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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : मंगलवार, 26 नवंबर 2019 (15:27 IST)

भगवान बुद्ध ने क्यों नहीं दिए थे इन 14 प्रश्नों के उत्तर?

भगवान बुद्ध ने क्यों नहीं दिए थे इन 14 प्रश्नों के उत्तर? | 14 Questions in buddha dharma
कहते हैं कि लव-कुश की पीढ़ी में शाक्य, शाक्य से शुद्धोधन और शुद्धोधन से सिद्धार्थ का जन्म हुआ। यह सिद्धार्थ ही आगे चलकर गौतम बुद्ध ने नाम से प्रसिद्ध हुए। गौतम बुद्ध के दर्शन में अनीश्वरवाद, अनात्मवाद और क्षणिकवाद को महत्व दिया जाता है। उनका मानना था कि संबुद्ध होना ही सत्य है। इसके लिए ही उन्होंने आष्टांगिक मार्ग बताएं हैं।
 
 
गौतम बुद्ध से उनके जीवन में लाखों प्रश्न पूछे गए लेकिन उनमें से 14 प्रश्नों के उन्होंने जवाब नहीं दिए।  जब भगवान बुद्ध से जीव, जगत आदि के विषय में चौदह दार्शनिक प्रश्न किए जाते थे तो वे सदा मौन रह जाते थे। ये प्रसिद्ध चौदह प्रश्न नि‍म्नांकित हैं-
 
 
1-4. क्या लोक शाश्वत है? अथवा नहीं? अथवा दोनों? अथवा दोनों नहीं?
 
5-8. क्या जगत नाशवान है? अथवा नहीं? अथवा दोनों? अथवा दोनों नहीं? 
 
9-11. तथागत देह त्याग के बाद भी विद्यमान रहते हैं? अथवा नहीं? अथवा दोनों? अथवा दोनों नहीं?
 
11-14. क्या जीव और शरीर एक हैं? अथवा भिन्न?
 
 
14 अव्याकृत प्रश्न : बौद्ध धर्म में इन प्रश्‍नों को अव्याकृत कहा गया है। अव्याकृत का अर्थ है जो व्याकरण-सम्मत नहीं है।
 
 
क्यों उत्तर नहीं दिया : उक्त प्रश्न पर बुद्ध मौन रह गए। इसका तात्पर्य यह नहीं कि वे इनका उत्तर नहीं जानते थे। उनका मौन केवल यही सूचित करता है कि यह व्याकरण-सम्मत नहीं थे। इनसे जीवन का किसी भी प्रकार से भला नहीं होता। उक्त प्रश्नों के पक्ष या विपक्ष में दोनों के ही प्रमाण या तर्क जुटाए जा सकते हैं। इन्हें किसी भी तरह से सत्य या असत्य सिद्ध किया जा सकता है। यह पारमार्थिक दृष्टि से व्यर्थ है।
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