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World cup 2019: हर डिपार्टमेंट में फ्लॉप, पड़ोसी केन्या-जिम्बाब्वे जैसे दक्षिण अफ्रीका के हाल

पहले 3 अफ्रीकी टीम विश्वकप खेलती थी, अब दक्षिण अफ्रीका के भी हाल बुरे

World cup 2019: हर डिपार्टमेंट में फ्लॉप, पड़ोसी केन्या-जिम्बाब्वे जैसे दक्षिण अफ्रीका के हाल - Proteas  playing like kenya, zimbabwe in CWC 19
दक्षिण अफ्रीका पहली बार किसी विश्वकप टूर्नामेंट में लगातार 3 मैच हारा । उसे पहले मैच में इंग्लैंड ने 104 रनों से हराया जबकि दूसरे मैच में कमजोर मानी जा रही बांग्लादेश ने 21 रनों से उलटफेर का शिकार बना लिया।
तीसरे मैच में उसे भारत के हाथों 6 विकेटों से हार झेलनी पड़ी।शुक्र है कि वेेस्टइंडीज के खिलाफ हुआ मैच बारिश से धुल गया नहीं तो वहां भी अफ्रीका 29 पर 2 विकेट गंवा चुका था। द. अफ्रीका को एकमात्र जीत अफगानिस्तान के खिलाफ मिली। 
 
न्यूजीलैंड से होने वाला मैच उसके लिए करो या मरो की स्थिती वाला था। कप्तान केन विलियम्सन के नाबाद शतक (106) और उनकी उनकी कॉलिन डी ग्रैंडहोम (60) के साथ 91 रन की बेशकीमती साझेदारी की बदौलत न्यूजीलैंड ने दक्षिण अफ्रीका को बुधवार को वर्षा बाधित मुकाबले में 4 विकेट से हराकर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। 
 
आशचर्य की बात यह है कि चोकर्स का तमगा टीम पर इसलिए लगा क्योंकि यह नॉकआउट मैचों में हार जाती है। लेकिन इस बार तो पहला मैच जीतने के लिए 5 मैच का इंतजार करना पड़ा। अफ्रीकी महाद्वीप से सिर्फ एक ही मजबूत टीम विश्वकप में भाग ले रही है अब उसकी हालत भी बद से बदत्तर होती जा रही है।
 
पहले केन्या और जिम्मबाब्वे टीम भी विश्वकप में खेला करती थी और दक्षिण अफ्रीका अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे मजबूत टीम लगती थी। अब इन दोनों की अनुपस्थिती में दक्षिण अफ्रीका अपने पड़ोसी देशों जैसी होती जा रही है। 
 
केन्या और जिम्मबाब्वे नें क्रिकेटविश्वकप में कभी कभार उलटफेर किए हैं इसके अलावा कोई खास रिकॉर्ड नहीं रहा है। दक्षिण अफ्रीका भी अब इनके रस्ते पर ही हैं। 
 
हैरत की बात यह है कि इस टीम में से सिर्फ एबी डीविलियर्स गायब है बाकी सभी खिलाड़ी वही है जो द्विपक्षीय सीरीज और आईपीएल में सुर्खियां बटोर चुके हैं। लेकिन फिर भी सलामी बल्लेबाजी , मध्यक्रम, तेज गेंदबाजी सब फ्लॉप रहा है।
 
सबसे चिंताजनक बात तो यह है कि इस टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों ने आसान से कैच टपकाए हैं।  फील्डिंग तो बाकी टीम दक्षिण अफ्रीका से देखकर सीखे हैं लेकिन इस विश्वकप में फील्डिंग भी खराब रही है।
 
अब देखना होगा कि यह टीम खुद को उठाती है या फिर क्रिकेट में अपने पड़ोसी देशों जैसी हो जाती है।
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