साहस को सलाम : कर्तव्य को डिगा नहीं पाया नक्सलियों का डर, स्कूटी से 180 किमी का सफर तय कर कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी देश की डॉक्टर बेटी
नागपुर। यात्रा की सुविधा नहीं थी, लेकिन युवा डॉक्टर ने बालाघाट से नागपुर तक सीधे 180 किमी की यात्रा की। नक्सली इलाका होने के बावजूद वो घबराई नहीं। कोरोना के डर से देश रिश्तेदारों-मित्रों के अलगाव की तस्वीर देख रहा है। स्वास्थ्य कर्मचारी, डॉक्टर, सेवक अपने जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं। इसी बीच देश की एक बेटी ने पूरा देश को अभिमान होगा, ऐसा काम किया है। छुट्टी पर घर पहुंची युवा डॉक्टर को कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से अपने कर्तव्य पर लौटना था, परंतु यात्रा करने में दिक्कत आ रही थी इसलिए उसने स्कूटी पर सवार होकर अपने गंतव्य पर पहुंचने का निर्णय लिया।
दुपहिया पर 180 किमी दूरी तय कर वह बालाघाट से नागपुर वापस आई। रास्ते में नक्सली इलाके से गुजरने की हिम्मत दिखाते उसने अपना लक्ष्य पूरा किया। इस युवती का नाम डॉक्टर प्रज्ञा घरडे है। पेशे से डॉक्टर प्रज्ञा नागपुर के निजी अस्पताल के कोविड सेंटर में सेवा दे रही हैं। मध्यकाल में परिस्थिति सामान्य थी, तब प्रज्ञा मध्यप्रदेश के बालाघाट में अपने घर पर छुट्टी मनाने पहुंची थीं। परंतु पिछले कुछ दिनों से कोरोना के फिर तांडव मचाने के बाद स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव-तनाव बढ़ गया और डॉक्टर्स को फिर से बुलाया गया। इसलिए प्रज्ञा ड्यूटी पर लौटना चाहती थी। लेकिन लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र से आने वाली बसों या ट्रेनों में कोई जगह नहीं थी।
प्रज्ञा के सामने बड़ा सवाल यह था कि ऐसे समय में ड्यूटी पर कैसे लौटा जाए? समस्या बड़ी होने के बावजूद प्रज्ञा ने हार नहीं मानी और एक विकल्प ढूंढ लिया। आखिरकार प्रज्ञा ने स्कूटी पर बालाघाट से नागपुर तक 180 किमी की यात्रा करने का फैसला किया। लौटते वक्त जंगल और नक्सल प्रभावित इलाके से गुजरना ये बड़ा डर था। परिवार के सदस्य और रिश्तेदार उसे भेजने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे। लेकिन प्रज्ञा दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादों पर अड़ी रहीं।
प्रज्ञा ने तैयारी की और स्कूटी पर अपना सामान लेकर यात्रा शुरू की। निरंतर 7 घंटे की यात्रा करने के बाद प्रज्ञा 180 किमी दूरी तय कर नागपुर पहुंचीं। अब वे कोरोनाबाधित मरीजों की सेवा में जुट गई हैं। प्रज्ञा ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उसे 7 घंटे की यात्रा में रास्ते में कहीं भी खाने-पीने की व्यवस्था नहीं मिल पाई। उसके पास सामान भी अधिक था और तेज चढ़ती धूप की वजह से यात्रा करना इतना आसान न था। फिर भी अपने काम पर लौटने की संतुष्टि अधिक सुकून देने वाली थी।
प्रज्ञा नागपुर के कोविड अस्पताल में प्रतिदिन 6 घंटे सेवा देती हैं। यहां वे आरएमओ के पद पर हैं। इसके अलावा वे हर शाम पाली के एक अस्पताल में मरीजों का इलाज करती हैं इसलिए उसे पीपीई किट पहनकर 12 घंटे से अधिक काम करना पड़ता है।