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Written By WD

आपदा प्रबंधन में करियर

Career in Disaster Management | आपदा प्रबंधन में करियर
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विश्व भर में छोटी और बड़ी आपदाए आती रहती हैं और इनमें जान-माल की बड़े पैमाने पर हानि भी होती रहती है। इनमें प्राकृतिक आपदाएं (बाढ़, सूखा, भूस्खलन, समुद्री तूफान, महामारियां इत्यादि) और मानवीय गलतियों के कारण घटित होने वाली आपदाएं (भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल न्यूक्लियर रिएक्टर इत्यादि) भी शामिल हैं।

जाहिर है, इस प्रकार की विपदाओं का कम से कम सामना करना पड़े और समस्या की स्थिति में नुकसान को सीमित करने एवं पीड़ित लोगों की मदद कैसे की जाए, इस बारे में समस्त देशों की सरकारें एवं स्वैच्छिक संगठन काफी गंभीरता से रणनीतियां तैयार करने में लगे हैं। इस क्रम में बड़े पैमाने पर वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था और ट्रेंड मानव संसाधन तैयार करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

यह सहज कल्पना की जा सकती है कि कितने बड़े पैमाने पर इस प्रकार का ढांचा तैयार किया जा रहा है और कितनी बड़ी संख्या में ऐसे ट्रेंड कर्मियों की आने वाले समय में आवश्यकता पड़ने वाली है।

डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन की एक नई विधा इस मंथन में उभरकर सामने आई है। इनका कार्यक्षेत्र महज आपदा के बाद के पुनर्निर्माण के कामकाज को संभालना या पीड़ित व्यक्तियों की मदद करना भर नहीं होता है बल्कि आपदा की पूर्व चेतावनी प्रणाली का विकास और इन हानियों को समय रहते न्यूनतम करने से भी जुड़ा हुआ है।

बारहवीं पास से लेकर ग्रेजुएट युवा इस क्षेत्र में करियर निर्माण के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार कर सकते हैं। समाज कल्याण के साथ आत्मसंतुष्टि और करियर ग्राफ को भी साथ-साथ आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मौका शायद कोई और क्षेत्र नहीं देता है।

इस प्रकार के ट्रेंड लोगों से क्षतिग्रस्त या पीड़ित लोगों की पुनर्स्थापना तथा लोगों के जीवन को दुबारा सामान्य स्तर पर कम से कम समय में लाने की अपेक्षाएं भी की जाती हैं। तो देखा जाए तो यह कार्यक्षेत्र अपने साथ विशिष्टता के साथ संवेदनात्मक पहलुओं को भी समेटे हुए है।

इसमें प्रबंधन के एक ओर कार्यकलाप हैं तो दूसरी ओर समाज कल्याण की पुरजोर भावनाएं भी हैं इसीलिए जरूरी है कि ऐसे ही युवा इस दिशा में करियर निर्माण की पहल करने के बारे में सोचें जो मानवीय संवेदनाओं को समझते हों तथा महज करियर निर्माण के लक्ष्य को लेकर इस क्षेत्र को अपने भविष्य के रूप में नहीं अपना रहे हैं।

भारत जैसे विकासशील देशों में प्रायः रोजाना ही ऐसे छोटे-बड़े हादसे तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को गुजरना पड़ता है। बाद में बचाव के रूप में जितने भी सरकारी एवं गैर सरकारी प्रयास होते हैं उनमें न तो आपसी तालमेल होता है और न लोगों तक प्रभावी तरीके से इनका फायदा पहुंच पाता है बल्कि कई दूरदराज के इलाकों में मदद पहुंचाने में काफी लंबा समय लग जाता है और तब तक जान एवं माल की बड़ी हानि हो चुकी होती है।

यही कारण है कि देश में आपदा प्रबंधन का एक अलग से प्राधिकरण केंद्र सरकार के स्तर पर विकसित किया गया है और इसी की शाखाएं तमाम राज्यों और बड़े शहरों के स्तर पर भी अस्तित्व में आ रही हैं। इस कार्य के लिए पर्याप्त धनराशि का भी प्रावधान है और ट्रेंड मानव संसाधन की भी नियुक्तियां की जा रही हैं।

महज चंद वर्षों पहले तक ऐसी ट्रेनिंग के लिए विदेशों में जाना पड़ता था पर अब देश में ही सरकारी एवं प्राइवेट सेक्टर के संस्थान अस्तित्व में आ गए हैं। इनमें सर्टिफिकेट से लेकर एमबीए स्तर तक के इस विधा से संबंधित कोर्स हैं।

इस प्रकार की ट्रेनिंग में मुख्य तौर पर निम्न चार पहलुओं पर बल दिया जाता है : आपदा के कुप्रभाव को कम से कम करने पर ध्यान देना, आपदाग्रस्त लोगों को तुरंत बचाव एवं राहत की व्यवस्था, प्रभावित लोगों की पुनर्स्थापना तथा भावी ऐसी आपदाओं से समय रहते कैसे निपटा जाए इसकी रणनीतियां बनानी।

देखा जाए तो इस ट्रेनिंग में कम समय में एक्शन लेने की कार्ययोजना और समस्त संसाधनों को एक कुशल प्रबंधक की तरह अत्यंत प्रभावी व सार्थक ढंग से क्रियान्वित करने की रणनीति पर ज्यादा जोर होता है। यह कार्यक्षेत्र सिर्फ एकेडेमिक महत्व का नहीं है बल्कि मैदानी स्तर पर समस्याओं से जूझते हुए जोखिम भरी स्थितियों में अंजाम देने से जुड़ा है।

बारहवीं पास से लेकर ग्रेजुएट युवा इस क्षेत्र में करियर निर्माण के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार कर सकते हैं। समाज कल्याण के साथ आत्मसंतुष्टि और करियर ग्राफ को भी साथ-साथ आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मौका शायद कोई और क्षेत्र नहीं देता है। रोजगार के अवसर सरकारी विभागों, बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों (कैमिकल, माइनिंग, पेट्रोलियम सरीखे), बाढ़ नियंत्रण प्रभागों, एनजीओ तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इंटरनेशनल रेडक्रॉस, यूएनओ सरीखे संगठनों तक में मिल सकते हैं।

डिजास्टर मैनेजमेंट अध्यापन का भी एक अन्य क्षेत्र भी कार्यानुभवी लोगों के लिए हो सकता है। प्रमुख संस्थानों में डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (भोपाल), डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टिट्यूट (अहमदाबाद), सेंटर फार डिजास्टर मैनेजमेंट (पुणे), नेशनल इन्फार्मेशन सेंटर ऑफ अर्थ-के इंजीनियर आईआईटी (कानपुर) का नाम लिया जा सकता है।