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Last Updated : मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021 (20:47 IST)

बीते 24 घंटों में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना से कोई मौत नहीं, सीरो सर्वे में खुलासा 70 प्रश आबादी पर अभी भी संक्रमण का खतरा

बीते 24 घंटों में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना से कोई मौत नहीं, सीरो सर्वे में खुलासा 70 प्रश आबादी पर अभी भी संक्रमण का खतरा - india covid updates no coronovirus deaths in last 24 hours in 15 states union territories says centre
नई दिल्ली। केंद्र ने मंगलवार को कहा कि पिछले 3 हफ्ते में 7 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोविड-19 से मौत का कोई नया मामला नहीं आया है, वहीं पिछले 24 घंटे में 15 राज्यों में संक्रमण से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई।
केंद्र ने रेखांकित किया कि अंतिम राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के परिणाम से पता चला कि देश की 70 प्रतिशत आबादी के लिए संक्रमण का खतरा अभी भी बना हुआ है।
 
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि 7 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों - अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, दादरा और नागर हवेली, मिजोरम, नगालैंड और लक्षद्वीप से पिछले तीन हफ्ते में कोविड-19 का कोई नया मामला नहीं आया है।
 
भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत पिछले 24 दिनों में कोविड-19 से बचाव के लिए सबसे तेजी से 60 लाख लोगों का टीकाकरण करने वाला देश बन गया है।
 
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि कोविड-19 के टीकाकरण अभियान में देश में कुछ राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है वहीं कुछ राज्यों को अभी सुधार करने की जरूरत है।
 
उन्होंने कहा कि 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 65 प्रतिशत से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण हुआ है। इनमें बिहार (78.1 प्रतिशत), त्रिपुरा (77.1 प्रतिशत), मध्यप्रदेश (76 प्रतिशत), उत्तराखंड (73.7 प्रतिशत), ओडिशा (72.4 प्रतिशत), मिजोरम (69.9 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (68.7 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (68 प्रतिशत), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (67.9 प्रतिशत), राजस्थान (67.2 प्रतिशत), केरल (66.9 प्रतिशत), लक्षद्वीप (66.7 प्रतिशत) हैं। 
 
भूषण ने कहा कि दूसरी तरफ 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 40 प्रतिशत से कम स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण हुआ है। इनमें पुडुचेरी (15.4 प्रतिशत), मणिपुर (21.3 प्रतिशत), नगालैंड (21.5 प्रतिशत), मेघालय (24.3 प्रतिशत), चंडीगढ़ (28.7 प्रतिशत), पंजाब (34.1 प्रतिशत), दादरा और नागर हवेली (34.5 प्रतिशत), लद्दाख (35.8 प्रतिशत), जम्मू-कश्मीर (37.5 प्रतिशत) और दिल्ली (38 प्रतिशत) हैं।
उन्होंने कहा कि हम इन राज्यों के साथ लगातार संपर्क में हैं और उनसे टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने को कहा गया है। भूषण ने कहा कि 5 फरवरी को राष्ट्रीय (टीकाकरण के बाद दुष्प्रभाव जानने के लिए) एईएफआई कमेटी की बैठक में कोविड-19 टीकाकरण के बाद एईएफआई के 8 मामलों पर चर्चा की गयी। 
 
उन्होंने कहा कि इन आठ मामलों में पांच मामलों (दो लोगों की मौत, तीन भर्ती) का विश्लेषण किया गया। अस्पताल में भर्ती किए गए सभी लोगों को छुट्टी दे दी गई। 2 लोगों में एनाफिलिक्स (टीकाकरण के बाद प्रतिक्रिया)का पता चला। उन्होंने कहा कि अन्य मौतों में टीकाकरण से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया। इस बारे में आगे सूचना सार्वजनिक की जाएगी। उन्होंने कहा कि अफ्रीका में मिले कोरोनावायरस के स्वरूप का मामला भारत में नहीं आया है लेकिन निगरानी की जा रही है।
 
स्वान दस्तों का सहारा ले रही सेना : कोविड-19 की चिकित्सकीय जांच में लगने वाले समय को कम करने के लिए देश में पहली बार सेना इस बीमारी का तेजी से पता लगाने के वास्ते अपने स्वान दस्तों का सहारा ले रही है।
 
सूंघने की जबरदस्त क्षमता के लिए पहचाने जाने वाले स्वान दस्तों के ये सदस्य विस्फोटक और मादक पदार्थों का पता लगाने के साथ ही खोज एवं बचाव कार्यों समेत अन्य चुनौतीपूर्ण कार्यों में मददगार साबित होते हैं। अब इन्हें एक और जिम्मेदारी मिल गई है।
 
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु से आने वाली प्रजाति के दो कुत्तों को पसीने एवं मूत्र के नमूनों को सूंघकर कोविड-19 का पता लगाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
 
वास्तविक नमूनों का उपयोग करके मंगलवार को दिल्ली छावनी स्थित सैन्य पशु चिकित्सालय में इनकी काबिलियत का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान, इनको संभालने वाले लोग पीपीई किट पहने रहे।
 
उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित रिमाउंट वेट्रीनरी कॉर्प्स सेंटर के स्वान प्रशिक्षिण केंद्र के संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल सुरिंदर सैनी ने कहा कि यह कुत्ते ना केवल सेना के लिए बल्कि पूरे देश के सबसे बेहतरीन स्वान सदस्यों में से एक हैं।
 
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, फिनलैंड, फ्रांस, रूस, जर्मनी, लेबनान, यूएई और अमेरिका जैसा देशों में पहले ही कोविड-19 का पता लगाने के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित किया गया है। विदेशों में पहले भी मलेरिया, मधुमेह और पार्किंसंस जैसे रोगों का पता लगाने में इनका उपयोग किया जाता था। हालांकि, भारत में पहली बार चिकित्सा संबंधी जानकारी का पता लगाने के लिए कुत्तों का उपयोग किया गया है। (भाषा)