Interesting facts about Indus River: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है। सिंधु नदी भारत की एक प्राचीन नदी है। इस नदी का 60 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में बहता है और इस नदी की कई सहायक नदियां भी है जो पाकिस्तान की भूमि को उर्वरक करती है और लोगों की प्यास भी बुझाती है। सिन्धु नदी भारत से होकर गुजरती है लेकिन इसका मुख्य इस्तेमाल भारत-पाक जल संधि के तहत पाकिस्तान करता है, लेकिन इसके पीछे भी एक दिलचस्प बातें हैं। भारत चाहे तो उस पर काम कर सकता है।
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1. सिंधु नदी का उद्गम: सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है। यह नदी हिमालय की दुर्गम कंदराओं से गुजरती हुई गिलगित और कश्मीर से होती हुई और फिर पाकिस्तान में प्रवेश करती है। पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती हुई यह नदी कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है।
2. सिंधु नदी की लंबाई: एक नए शोध के अनुसार सिन्धु नदी करीब 3,600 किलोमीटर लंबी है। इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। इसका अनुमानित वार्षिक प्रवाह लगभग 243 किमी है, जो इसे औसत वार्षिक प्रवाह के मामले में दुनिया की 50 सबसे बड़ी नदियों में से एक बनाता है। हालांकि पहले यह माना जा रहा था कि यह 3,200 किलोमीटर लंबी है।
3. कहां कितने प्रतिशत: इस नदी का 15 प्रतिशत भाग तिब्बत में है। 25 प्रतिशत भारत में है और 60 प्रतिशत पाकिस्तान में। पाकिस्तान का यह जो 60 प्रतिशत हिस्सा है इसमें केवल सिंधु नदी का पानी नहीं है। इसमें 5 नदियों का पानी मिलता है। इसमें से 3 नदियों का पानी हम आसानी से रोककर आगे की सिंधु नदी को सुखा सकते हैं। कैसे?
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4. सिंधु की सहायक नदियां: इस नदी के रास्ते में 5 नदियां मिलती है। झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास। यानी सिंधु सहित कुल छह नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर बहते हुए जाती है।
झेलम: झेलम निकलती है कश्मीर से और फिर जाती है यह पाकिस्तान।
चिनाब: चिनाब निकलती है जम्मू से और फिर जाती है यह पंजाब और पंजाब से पाकिस्तान।
रावी, सतजुल और ब्यास: बाकी तीन यानी रावी, सतलुज और ब्यास नदी हिमाचल से होकर पंजाब जाती है और पंजाब से फिर ये पाकिस्तान जाती है।
सिंधु जल समझौता:
यही 6 नदियां पाकिस्तान में पानी का जरिया है क्योंकि पाकिस्तान का 92 प्रतिशत सूखा है वहां नदियां नहीं है। सभी नदियां हिमालय से निकलकर बहती है। पाकिस्तानी की आधी आबादी इसी पानी से खेती करती है। अंग्रेजों ने पंजाब में नहरों का जाल बिछाया था। जब भारत का बंटवारा हुआ तो पंजाब को भी बांटा गया पाकिस्तानी पंजाब में नहरों का जाल रह गया और भारत के पंजाब में नदियां रह गई। इसके बाद 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ। इस समझौते में सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी को शामिल किया गया। रावी, सतजुल और व्यास नदी का पानी शामिल नहीं किया गया।
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कैसे भारत रोक सकता है पानी: भारत चाहे तो इन तीनों नदियों यानी रावी, सतजुल और ब्यास नदी के जल को नहरें बनाकर किधर भी मोड़ सकता है और इस पर डेम भी बना सकता है जो कि बने भी हैं। परंतु सिंधु जल समझौते के तहत वह सिंधु, झेलम और चिनाब पर ऐसा नहीं कर सकता। हालांकि यदि भारत सिंधु जल समझौता तोड़ देता है तो फिर वह कुछ भी कर सकता है। दूसरी ओर रावी, सतलुज और ब्यास, इन तीनों नदियों के पानी को पंजाब में ही रोका जा सकता है। झेलम को मोड़कर यदि चिनाब या रावी, सतजुल और ब्यास नदी में मिला दिया जाए तो सिंधु की जलराशि और भी कम हो सकती है।