शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
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ईसा मसीह के 12 शिष्य : सेंट थॉमस को जानिए

st thomas | ईसा मसीह के 12 शिष्य : सेंट थॉमस को जानिए
ईसा मसीह के 12 शिष्य थे जिनके नाम इस प्रकार है- 1. पीटर 2. एंड्रयू 3. जेम्स (जबेदी का बेटा) 4. जॉन 5. फिलिप 6. बर्थोलोमियू 7. मैथ्यू 8. थॉमस 9. जेम्स (अल्फाइयूज का बेटा), 10. संत जुदास 11. साइमन द जिलोट 12. मत्तिय्याह। आओ जानते हैं सेंट थॉमस के बारे में।
 
 
1. सेंट थॉमस : माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत केरल के तटीय नगर क्रांगानोर में हुई जहां, किंवदंतियों के मुताबिक, ईसा के बारह प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस ईस्वी सन 52 में पहुंचे थे। हालांकि इस संबंध में विवाद भी है कि वे भारत आए थे या नहीं? फिर भी कहा जाता है कि उन्होंने उस काल में सर्वप्रथम एक नदी के किनारे तर्पण कर रहे कुछ नम्बूदरी ब्राह्मणों को ईसाई धर्म की शिक्षा दी और उन्हें ईसाई बनाया था। हालांकि इस बात पर भी विवाद है कि उन्होंने ऐसा किया था या नहीं?
 
 
यह भी कहा जाता है कि उन्होंने आदिवासियों को ईसाई बनाया था जिसके चलते आदिवासियों में बहुत रोष था। इसी रोष के चलते चेन्नई शहर के एक माऊंट पर 72 ईस्वी में संत थॉमस एक आदिवासी भील के भाले से मारे गए थे। उस पहाड़ को आजकल सेंट थॉमस माऊंट कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि 52 ईस्वी से 72 ईस्वी के बीच सेंट थॉमस ने केरल ही नहीं बल्कि तमिलनाडु, बंगाल से होते हुए मिजोरम एवं नगालैंड तक की यात्रा की थी। हालांकि इस संबंध में कोई पुख्‍ता सबूत नहीं है।
 
 
सीरियाई ईसाई चर्च दक्षिण भारत में सेंट थॉमस के आगमन का संकेत देता है और कहता है कि उन्होंने सर्वप्रथम नम्बूदरी ब्राह्मणों को ईसाई बनाया था। हालांकि इसके कोई प्रामाण नहीं है, क्योंकि हिन्दुओं के अनुसार पहली शताब्दी में नम्बूदरी ब्राह्मण उस जगह नहीं रहते थे और ना ही चौथी शताब्दी से पूर्व कोई ईसाई रहता था।
 
 
ऐसा कहा जाता है कि थॉमस नामक एक पादरी के नेतृत्व में कुछ ईसाई शरणार्थी 345 ईस्वी में भारत आए और तिरुवंचिकुलम के आसपास बस गए। उस वक्त वहां हिन्दुओं की नैयार जाति का वर्चस्व था। धीरे-धीरे ईसाई प्राचार के माध्यम से वहां उन्होंने उसी जाति के समान अपनी स्थिति को मजबूत बनाया। कुछ इतिहासकारों के अनुसार फिर 16वीं सदी में फ्रांसिस और पुर्तिगालियों के आने के बाद उन्होंने अपने धर्म का क्रूसेड के माध्यम से विस्तार किया और तब रोमन, फ्रांसिस और पुर्तगालियों जैसे चर्च बनाए गए। हालांकि इसमें कितनी सचाई है यह जानना मुश्‍किल है।
 
 
मान्यता अनुसार ईसाई बने लोग पहले मलनकरा (मलियान्कारा), पलयूर, कोट्टाकावू, कोक्कामंगलम, निरनम, कोल्लम तथा चायल में बसे थे। इन सभी जगहों पर आज कई बड़े-बड़े चर्च बने हुए हैं। हालांकि केरल के हिन्दू और ईसाई समुदायों में आपसी रिश्ता है और वे सभी भाईचारे के साथ रहते हैं, क्योंकि सभी के रिश्‍ते एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। केरल में ही एक प्राचीन चर्च है जिसका नाम सेंट थॉमस चर्च है और जिसे 1598 में पुर्तगालियों ने बनवाया था। कोच्चि से 52 किलोमीटर दूर स्थित मलयात्तूर चर्च सेंट थॉमस को समर्पित है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार भारत में जितने भी पुराने चर्च हैं वे सभी 15वीं से 17वीं सदी के मध्य के चर्च हैं। सेंट फ्रांसिस चर्च केरल के कोचीन में स्थित भारत के सबसे पुराने चर्च में से एक है। जिसे 1508 में बनाया गया था।