भारतीय फैशन जगत का बढ़ता कद
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दीपिका शर्मा हमारा युवा वर्ग फैशन इंडस्ट्री और ग्लैमर जगत से जितना प्रभावित है उतना ही आतुर वह उनमें जाने के लिए भी है। आधुनिक युग में युवा सिर्फ ढंकने और सुंदर बनने के लिए ही कपड़े नहीं पहनता बल्कि अब यह हमारे स्टेट्स और फैशन फंडे का सिंबल बन चुका है। आज के दौर में खुदरा बाजार में भारतीय परिधान की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। फिलहाल भारतीय खुदरा बाजार में इसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी यानी 56,000 करोड़ रुपए है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्षों में इसकी विकास दर 20 फीसदी कायम रहेगी। हाल के दिनों में कपड़ा मंत्रालय ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय कपड़ा उद्योग फिलहाल 49 अरब डॉलर का है। वैश्विक कपड़ा बाजार में भारत की हिस्सेदारी 3.5-4 फीसदी है जिसमें तेजी आने की पूरी संभावनाएँ मौजूद हैं। इन आँकड़ों से साफ है कि वैश्विक फैशन जगत में भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा अच्छे से अच्छे ब्रांड के कपड़े पहनना सबसे अच्छा तथा लेटेस्ट डिजाइन पहनना और हमेशा स्टाइलिश बनाना आज के युवा का शौक है जिसे संभव करते हैं फैशन डिजाइनर। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स सबसे ज्यादा प्रचलित हुआ है। क्या है फैशन डिजाइनिंग : फैशन डिजाइनिंग व्यावहारिक कला का एक रूप है जो हमारे कपड़ों, एक्सेसरीज और जीवनशैली में निखार लाती है। फैशन डिजाइनिंग में आदमी, औरत और बच्चों से संबंधित सभी वस्तुओं पर डिजाइन किया जाता है। इसमें कपड़ों से लेकर ज्वैलरी तथा पर्स से लेकर शूज तक की सभी चीजें आती हैं। डिजाइनर अपने ग्राहक वर्ग की रुचि और जरूरत को समझकर अपने डिजाइन को मौसम और ट्रेंड के मुताबिक मार्केट में उतारता है। आज फैशन डिजाइनरों की बहुत मांग है। फैशन डिजाइनिंग में रचनाशील और कलाकारों की माँग रहती है। फैशन डिजाइनिंग में पहले डिजाइन के स्केच तैयार किए जाते हैं। फिर सैंपल की असली आकृति कपड़े पर बनाई जाती है। यह डिजाइन मॉडलों पर ट्राई किया जाता है और फिर इसे मार्केट में उतारा जाता है। फैशन जगत एक तरफ जहाँ लोगों की फैशन और स्टाइल संबंधित जरूरतें पूरा करता है वहीं यह डिजाइनर को प्रसिद्धि और सफलता भी दिलाता है। बढ़ता कद :1.
वैश्विक टेक्सटाइल और परिधान का अनुमानित कारोबार 450 अरब डॉलर है जोकि 25 फीसदी की दर से बढ़ती माँग के चलते 2010 तक 700 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।2.
भारतीय खुदरा बाजार में कपड़ा, टेक्सटाइल और फैशन एक्सेसरीज की हिस्सेदारी 39 फीसदी यानी 55,000 करोड़ रुपए है।3.
रेमंड, रिलायंस और डीएलएफ आदि बड़ी कंपनियों ने विदेशी कंपनियों के साथ गठजोड़ कर अपने कारोबार का विस्तार किया है। 4.
भारतीय ग्रामीण क्षेत्र रेडीमेट गारमेंट की माँग 16.50 फीसदी की वार्षिक विकास दर से बढ़ रही है। माना जा रहा है कि 2010 तक यह 10.41 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगी