क्या Omicron का है कोई चीनी कनेक्शन, क्यों WHO ने इस नए वेरिएंट का नाम ओमिक्रॉन ही रखा?
पिछले दिनों कोरोना के बाद पूरी दुनिया की नजर चीन पर थी, क्योंकि चीन के वुहान शहर से ही यह वायरस निकला था। अब इस बात पर चर्चा हो रही है कि कोरोना के जिस स्ट्रेन ओमिक्रॉन से दुनिया में दहशत है, उसका भी चीनी कनेक्शन है। WHO के इस नए वेरिएंट का नाम Omicron रखने पर भी चर्चाहो रही है।
ओमिक्रॉन करीब 10 देशों में पहुंच चुका है। भारत में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। ओमिक्रॉन स्ट्रेन डेल्टा स्ट्रेन से 7 गुना ज्यादा तेजी से फैलता दिख रहा है। ओमिक्रॉन से दुनिया गहरी चिंता में है, लेकिन इसका चीन कनेक्शन भी सामने आया है। पिछले दिनों WHO ने इसका एलान करते हुए कहा था कि इसका नाम ओमिक्रोन रखा गया है।
दरअसल कोरोना की शुरुआत से ही डब्ल्यूएचओ पर चीन के दबाव में काम करने के आरोप लगते रहे हैं। अमेरिका से लेकर यूरोप के कई देश कहते रहे हैं कि WHO चीन का पक्ष ज्यादा लेता है। जब इस नए वेरिएंट के नामकरण की बारी आयी तो ग्रीक वर्णमाला के 15 अक्षर ओमिक्रॉन को चुना गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे पहले WHO ने जानबूझकर वेरिएंट के नामकरण में दो अक्षर क्यों छोड़े?
ग्रीक वर्णमाला का 13वां अक्षर- NU (V)
ग्रीक वर्णमाला का 14वां अक्षर- जाई (XI) , दोनों अक्षरों को छोड़ दिया गया
Nu यानि नए को उच्चारण की वजह से छोड़ दिया गया ताकि नया वायरस का कनफ्यूजन ना हो
लेकिन 14वां अक्षर- जाई (XI) छोड़ने पर विवाद हो गया
क्यों छोड़ा गया 14वां अक्षर जाई (XI)
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर मार्टिन कुलडॉर्फ ने इसकी मोटी मोटी वजह बताई है। उन्होंने कहा, WHO ने दो अक्षरों को इसलिए छोड़ा और नए वेरिएंट का नाम ओमिक्रॉन इसलिए रखा, ताकि कोरोना वेरिएंट को 'शी' वेरिएंट न कहना पड़े। जी हां, क्योंकि शी तो चीनी राष्ट्पति शी जिनपिंग के नाम का पहला अक्षर है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नाम से समानता होने के कारण ही Xi (शी) लेटर को छोड़ने पर सोशल मीडिया पर ये बात ट्रेंड करने लगी कि वायरस का नाम रखने तक के लिए WHO चीन से डर गया। दुनियाभर में आलोचना होती देख डब्ल्यूएचओ प्रवक्ता ने सफाई दी, कि XI को इसलिए छोड़ा क्योंकि ये आम उपनाम है।
कोरोना काल में लगातार ये थ्यौरी आती रही कि कोरोना वायरस चीन से निकला है। उस दौरान के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातर चीन पर हमलावर रहे। वो बार-बार कहते रहे कि वो चीन के लैब्स में इसकी जांच करना चाहता है और WHO पर लगातार चीन का साथ देने और उससे डरने का आरोप लगाते रहे।