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क्या भारत-ऑस्ट्रेलिया की दोस्ताना सीरीज में कन्कशन विवाद डाल देगा वैमनस्यता ?

क्या भारत-ऑस्ट्रेलिया की दोस्ताना सीरीज में कन्कशन विवाद डाल देगा वैमनस्यता ? - India australia tour may just turn heated up due to concussion row
एक दौर था जब भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा किसी जंग से कम नहीं होता था। भारत की टीम सिर्फ ऑस्ट्रेलिया टीम से ही नहीं ऑस्ट्रेलिया की मीडिया, ग्राउंड्समैन और जनता सबसे लड़ती थी। 
 
लगभग हर दौरे में कोई न कोई विवाद खड़ा हो ही जाता था। साल 1999-2000 में जब सचिन तेंदुल्कर के कंधे पर गेंद लगने के बाद पगबाधा आउट दिया गया तो एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। 
 
साल 2003-04 में भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने स्टीव वॉ को टॉस के लिए इंतजार करवाया। उस दौरे पर कंगारू टीम मन मसोस कर रह गई और खिलाड़ियों में जुबानी जंग नहीं हुई क्योंकि भारत का प्रदर्शन (कम से कम टेस्ट मैचों में ) शानदार रहा।
 
फिर आया 2008 दौरा इस दौरे पर क्या नहीं हुआ। पहले तो अंपायर के लगातार गलत फैसलों से भारतीय दल बेहद खफा था। फिर हरभजन और साइमंड्स के बीच मंकी गेट हुआ। 
 
आईपीएल के शुरुआत होते साथ ही कंगारुओं की जुबान की गर्मी शांत होने लगी , हालांकि 2015 के दौरे पर डेविड वार्नर ने थोड़ी बहुत स्लेजिंग की। साल 2019 के दौरे पर बाजी पलट गई थी और भारतीय टीम स्लेजिंग की शुरुआत करने लगी थी। लेकिन मैदान का माहौल पहले जैसा कड़वा नहीं था।
 
इस बार जबसे भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया गई है। भारत और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बीच में काफी दोस्ताना रवैया देखा गया है। फिंच को चोट लगने पर केएल राहुल उनसे मजाक करते हुए दिखे हैं। 
 
लेकिन हो सकता है अब माहौल पहले जैसा न हो । इसकी वजह है कन्कशन विवाद जो पहले टी -20 के दौरान हुआ था। 
 
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टी-20 मुकाबले के लिए चहल को अंतिम एकादश में शामिल नहीं किया था। लेकिन ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को बल्लेबाजी के दौरान सिर में चोट लग गयी थी और वह फील्डिंग करने नहीं उतरे। टीम ने जडेजा की जगह कन्कशन सब्सटीट्यूट के रुप में चहल को शामिल किया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नियमानुसार कोई भी टीम कन्कशन सब्सटीट्यूट के तौर पर ही किसी अन्य खिलाड़ी को टीम में शामिल कर सकती है।
 
इस फैसले का ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कोच जस्टिन लेंगर ने विरोध किया और उनकी मैच रेफरी डेविड बून के साथ बहस भी हुई। लेकिन लेंगर के विरोध को खारिज करते हुए चहल को टीम में शामिल करने की मंजूरी दी गयी।कोच जस्टिन लैंगर का यह मानना था कि अंतिम ओवर में जडेजा चोट लगने के बाद भी बल्लेबाजी करते रहे बल्कि उन्होंने चौका भी जड़ा। अगर उनकी चोट इतनी ही गंभीर थी तो उन्हें अंतिम 3 गेंदे भी नहीं खेलनी चाहिए थी। हालांकि इसका मैच रेफरी डेविड बून पर कोई असर नहीं हुआ।
 
कन्कशन विवाद से ऑस्ट्रेलियाई बेहद खिन्न दिखे जिसका असर अगले दो टी-20 में देखने को मिला। दोनों ही मैच बेहद कांटे के हुए और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जीत के लिए आतुर दिखे। 
 
कन्कशन विवाद से जहां ऑस्ट्रेलियाई दल नाराज दिखा तो वहीं कोहली तीसरे टी-20 में डीआरएस विवाद से नाखुश दिखे। टीवी टीम की एक मामूली गलती से टीम इंडिया मैथ्यू वेड के खिलाफ रिव्यू नहीं ले पाई थी इसके कारण 50 रनों पर खेल रहे वेड 80 रन बना बैठे। 
 
अब देखना होगा कि कन्कशन विवाद क्या टेस्ट सीरीज में आग में घी डालने का काम करेगा या फिर दोनों ही टीमें परिपक्वता दिखाते हुए इसे भूल जाएंगी।