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Last Updated : गुरुवार, 19 मार्च 2020 (22:24 IST)

जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री मोदी चिंतित, देश से मांगा सहयोग

जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री मोदी चिंतित, देश से मांगा सहयोग - Prime Minister Modi's address to the nation regarding Corona virus
मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, मेरे प्यारे देशवासियों! पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है। आमतौर पर जब कभी कोई प्राकृतिक संकट आता है तो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है। इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्वभर की पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है, जब प्रथम विश्वयुद्ध हुआ था। कोरोना की इस बीमारी से पिछले 2 महीने से हम निरंतर दुनियाभर से आ रही चिंताजनक खबरें देख रहे हैं, सुन रहे हैं। इन 2 महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है। सभी देशवासियों ने आवश्यक सावधानियां बरतने का भरसक प्रयास भी किया है, लेकिन बीते कुछ दिनों से एक ऐसा माहौल बन गया है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं।

आप मुझे एक हफ्ते का समय दीजिए : ऐसा लग रहा है कि सब ठीक है। वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की यह सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना, सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। साथियों! आपसे मैंने जब भी जो भी मांगा है, मुझे कभी भी देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हम सब मिलकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं और सफल भी हुए हैं। आज मैं आप सभी देशवासियों, 130 करोड़ देशवासियों से, आप सभी से कुछ मांगने आया हूं। मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए। आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।

मेरे प्यारे देशवासियों! अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है। दुनिया के जिन देशों में कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है, वहां अध्ययन में एक और बात सामने आई है। इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है। इन देशों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत सरकार स्थिति पर इस वैश्विक महामारी के फैलावे के ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है। हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने आवश्यक निर्णय भी किए और अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा आइसोलेट करके स्थिति को संभाला है और उसमें नागरिकों की भूमिका बहुत अहम रही है।

130 देशवासियों को संकल्प लेना होगा : भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले विकास के लिए प्रयत्नशील देश पर कोरोना का संकट सामान्य बात नहीं है। आज जब बड़े-बड़े विकसित देशों में महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, यह मानना गलत है। इसलिए इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए 2 प्रमुख बातों की आवश्यकता है। पहला- संकल्प। दूसरा- संयम। संकल्प और संयम। आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते कर्तव्य का पालन करेंगे। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।

हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना जरूरी है : साथियों! इस तरह की वैश्विक महामारी में एक ही मंत्र काम करता है। हम स्वस्थ, तो जगत स्वस्थ। ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है, तब हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना पहली आवश्यकता है। इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए दूसरी अनिवार्यता है संयम। और संयम का तरीका क्या है? भीड़ से बचना, घर से बाहर निकलने से बचना, आजकल जिसे सोशल डिस्टेंसिंग कहा जा रहा है। कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग ज्यादा आवश्यक और कारगर है। हमारा संकल्प और संयम इस वैश्विक महामारी को कम करने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं आपको कुछ नहीं होगा, आप ऐसे ही मार्केट में सड़कों पर जाते रहेंगे और कोरोना से बचे रहेंगे तो ये सोच सही नहीं है। ऐसा करके आप अपने और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। मेरा देशवासियों से आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक जब बहुत जरूरी हो, तभी अपने घर से बाहर निकलें। चाहे काम ऑफिस, बिजनेस से जुड़ा हो, वह काम घर से ही करें। जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं, मीडियाकर्मी हैं, जनप्रतिनिधि हैं, उनकी सक्रियता तो आवश्यक है, लेकिन समाज के सभी लोगों को बाकी भीड़भाड़ से,  समारोहों से आइसोलेट करना चाहिए।

60-65 साल से ज्यादा आयु वाले कुछ हफ्ते आइसोलेट रहें : एक और आग्रह है, परिवार में जो भी सीनियर सिटीजन हैं, जो 60-65 साल से ज्यादा आयु वाले हैं, वो आने वाले कुछ हफ्ते आइसोलेट रहें और घर से बाहर न निकलें। हो सकता है कि वर्तमान पीढ़ी पुरानी सोच से वाकिफ नहीं होगी। जब मैं छोटा था, तब जब युद्ध की स्थिति थी तब गांव-गांव ब्लैकआउट होता था। शीशों पर भी कागज लगा दिए जाते थे। लाइटें बंद होती थीं। लोग रातभर चौकसी करते थे। युद्ध न हो, तब भी साल में एक-दो बार नगर पालिकाएं ब्लैकआउट का ड्रिल करवाती थीं। लोगों की आदत बनी रहे, इसके लिए प्रयास करती थीं। इसलिए मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। ये है- जनता कर्फ्यू यानी जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू।

इस रविवार यानी 2 दिन के बाद 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना है। इस जनता कर्फ्यू के दरमियान कोई भी नागरिक घर से बाहर न निकले, न सड़क पर जाए, न सोसायटी-मोहल्ले में इकट्‌ठे हों। वे अपने घरों में ही रहें। आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को तो जाना ही होगा। लेकिन नागरिक के नाते हम ऐसा न करें। 22 मार्च को हमारा यह प्रयास हमारे आत्मसंयम और देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का मजबूत प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की सफलता और इसके अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे। मैं देश की सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वे जनता कर्फ्यू का पालन कराने का प्रयत्न करें।

जनता कर्फ्यू का संदेश लोगों तक पहुंचाएं और उन्हें जागरुक करें : सभी संगठनों से अनुरोध करूंगा कि अभी से लेकर रविवार तक इस जनता कर्फ्यू का संदेश लोगों तक पहुंचाएं और उन्हें जागरुक करें। आप ये भी कर सकते हैं कि हर दिन 10 नए लोगों को फोन करके इस वैश्विक महामारी और जनता कर्फ्यू की बात लोगों को बताएं और समझाएं। यह जनता कर्फ्यू हमारे लिए एक कसौटी की तरह होगा। यह कोरोना जैसी लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, यह देखने-परखने का भी प्रयास होगा। 22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं। साथियों! पिछले 2 महीने से लाखों लोग अस्पतालों, एयरपोर्ट, दफ्तरों, शहर की गलियों में दिन-रात काम में जुटे हैं।

चाहे डॉक्टर हों, नर्स हों, हॉस्पिटल का स्टाफ हो, सफाई करने वाले भाई-बहन हों, मीडियाकर्मी हों, पुलिसकर्मी हों, ट्रांसपोर्ट वाले हों, होम डिलिवरी करने वाले हों, ये लोग अपनी परवाह न करते हुए दूसरों की सेवा में लगे हैं। आज की परिस्थितियां देखें तो ये सेवाएं सामान्य नहीं कही जा सकतीं। आज भी ये खुद के संक्रमित होने का खतरा मोल ले रहे हैं, फिर भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ये अपने आप में राष्ट्र रक्षक की तरह कोरोना महामारी और हमारे बीच में शक्ति बनकर खड़े हैं। देश ऐसे सभी छोटे-बड़े व्यक्तियों और संगठनों का कृतज्ञ है।

मैं चाहता हूं कि 22 मार्च को ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें। यह तरीका भी सभी को जोड़ सकता है। जनता कर्फ्यू के दिन शाम 5 बजे हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर या बालकनी या खिड़कियों के सामने खड़े होकर 5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें। इसके लिए ताली बजाकर, थाली बजाकर, घंटी बजाकर हम उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें, उनका हौसला बढ़ाएं और उन्हें सैल्यूट करें। पूरे देश के स्थानीय प्रशासन से भी आग्रह है कि 22 मार्च को शाम 5 बजे सायरन से इसकी सूचना लोगों तक पहुंचाएं। सेवा परमोधर्म: को मानने वाले ऐसे देशवासियों के लिए हमें अपनी पूरी श्रद्धा के साथ भाव व्यक्त करने चाहिए।

आवश्यक सेवाओं, अस्पतालों पर दबाव नहीं बढ़ाना है : संकट के समय आपको यह भी ध्यान रखना है कि हमारी आवश्यक सेवाओं, हमारे अस्पतालों पर दबाव बढ़ना नहीं चाहिए ताकि डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को इस महामारी को प्राथमिकता देने की सुविधा बने। रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जाने की हमारी आदत से बचना चाहिए। जितना बच सकें, बचना चाहिए। आपको बहुत जरूरी लग रहा हो तो अपने फैमिली डॉक्टर या जान-पहचान के डॉक्टर से फोन पर ही आवश्यक सलाह ले लें। अगर आपने इलेक्टिव सर्जरी, जो बहुत आवश्यक न हो, उसकी तारीख ले रखी है तो इसे भी आगे बढ़ा दें।

कोई ऑफिस न आ पाए तो वेतन न काटा जाए : साथियों! इस वैश्विक महामारी का अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। हमने कोविड-19 इकोनॉमिक टास्क फोर्स के गठन का फैसला लिया है। यह टास्क फोर्स सभी राज्यों से फीडबैक लेते हुए, आकलन लेते हुए निकट भविष्य में फैसले लेगी। यह टास्क फोर्स यह भी सुनिश्चित करेगी कि जितने भी कदम उठाए जाएं, उन पर अमल हो। निश्चित तौर पर इस महामारी ने मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीब को भी क्षति पहुंचाई है। उच्च आय वर्ग से भी आग्रह है कि संभव हो तो जिन-जिन लोगों से आप सेवाएं लेते हैं, उनका ध्यान रखें। हो सकता है कि आने वाले दिनों में वे दफ्तर न आएं, तो उनका वेतन न काटें। पूरी संवेदनशीलता के साथ फैसला लें। हमेशा ध्यान रखें कि उन्हें भी अपना परिवार चलाना है और परिवार को बीमारी से बचाना है।

मैं देशवासियों को इस बारे में आश्वस्त करता हूं कि दूध, खाने-पीने का सामान, दवाइयां और जरूरी चीजों की कमी न हो, इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। ये सप्लाई कभी रोकी नहीं जाएगी। इसलिए जरूरी सामान संग्रह करने की होड़ न लगाएं। पैनिक बाइंग न करें। ये ठीक नहीं है। पिछले 2 महीने में 130 करोड़ भारतीयों ने देश के हर नागरिक ने देश के सामने आए संकट को अपना संकट माना है। भारत के लिए, समाज के लिए देशवासियों से जो बन पड़ा है, हर किसी ने किया है।

मुझे भरोसा है कि आने वाले समय में भी हम सभी देशवासी अपने कर्तव्यों और दायित्वों का इसी तरह निर्वहन करते रहेंगे। हां, मैं मानता हूं कि ऐसे समय में कुछ कठिनाइयां भी आती हैं। आशंकाओं और अफवाहों का वातावरण भी पैदा होता है। कई बार एक नागरिक के तौर पर हमारी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पातीं। फिर भी ये संकट ऐसा है कि एक देश भी दूसरे देश की मदद नहीं कर पा रहा है। ऐसे में देशवासियों को दृढ़ संकल्प के साथ कठिनाई का मुकाबला करने की आवश्यकता है।

मानव जाति विजयी हो, भारत विजयी हो : हमें अभी अपना सारा सामर्थ्य खुद को कोरोना से बचाने में लगाना है। आज देश में केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हों, पंचायतें हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस वैश्विक महामारी से बचाव के लिए अपना योगदान दे रहा है। आपको भी अपना पूरा योगदान देना है। ये जरूरी है कि वैश्विक महामारी के इस वातावरण में मानव जाति विजयी हो, भारत विजयी हो। कुछ दिन में नवरात्रि का पर्व आ रहा है। यह शक्ति उपासना का पर्व है। भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े। इस संकल्प को लेकर आवश्यक संयम करते हुए आओ, हम भी बचें, देश को भी बचाएं। जगत को बचाएं। मैं आग्रह करूंगा जनता कर्फ्यू और सेवा करने वालों का धन्यवाद अर्पित करने के लिए।
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