राष्ट्रपति से शीला दीक्षित की शिकायत
नई दिल्ली। दिल्ली में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन, प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल और प्रतिपक्ष के नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक पत्र लिखकर मांग की है कि वे जनता को गुमराह करने के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को निर्देश दें।पत्र में लिखा गया है कि दीक्षित ने वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए 50 लाख अनधिकृत कॉलोनी निवासियों को कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा कॉलोनियों को नियमित करने का आश्वासन देते हुए उन्हें प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटे थे। इस कार्य पर लाखों रुपए प्रचार के रूप में सरकार ने व्यय किए थे।मुख्यमंत्री तथा सरकार को यह अच्छी तरह मालूम था कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनधिकृत कॉलोनियों को सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने से पहले नियमित करने पर रोक लगा रखी है। वोटों की लालच में सरकार ने सरकारी भूमि, ग्राम सभा की भूमि, वन भूमि, रिज भूमि, पुरातत्व विभाग की भूमि, जलाशयों की भूमि और सरकार द्वारा नोटिफाइड एरिया की भूमि पर बसी सभी अनधिकृत कॉलोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांट दिए।मुख्यमंत्री द्वारा अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करके मतदाताओं को प्रभावित करने और जनधन की हानि करने के विरूद्ध डॉ. हर्षवर्धन ने लोकायुक्त की अदालत में वाद दायर करके मुख्यमंत्री द्वारा जनता को गुमराह करने तथा पद का दुरुपयोग मतदाताओं को प्रभावित करने के आरोप में उनके खिलाफ कार्यवाही करने की विनती की थी। लोकायुक्त ने 31 अगस्ता 2010 को डॉ. हर्षवर्धन की शिकायत पर एक जांच समिति गठित की थी और पाया कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने चुनाव के दिनों में मतदाताओं के वोट हासिल करने के लिए उनसे जान-बूझकर झूठा वायदा किया। इस हेतु सरकार ने सभी अखबारों और चैनलों में लाखों रुपए खर्च करके बड़े-बड़े विज्ञापन जनता को गुमराह करने के लिए जारी किए। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2008 में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए सरकार ने प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी किए। इसी प्रकार 4 सितम्बर, 2012 को अनधिकृत कॉलोनी नियमित करने के लिए ठीक चुनाव से पहले दिल्ली सरकार ने अलग से नियमों में संशोधन करने की अधिसूचना जारी की। सरकार का उद्देश्य यही था कि वर्ष 2008 तथा 2013 के 4 दिसंबर को होने वाले चुनाव में 50 लाख अनधिकृत कॉलोनी निवासियों को भ्रमित करके उनके वोट कांग्रेस के पक्ष में डलवाए जाए। इस पर गंभीर संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त ने 5 नवम्बर 2013 को कहा कि कॉलोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करना मुख्यमंत्री द्वारा आचार संहिता का सरासर उल्लंघन था। लोकायुक्त ने नवम्बर 2013 को मुख्यमंत्री को दोषी पाया। इसी दिन उन्होंने भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को पत्र लिखकर यह आग्रह किया कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को वे हिदायत दें कि वे भविष्य में मतदाताओं को गुमराह न करें। सनद रहे कि कि लोकायुक्त ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को भी इसी तरह का पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को हिदायत देने का निवेदन किया था। इसके बाद भी शीला दीक्षित नहीं मानी। दीक्षित ने अपने मंत्रियों राजकुमार चौहान एके वालिया, योगानंद शास्त्री, हारुन युसुफ, मंगतराम सिंघल और अरविन्दर सिंह लवली के फोटोग्राफ सहित सरकारी धन खर्च करके मीडिया में बड़े-बड़े विज्ञापन जारी किए।
शीला दीक्षित और दिल्ली सरकार से 10 सवाल...अगले पन्ने पर..
डॉ. हर्षवर्धन ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तथा दिल्ली सरकार से निम्न सवालों का उत्तर जनता को देने का निवेदन किया है :-1.
अक्टूबर, 2008 में प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। एक साल में सभी कॉलोनियों को नियमित करने का वायदा किया गया था। मुख्यमंत्री बताएं कि प्रोविजनल सर्टिफिकेट का विधिक औचित्य क्या है? यदि प्रोविजनल सर्टिफिकेट के आधार पर कॉलोनियों को नियमित किया गया है तो कालोनीवासियों को पक्के सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिए जा रहे हैं?2.
जब सर्वोच्च न्यायालय ने सभी अनधिकृत कॉलोनियों को बगैर बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराए नियमित न करने के आदेष दिएहैं तो, मुख्यमंत्री ने जनता को जानबूझकर कॉलोनियों को नियमित करने का अवैध आश्वासन क्यों दिया?3.
क्या इस अपराध में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी बराबर की भागीदार नहीं हैं?4.
यदि कॉलोनियों को नियमित कर दिया गया है तो उनकी रजिस्ट्री सरकार क्यों नहीं कर रही है?5.
यदि कॉलोनियां नियमित हो गई हैं तो राजस्व विभाग और दिल्ली पुलिस के कर्मचारी कॉलोनीवासियों से कोई भी निर्माण करने पर अवैध वसूली क्यों कर रहे हैं?6.
कॉलोनियां नियमित हैं तो उनमें सीवर, सड़क, बिजली, पानी, परिवहन, सीवरेज की निकासी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामुदायिक केन्द्र, रोजगार, उद्योग आदि की उपलब्धता सरकार क्यों नहीं करा रही है? 7.
सभी अनधिकृत कॉलोनियों में दिल्ली जल बोर्ड का पानी क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है? जबकि दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष मुख्यमंत्री स्वयं हैं। 8.
अनधिकृत कॉलोनियों के साथ दिल्ली सरकार ने पिछले 15 सालों में सौतेला व्यवहार क्यों किया? यह व्यवहार आज तक भी क्यों जारी है?9.
मुख्यमंत्री बताएं कि ग्राम सभा की भूमि, सरकारी भूमि, वन भूमि, पुरातत्व विभाग की भूमि, जलाशयों की भूमि, रिज भूमि, आरक्षित भूमि, जबरिया कब्जा कर बसाई गई कॉलोनियों की भूमि का नियमितिकरण क्या उसने कर दिया है? यदि कर दिया है तो देष के किन नियमों और कानूनों के तहत ऐसा किया गया है?10.
यदि कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में जरा भी गंभीर होतीं तो वे सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिका 725/1994 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने पर लगाई गई रोक को हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय पिछले 15 साल में क्यों नहीं गईं?