रविवार, 1 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. ICMR on Hydroxychloroquine
Written By
Last Updated : बुधवार, 27 मई 2020 (08:32 IST)

ICMR का बयान, Hydroxychloroquine का कोई दुष्प्रभाव नहीं, कर सकते हैं कोरोना में इस्तेमाल

ICMR का बयान, Hydroxychloroquine का कोई दुष्प्रभाव नहीं, कर सकते हैं कोरोना में इस्तेमाल - ICMR on Hydroxychloroquine
नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को कहा कि भारत में हुए अध्ययनों में मलेरियारोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का कोई प्रमुख दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है और इसका प्रयोग कोविड-19 के एहतियाती इलाज में सख्त चिकित्सा पर्यवेक्षण में जारी रखा जा सकता है।
आईसीएमआर का यह बयान ऐसे समय आया है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोविड-19 के संभावित इलाज के लिए चल रहे एक वैश्विक औषधि परीक्षण से, सुरक्षा संबंधी चिंता के मद्देनजर वह अस्थायी रूप से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को हटाएगा। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ को उसके निर्णय को लेकर सोमवार रात में एक ई-मेल भेजा।
एक सूत्र ने कहा कि डब्ल्यूएचओ को अवगत कराया गया कि परीक्षण को अस्थायी रूप से स्थगित करने से पहले शायद सभी रिपोर्ट पर विचार नहीं किया गया। यही बात अन्य दवाओं के परीक्षण में भी रही होगी जिनके परीक्षण में भी अलग-अलग रिपोर्टें आ रही हैं। आईसीएमआर से भी मशविरा नहीं किया गया, जो भारत में परीक्षण कर रहा है।
 
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में जानकारी धीरे-धीरे सामने आ रही है और हमें नहीं पता कि कौन सी दवा काम कर रही है और कौन सी दवा काम नहीं कर रही है? कई दवाएं कोविड-19 के लिए इस्तेमाल के लिए निर्धारित की जा रही हैं, चाहे वे इससे बचाव के लिए हों या इलाज के लिए।
 
उन्होंने मंगलवार को यहां कहा कि इन 6 सप्ताह के दौरान हमें भारत में कुछ आंकड़े मिले, मुख्य तौर पर विश्लेषणात्मक अध्ययन और कुछ मामला नियंत्रण अध्ययन। हमने पाया कि मिचली आने, उल्टी आने और बेचैनी होने को छोड़कर कोई प्रमुख दुष्प्रभाव नहीं पाया है। इसलिए हम हमारे परामर्श में सिफारिश करते हैं कि इसका इस्तेमाल बचाव के लिए जारी रखना चाहिए, क्योंकि इससे कोई हानि नहीं है और लाभ जरूर हो सकता है।
 
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर सलाह दी गई है कि एचसीक्यू भोजन के साथ लेनी चाहिए, खाली पेट नहीं। उन्होंने कहा कि हमने इस बात पर भी जोर दिया है कि इलाज के दौरान ईसीजी किया जाना चाहिए। हमने एचसीक्यू के संभावित लाभ पर विचार करते हुए इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के अलावा कोविड-19 की रोकथाम में अग्रिम मोर्चे पर लगे कर्मियों पर भी करना शुरू किया है।
 
भार्गव ने कहा कि क्लोरोक्वीन एक बहुत पुरानी मलेरियारोधी दवा है जिसका इस्तेमाल करीब 100 वर्षों से किया जा रहा है और यह सुरक्षित भी है और इसका मलेरिया के लिए व्यापक इस्तेमाल किया जाता है।
 
उन्होंने कहा कि यह बहुत लोकप्रिय दवा थी, जब अमेरिकी सरकार ने भी इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया और उन्होंने इसके लिए त्वरित इस्तेमाल और आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी भी ली। हमने यह भी सोचा कि यह कोविड-19 से बचाव के लिए एक उपयोगी दवा होगी। उन्होंने कहा कि एचसीक्यू के जोखिम-लाभ अध्ययन एम्स, आईसीएमआर और दिल्ली में 3 सरकारी अस्पतालों में भी किए गए।
 
उन्होंने कहा कि हमने जोखिम और लाभों को देखते हुए पाया कि हमें कोविड-19 रोगियों के साथ काम करने वाले हमारे अग्रिम मोर्चे के कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसको देने से इंकार नहीं करना चाहिए। साथ ही हमने यह भी कहा है कि पीपीई का उपयोग जारी रखा जाना चाहिए।
 
भार्गव, कोविड-19 पर देश में स्थिति को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। वहां उन्होंने उल्लेख किया कि आईसीएमआर ने जांच सुविधाएं बढ़ाई हैं और प्रतिदिन 1 लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोविड-19 मामलों के ठीक होने की दर में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है। उन्होंने कहा कि देश में ठीक होने की दर में सुधार जारी है और यह वर्तमान में 41.61 प्रतिशत है। (भाषा)
ये भी पढ़ें
मध्यप्रदेश में 21 तो इंदौर में 30 दिन में दोगुने हो रहे Corona के मरीज, रिकवरी रेट भी 53 फीसदी