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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

पृथ्वीराज चव्हाण : 2011 तक रखें सावधानी

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के सितारे

पृथ्वीराज चव्हाण
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इंदौर में 17 मार्च 1946 को जन्मे और वर्तमान में पदस्थ हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का जन्म धनु राशि-लग्न में हुआ।

धनु राशि वालों का स्वामी गुरु है व यह राशि अग्नि तत्व प्रधान राशि होने से ऐसे जातक साहसी, कूटनीतिज्ञ और अपने कार्य के प्रति ईमानदार होते है। यही कारण है कि आपको सोनिया गाँधी ने महाराष्ट्र की कमान सोपी है।

आइए जानते हैं क्या कहते हैं आपके सितारे :-

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आपके जन्म समय व शपथ के समय लग्नस्थ सितारे थे। राशि लग्न का स्वामी गुरु द्वादश भाव में अपने मित्र मंगल की वृश्चिक राशि में उच्च के केतु के साथ है जो जन्मस्थान से दूर सफलता को देने वाला होता है। अतः आप महाराष्ट्र में जाकर पले-बढ़े और उसी स्थान को कर्मस्थली बनाकर राजनीति में आए।

उच्च का केतु गुरु के साथ मिलकर उत्तम सफलता का कारक बना। इधर शनि द्वितीय व तृतीयस्थ शनि अष्टम भाव में होने से आयु में वृद्धि का कारण भी बनकर पराक्रमी भी बनाता है। पंचमेश व द्वादशेश मंगल दशमेश व सप्तमेश बुध के साथ पराक्रम भाव तृतीय में होने से पराक्रम द्वारा राजनीति के क्षेत्र में सफलता का कारक बनता है।

अष्टम चंद्रमा राशि लग्न में धनु का है जिससे अष्टम दोष नहीं लगता। जो उत्तराषाढ़ा सूर्य के नक्षत्र में है, वही सूर्य भाग्य का स्वामी होकर चतुर्थ जनता भाव में अपने मित्र गुरु की राशि मीन में गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में है। इस प्रकार देखा जाए तो भाग्येश राशि लग्न से सुख भाव में होने से राजसुख का कारण बना।

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शुक्र भी एकादशेश व षष्टेश द्वितीय भाव में शनि की मित्र राशि मकर में है जो लाभदायक रही। अब वर्तमान लग्न के ग्रहों पर नजर डाले तो राहु राशि लग्न में नीच का होकर भ्रमण करने से चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है।

शनि-मंगल का तृतीय दृष्टी संबंध भी ठीक नहीं है, जो बुद्धि को भ्रमित कर कुछ अनहोनी का कारण बन सकता है। अतः लिखा पढ़ी के मामलों में सावधानी रखना होगी। ऊर्जा व साहस का कारक सूर्य भी नीच का है लेकिन शुक्र के साथ होने से नीच भंग होता है। अतः ज्यादा नुकसानप्रद नहीं रहेगा फिर भी सावधानी रखना ही होगी।

इधर राशि स्वामी गुरु भी वक्री होकर शत्रु राशि कुंभ में है। कुल मिलाकर ग्रहों की स्थिति यही कहती हैं कि वर्षभर यानी 2011 तक बहुत सावधानी रखना होगी। पृथ्वीराज को गुरुवार के दिन शुभ मुहूर्त में गले में पुखराज धारण करना चाहिए। जिससे ये परेशानी से बचे रहेंगे।