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Last Updated : मंगलवार, 25 मई 2021 (22:18 IST)

विधायक आतिशी की केंद्र सरकार से कोवैक्सीन डोज उपलब्ध करवाने की मांग

विधायक आतिशी की केंद्र सरकार से कोवैक्सीन डोज उपलब्ध करवाने की मांग - Atishi's demand from the Central Government to provide cocaine dose
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने कहा कि युवाओँ के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया आज से पूरी तरह से बंद हो चुकी है। कोवैक्सीन और कोविशील्ड का स्टॉक युवाओं के लिए उपलब्ध नहीं है। केंद्र सरकार से दिल्ली को मई में 8.17 लाख वैक्सीन की डोज मिली थीं। अगले महीने सिर्फ 4.01 लाख वैक्सीन की डोज मिलेंगी। दिल्ली के युवाओं के लिए फ्री वैक्सीन की डोज अब खत्म हो गई हैं, जबकि निजी अस्पतालों में महंगी दरों पर वैक्सीन उपलब्ध है।

 
दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 800 रुपए से 1300 रुपए में डोज लग रही हैं। निजी अस्पताल में वैक्सीन की 1 डोज लगवाने के लिए हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं, 5 लोगों के परिवार को वैक्सीनेट करवाने के लिए 10 हजार रुपए खर्च करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को मुफ्त वैक्सीन लगाने वाली दिल्ली की सरकार के पास आज वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। निजी अस्पताल में महंगी दरों पर वैक्सीन उपलब्ध है। युवाओं के साथ सरासर अन्याय है कि सरकार जो फ्री वैक्सीनेशन कर रही है उन्हें स्टॉक नहीं मिल रहा जबकि निजी अस्पतालों को वैक्सीन कंपनियां महंगे दामों पर वैक्सीनेशन दे रही हैं। पूरी दुनिया के बड़े-बड़े देश फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन को अनुमति दे सकते हैं तो भारत सरकार अनुमति क्यों नहीं दे रही है।
 
दिल्ली के युवा जानना चाहते हैं कि दिल्ली को वैक्सीन कब मिलेगी, केंद्र सरकार कब फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को अनुमति देगी। केंद्र सरकार की इन दोनों वैक्सीन कंपनियों से क्या सांठगांठ है। दुनिया भर में अलग-अलग वैक्सीन कंपनियों को अनुमति दे दी गई है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में शनिवार और रविवार को 68,946 लोगों को वैक्सीन लगाई गई, जिसमें से 49,163 लोगों को पहली और 19,783 लोगों को दूसरी डोज लगाई गई है। दिल्ली में अभी तक 50.80 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। 45 वर्ष से अधिक उम्र की श्रेणी के लिए आज कोविशील्ड की डेढ़ लाख डोज मिली हैं। कोविशील्ड का 14 दिन का वैक्सीनेशन स्टॉक उपलब्ध है। दिल्ली में 45 वर्ष से अधिक उम्र की श्रेणी के लिए कोवैक्सीन आज के बाद समाप्त हो जाएगी।

 
केंद्र सरकार से अपील है कि कोवैक्सीन की डोज जरूर उपलब्ध करवाएं। आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने सोमवार को वैक्सीनेशन बुलेटिन जारी किया। विधायक आतिशी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों और स्कूल में रविवार को वैक्सीनेशन बंद रहता है लेकिन कुछ निजी अस्पतालों में वैक्सीनेशन किया गया है। ऐसे में शनिवार और रविवार को दिल्ली में 68,946 लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई गई हैं। जिसमें से 49,163 लोगों को पहली और 19,783 लोगों को दूसरी डोज लगाई गई है। ऐसे में दिल्ली में अभी तक 50.80 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। 45 वर्ष से अधिक उम्र की श्रेणी, फ्रंटलाइन वर्कर और हेल्थ केयर वर्कर को कुल मिलाकर 45,94,250 डोज मिली हैं, जिसमें से 43,79,070 डोज लगाई जा चुकी हैं। अब दिल्ली के पास 2.15 लाख वैक्सीन की डोज बची हैं। 45 वर्ष से अधिक उम्र की श्रेणी के लिए आज कोविशील्ड की डेढ़ लाख डोज भारत सरकार से मिली हैं। इसके साथ कोविशील्ड का 14 दिन का वैक्सीनेशन स्टॉक अब हमारे पास उपलब्ध है।
 
उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोवैक्सीन की स्थिति अभी भी काफी गंभीर है, क्योंकि दिल्ली में कोवैक्सीन आज के बाद समाप्त हो जाएगी। यह चिंता का विषय है क्योंकि बहुत सारे लोगों को कोवैक्सीन की पहली डोज लगे 4 से 5 सप्ताह हो चुके है। अब उनके वैक्सीनेशन के लिए कोवैक्सीन उपलब्ध नहीं है। अगर आपको एक वैक्सीन की 1 डोज लगी हो तो उसी वैक्सीन की दूसरी डोज लगना जरूरी है। अगर दूसरी डोज नहीं लगेगी तो पहली डोज भी एक तरह से खराब मान ली जा सकती है। इसलिए केंद्र सरकार से अपील है कि कोवैक्सीन की डोज जरूर उपलब्ध करवाएं। दिल्ली में बहुत सारे लोग कोवैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने का इंतजार कर रहे हैं।
 
विधायक आतिशी ने कहा कि दिल्ली में युवाओं की वैक्सीनेशन ड्राइव मई में बहुत ही जोरों से शुरु की गई थी। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में युवा आगे आकर अपने आप को वैक्सीनेट करवा रहे थे। लेकिन युवाओँ के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया आज से पूरी तरह से बंद हो चुकी है। सिर्फ कुछ ऐसे स्कूल हैं जिनके पास वैक्सीन की मामूली डोज बची हुई थी। दिल्ली के 10 से 12 स्कूलों में आज युवाओं का वैक्सीनेशन किया गया है, लेकिन आज के बाद से युवाओं की वैक्सीनेशन दिल्ली में बिल्कुल बंद हो गई है। क्योंकि कोवैक्सीन और कोविशील्ड का स्टॉक अब युवाओं के लिए दिल्ली में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में दिल्ली में कोवैक्सीन और कोविशील्ड का स्टॉक खत्म हो चुका है।
 
दिल्ली सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की वैक्सीनेशन युवाओं के लिए नहीं की जा रही है। यह एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है क्योंकि दूसरी लहर में देखा कि बहुत सारे युवाओं को गंभीर कोविड संक्रमण हुआ और बहुत युवाओं ने अपनी जान भी गवाई है। इन्हीं युवा लोगों को अब लॉकडाउन खुलने के बाद घर से बाहर जाकर नौकरियां करनी है। वर्तमान में युवा बहुत बड़े रिस्क में है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इनके लिए दिल्ली को वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवाई है। केंद्र सरकार से मई महीने में दिल्ली को 8.17 लाख वैक्सीन का स्टॉक मिला था। लेकिन अगले महीने के लिए केंद्र सरकार से इसका आधा ही कमिटमेंट आया है। पूरे अगले महीने में दिल्ली को सिर्फ 4.01 लाख वैक्सीन की डोज मिलेंगी।
 
उन्होंने कहा कि पंजीकरण करने के लिए कोविन ऐप खोलेंगे तो कहीं पर भी फ्री वैक्सीनेशन अब आपको नहीं मिलेगा। दिल्ली में अब वैक्सीनेशन सिर्फ और सिर्फ निजी अस्पतालों में हो रहा है। जहां पर वैक्सीन महंगी दरों पर वैक्सीन उपलब्ध है। मैंने अभी इस बुलेटिन से पहले कोविन ऐप खोला तो पता चला कि दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में कोविशील्ड की 1 डोज 850 रुपए में लग रही है और कोवैक्सीन कि डोज 1250 में लगाई जा रही है। इसके अलावा एक और बड़ा अस्पताल कोविशील्ड की डोज 900 रुपए में लगा रहा है जबकि कोवैक्सीन की 1250 में लगा रहा है। एक अन्य निजी अस्पताल में कोवैक्सीन की डोज 1350 रुपए में लग रही है।
 
 
विधायक आतिशी ने कहा कि एक व्यक्ति को वैक्सीन की 1 डोज लगवाने के लिए निजी अस्पताल में हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में 5 लोगों के पूरे परिवार को वैक्सीनेट करवाने के लिए 10 हजार रुपए खर्च करने पड़ेंगे। दिल्ली में कितने ऐसे परिवार हैं जो अपने परिवार के सभी सदस्यों को वैक्सीन लगवाने के लिए 10 हजार रुपए खर्च कर सकते हैं। इतनी परिवारों का पूरा महीने का खर्चा 10 हजार रुपए होता है। दिल्ली में आज ऐसे हालात हो गए हैं कि निजी अस्पतालों के अलावा युवा लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए और कोई तरीका नहीं बचा है। एक बहुत बड़ा सवाल है कि सरकार को वैक्सीन नहीं मिल रही है लेकिन निजी अस्पतालों में वैक्सीन उपलब्ध है।
 
वैक्सीन उत्पादकों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि निजी अस्पतालों से लेकर राज्य सरकार को वैक्सीन बेचने का शेड्यूल केंद्र सरकार तय करती है। केंद्र सरकार का कैसा न्याय है कि युवाओं को मुफ्त वैक्सीन लगाने वाली दिल्ली की सरकार के पास आज वैक्सीन की 1 डोज उपलब्ध नहीं है। निजी अस्पताल जो 800 से 1300 रुपए प्रति डोज वैक्सीन के लिए ले रहे हैं, उनके पास वैक्सीन उपलब्ध है। 
 
उन्होंने कहा कि सवाल उठ रहा है कि क्यों इन सारे वैक्सीन उत्पादकों को महंगे दामों पर वैक्सीन बेचने की अनुमति दी जा रही है। एक समय ऐसा था जब कोविशील्ड की 1 डोज 2 डॉलर से कम में बेची जा रही थी यानी कि 150 रुपए में बेची जा रही थी। उस समय परॉ सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ ने कहा था कि 150 रुपए प्रति डोज पर भी उनको फायदा है।
 
हालांकि ज्यादा फायदा नहीं है लेकिन फायदा है। वहीं सरकारों को आज 400 रुपए प्रति डोज के हिसाब से वैक्सीन मिल रही है। केंद्र सरकार ने भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट को अपनी वैक्सीन का 25 फ़ीसदी हिस्सा निजी अस्पतालों को बेचने की अनुमति दी है, जो कि महंगे दामों पर बेची जा सकती है। ऐसे में यह कंपनियां 600 प्रति डोज से भी ज्यादा कीमत पर निजी अस्पतालों को अपनी वैक्सीन बेच रही है। यह सरासर अन्याय है कि यहां पर सरकार फ्री वैक्सीनेशन दे सकती हैं वहां वैक्सीन नहीं मिल रही, लेकिन इन कंपनियों को निजी अस्पतालों को महंगे दामों पर वैक्सीनेशन देने का अधिकार है।
 
विधायक आतिशी ने कहा कि एक बड़ा सवाल यह भी है कि केंद्र सरकार की इन दोनों वैक्सीन कंपनियों से क्या सांठगांठ है। दुनिया भर में अलग-अलग वैक्सीन कंपनियों को अनुमति दे दी गई है लेकिन भारत की सरकार इन दो वैक्सीन कंपनियों के ही पीछे पड़ी हुई है। दुनिया में फाइजर, मॉडर्ना जॉनसन एंड जॉनसन और स्पूतनिक सहित कई वैक्सीन कंपनियां है। स्पूतनिक की वैक्सीन रूस में अगस्त से लगाई जा रही है, जिसको फरवरी तक 68 देशों ने अनुमति दे दी थी। भारत में फरवरी में स्पूतनिक वैक्सीन को अनुमति देने से इंकार कर दिया गया। आखिर क्यों मना कर दिया गया जबकि हमारे देश की बड़ी जनसंख्या ने कोरोना का भयंकर कहर झेला है। जिस वैक्सीन को 68 देशों में अनुमति मिल गई उसको भारत में मना क्यों किया गया। स्पूतनिक को अब अप्रैल में आखिरकार अप्रूवल दिया है। लेकिन 3 महीने का बहुमूल्य समय निकल गया। स्पूतनिक वैक्सीन दूसरी लहर से पहले दिल्ली-मुंबई सहित देशभर के लोगों को उपलब्ध हो सकती थी और हजारों लोगों की जान बच सकती थी।
 
उसी तरह से फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को तकरीबन दुनिया के हर देश ने अनुमति दे दी है। अमेरिका ने दिसंबर 2020 में फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन को अनुमति दे दी थी। ब्रिटेन ने फाइजर की वैक्सीन को दिसंबर में अनुमति दे दी थी। फाइजर की वैक्सीन को दुनिया भर में 85 देशों ने अप्रूवल दिया हुआ है। मॉडर्ना की वैक्सीन को 46 देशों ने इमरजेंसी इस्तेमाल को अनुमति दी हुई है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को 41 देशों ने अनुमति दी हुई है। जब पूरी दुनिया के बड़े-बड़े देश इन वैक्सीन को अनुमति दे सकते हैं तो भारत अनुमति क्यों नहीं दे सकता। ऐसी क्या बात है कि केंद्र सरकार ने सिर्फ भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन को ही अनुमति दी हुई है। ऐसा तो नहीं है कि यह दोनों कंपनियां इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन बना पा रही हैं कि भारत की पूरी जनसंख्या को आसानी से वैक्सीनेट कर पाएं। इस सवाल का जवाब केंद्र सरकार को देना होगा कि क्यों हमने इतनी बड़ी-बड़ी कंपनियों की वैक्सीन को अनुमति नहीं दी। ऐसी वैक्सीन जिनको दुनिया के कई देशों ने अनुमति दे दी।

 
उन्होंने बताया कि दिल्ली के युवा आज परेशान हैं क्योंकि उन्हें पता है कि दिल्ली में अब उन्हें वैक्सीन नहीं लग पाएगी और कुछ दिन में लॉकडाउन खुलने वाला है। युवाओँ को नौकरी पर वापस जाना पड़ेगा और बस-मेट्रो से सफर करना पड़ेगा। अब उन्हें ऑफिस में जाना पड़ेगा लेकिन वह सुरक्षित नहीं है, क्योंकि भारत में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है जबकि दुनियाभर में फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन लग रही है लेकिन भारत की केंद्र सरकार ने सिर्फ दो वैक्सीन कंपनियों को अनुमति दी हुई है। दिल्ली के युवा जानना चाहते हैं कि दिल्ली को वैक्सीन कब मिलेगी। केंद्र सरकार कब फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को अनुमति देगी। केंद्र सरकार कब दिल्ली के युवाओं को वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी।