरी सृष्टि, चर और अचर सो जाते हैं। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है, आपकी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखें।
साथ ही देवशयनी यानी हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजन करें, ताकि चार महीने तक भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे। इसके लिए देवशयनी एकादशी के दिन एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर श्रीविष्णु की मूर्ति या चित्र रख कर दीप जलाएं। उन्हें पीला वस्त्र अर्पित करें। पीली वस्तुओं का भोग लगाएं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। अगर कोई मंत्र नहीं आता हैं तो सिर्फ 'हरि' के नाम का जाप निरंतर करते रहे। अगर मंत्र जाप कर रहे हैं तुलसी या चंदन की माला से जप करें। फिर आरती करें।