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Last Updated : शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025 (00:11 IST)

Pahalgam terrorist attack : TRF के आतंकी थे पहलगाम के दरिंदे, कैसे करता है काम, कौन हैं आका, क्या है इसका मकसद, क्यों रची थी साजिश

Pahalgam terrorist attack
पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) ने ली है। इस आतंकी संगठन  लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सहयोगी माना जाता है। पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान आतंकियों ने ली है। मीडिया खबरों की मानें तो टीआरएफ ने दावा किया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में 85,000 गैर-स्थानीय लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने के खिलाफ के किया है। इसे वे जनसांख्यिकीय बदलाव की साजिश मानते हैं। यह बदले की कार्रवाई था। 
अनुच्छेद 370 का दर्जा खत्म होने के वक्त हुई स्थापना 
टीआरएफ की स्थापना अक्टूबर 2019 में हुई जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया। टीआरएफ की शुरुआत कराची से एक सोशल मीडिया आधारित संगठन के रूप में हुई थी। यह संगठन खुद को कश्मीरी स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाला स्वतंत्र संगठन बताता है, लेकिन भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन मानती हैं। गृह मंत्रालय ने जनवरी 2023 में टीआरएफ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित कर दिया। 
कौन हैं संगठन के आका
मंत्रालय के मुताबिक टीआरएफ ऑनलाइन भर्ती, आतंकी प्रचार, घुसपैठ और पाकिस्तान से हथियारों व नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल है। इसके प्रमुख नेताओं में सजिद जट्ट, शेख सज्जाद गुल, और सलीम रहमानी शामिल हैं, जो सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। शेख सज्जाद गुल को 2022 में यूएपीए के तहत आतंकी घोषित किया गया। संगठन ने हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर के आतंकियों को मिलाकर अपनी संरचना बनाई और 2020 से घाटी में हमलों की जिम्मेदारी लेना शुरू किया।
 
स्थानीय युवाओं को बनाना हाईब्रिड आतंकी 
टीआरएफ की रणनीति में स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर "हाइब्रिड आतंकी" के रूप में इस्तेमाल करना शामिल है। सुरक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि TRF का हाइब्रिड आतंकी मॉड्यूल एक ऐसी रणनीति है जिसे आतंकवादी संगठनों ने खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में अपनाया है। इसमें स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर 'अंडरकवर' आतंकी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
पाकिस्तान को बचाने के लिए चुना अंग्रेजी नामलश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के गठजोड़ से बने इस गुट ने जानबूझकर यह गैर इस्लामिक अंग्रेजी नाम चुना है ताकि विदेशी मीडिया को यह home grownresistance जैसा कुछ सुनाई दे। टीआरएफ अपनी छवि को स्थानीय मुद्दों को उठाने वाले संगठन के रूप में प्रस्तुत कर सके। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल न उठें।
 
भारत ने 2023 में लगाया था प्रतिबंध
भारतीय गृह मंत्रालय ने इसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन बताया है। 2023 में इसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया. गृह मंत्रालय के अनुसार टीआरएफ ऑनलाइन माध्यमों से युवाओं की भर्ती, आतंकी प्रचार, घुसपैठ, और पाकिस्तान से हथियारों व नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे कृत्यों में शामिल रहा है।
 
अब तक कौनसे हमलों को दिया अंजाम 
टीआरएफ ने 2020 से कश्मीर घाटी में कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है। 
 
अप्रैल 2020 : कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास चार दिन की मुठभेड़ में पांच भारतीय पैरा कमांडो और पांच टीआरएफ आतंकी मारे गए।
2021 : कश्मीरी पंडित व्यवसायी माखन लाल बिंद्रू और स्कूल प्रिंसिपल सुपिंदर कौर की हत्या।
2023 : अनंतनाग मुठभेड़, जिसमें सेना के दो अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी शहीद हुए।
2024 : रियासी बस हमला, जिसमें नौ तीर्थयात्री मारे गए।
2024 : गांदरबल में एक निर्माण स्थल पर हमला, जिसमें सात लोग मारे गए।
2025 : पहलगाम हमला, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए। इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma
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