कोविड-19 के मरीजों पर पतंजलि की दवाओं के ‘क्लीनिकल ट्रायल’ को मंजूरी नहीं दी, इंदौर प्रशासन ने बताया अफवाह
इंदौर। सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद जिला प्रशासन ने शनिवार को इस बात से इंकार किया कि उसने योग गुरु रामदेव के पतंजलि समूह की कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को कोविड-19 के मरीजों पर चिकित्सकीय रूप से परखे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
स्थानीय मीडिया में छपी खबरों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जिला प्रशासन पर निशाना साधा है। इन खबरों में दावा किया गया है कि कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को कोविड-19 के मरीजों पर परखे जाने को लेकर पतंजलि समूह के प्रस्ताव को प्रशासन ने हरी झंडी दिखा दी है।
सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि मरीजों पर दवाओं के चिकित्सकीय परीक्षण की मंजूरी सरकार की नियामकीय संस्थाएं देती हैं और प्रशासन को इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को अनुमति देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी मनीषसिंह ने पीटीआई से कहा कि अव्वल तो एलोपैथी दवाओं की तरह आयुर्वेदिक औषधियों के मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल (चिकित्सकीय परीक्षण) किए ही नहीं जाते। बहरहाल, हमने पतंजलि समूह की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर इस तरह के किसी ट्रायल की फिलहाल कोई औपचारिक मंजूरी नहीं दी है।
सिंह ने हालांकि पतंजलि के नाम का जिक्र किए बगैर बताया कि जिले के क्वारंटाइन में रखे गए कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें एलोपैथी दवाओं के साथ ही अश्वगंधा और अन्य जड़ी-बूटियों से बनी आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जा रही हैं। डॉक्टर इन मरीजों की सेहत पर बराबर निगाह रख रहे हैं।
प्रदेश सरकार के एक आला अधिकारी ने बताया कि पतंजलि समूह की एक इकाई ने इंदौर में कोविड-19 के मरीजों की सहमति लेने के बाद उन पर अपनी कुछ आयुर्वेदिक दवाओं का असर परखने की मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव हाल ही में भेजा है।
इस प्रस्ताव को जिलाधिकारी की ओर बढ़ाया गया था। इंदौर देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है और महामारी का प्रकोप कायम रहने के कारण यह रेड जोन में बना हुआ है। (भाषा)