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सिर्फ एक बंदा काफी है फिल्म समीक्षा

शुक्रवार,मई 26, 2023
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The Kerala story review द केरल स्टोरी के रिलीज होने के पहले दावा किया गया था कि केरल में 32 हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें आतंकी बना दिया गया है। जब दावे पर आंच आने लगी तो इसे तीन लड़कियों की कहानी बता दिया गया। फिल्म के अंत में ये कहा गया ...
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PS2 Ponniyin Selvan 2 Hindi movie review: पोन्नियिन सेल्वन भाग एक या पीएस पार्ट 1 आपने देखा है और पीएस 2 देखना का प्लान बना रहे हैं तो पीएस 1 को एक बार फिर देख लेना चाहिए ताकि कहानी दिमाग में फिर से ताजा हो जाए क्योंकि पीएस 2 में डिटेल रिकैप नहीं ...
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Garmi web series review : छात्र राजनीति पर तिग्मांशु धुलिया ने 'हासिल' (2003) नामक उम्दा फिल्म बनाई थी और अब इसी विषय पर उन्होंने वेबसीरिज 'गर्मी' बनाई है। इस सीरिज में दिखाया गया है कि छात्र राजनीति की आड़ में किस तरह गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार होता ...
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kisi ka bhai kisi ki jaan review: बॉलीवुड दक्षिण भारतीय सिनेमा से इतना डरा हुआ है कि या तो साउथ इंडियन फिल्मों का रीमेक बना रहा है या फिर उनके जैसी फिल्में बनाने की कोशिश कर रहा है। सलमान खान की फिल्म 'किसी का भाई किसी की जान' तमिल फिल्म 'वीरम' का ...
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गैसलाइट जैसी फिल्म यदि थिएटर में रिलीज होती तो पहले शो से ही फ्लॉप हो जाती, इसलिए ओटीटी पर इसे रिलीज कर दिया गया। ओटीटी वालों को भी इस तरह के 'बोरिंग कंटेंट' से दूरी बना कर रखना चाहिए वरना एक दिन दर्शकों का इससे भी मोहभंग हो जाएगा। पवन कृपलानी ने ...
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Bholaa movie review अजय देवगन ने फिल्म 'भोला' उस दर्शक वर्ग के लिए बनाई है जिसे मास कहा जाता है। वैसे अजय को भी दक्षिण भारतीय फिल्मों के रीमेक पसंद है और 'भोला' तमिल फिल्म 'कैथी' का रीमेक है जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। ओरिजनल फिल्म को हिंदी में ...
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Rana Naidu review राणा नायडू एक टूटे परिवार की कहानी है, जिसकी पृष्ठभूमि में क्राइम है। सेक्स, शराब और गाली-गलौज में लपेट कर इस कहानी को पेश किया गया है जिसे देखना हर किसी के बस की बात नहीं है। राणा नायडू में सबसे कमाल की एक्टिंग की है वेंकटेश ...
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The Elephant Whisperers Hindi Review: ऑस्कर पुरस्कार की बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म श्रेणी में विजेता रही 41 मिनट की खूबसूरत फिल्म द एलिफ़ेंट व्हिस्परर्स तमिलनाडु के मुदुमलई नेशनल पार्क, निलगिरी के पहाड़ों के पास एशिया के सबसे पुराने थेप्पकाडु ...
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Mrs Chatterjee Vs Norway movie review मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे देबिका चटर्जी (रानी मुखर्जी) की कहानी है जो अपने पति अनिरुद्ध चटर्जी (अनिर्बान भट्टाचार्य) और दो छोटे बच्चों के साथ नॉर्वे में रहती है। वेलफ्रेड नामक एजेंसी चटर्जी परिवार का दस सप्ताह ...
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तू झूठी मैं मक्कार का पहला हॉफ बोर है। किरदार जरूरत से ज्यादा बोलते हैं, और ऐसी बातें बोलते हैं जिसका कोई मतलब नहीं निकलता। फिल्म शुरुआत में बेहद मॉडर्न और लीक से हटकर होने का आभास देती है, लेकिन अंत में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्मों जैसी हो जाती है। ...
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Selfiee movie review सेल्फी को लेकर इतना जुनून है कि आए दिन सेलिब्रिटीज़ के साथ धक्का-मुक्की और झूमाझटकी हो जाती है। सेल्फी लेने के पहले फैंस विनम्र रहते हैं, लेकिन सेल्फी का मौका नहीं मिलता तो उनके तेवर बदल जाते हैं। सेल्फी नहीं मिली तो चोट सीधे ...
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द नाइट मैनेजर इसी नाम से बने ब्रिटिश शो का हिंदी रीमेक है। रीमेक बनाते समय टारगेट ऑडियंस की पसंद के अनुरूप कुछ बदलाव किए जाते हैं। कास्टिंग दमदार होना चाहिए। क्योंकि तुलना सीधे ओरिजनल शो से होती है। अक्सर रीमेक बनाते समय गड़बड़ियां हो जाती हैं, ...
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कार्तिक आर्यन ने फिल्म 'शहज़ादा' के जरिये बड़े जूते में पैर डाला है और औंधे मुंह गिरे हैं। 'शहज़ादा' 'आला वैकुंठपुरमुलु' का हिंदी रीमेक है जिसमें अल्लू अर्जुन ने लीड रोल निभाया था। 'आला वैकुंठपुरमुलु' एक बढ़िया मसालेदार फिल्म है जिसमें कॉमेडी, ...
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फर्जी सीरिज का मेकिंग उम्दा है। कहने का तरीका जोरदार है। ये निर्देशक राज और डीके का ही कमाल है कि राइटिंग डिपार्टमेंट की कमियों के बावजूद वे फर्जी को देखने लायक बना पाए हैं। राज और डीके काबिल निर्देशक हैं और उनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें रहती हैं। ...
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विशाल भारद्वाज बॉलीवुड के उन फिल्ममेकर्स में से हैं जो अपनी फिल्मों, उसके विषय और मेकिंग के कारण चर्चा में रहते हैं। विशाल ने हाल ही में फुर्सत नामक शॉर्ट फिल्म निर्देशित की है जो सिनेमा के स्टूडेंट्स और उन लोगों के सामने उदाहरण पेश करती है जो लोग ...
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Pathaan Movie Review सिद्धार्थ आनंद स्टाइलिश और आंखों को सुकून देने वाले सिनेमा मनाते हैं। उनकी फिल्मों के एक्शन सीन में आधुनिकता का पुट रहता है और हीरो-हीरोइन को बहुत ही ग्लैमरस तरीके से वे पेश करते हैं। कहानी और स्क्रिप्ट के मामले में वे उतने ...
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फ़िल्म के बारे में क्या कहूं, ज़्यादा कहूंगा तो लगेगा कि अपने मित्र की प्रशंसा कर रहा हूं। लेकिन सच कह रहा हूं कि मैंने बरसों बाद कोई ऐसी फ़िल्म देखी जो पूरे समय बांध के रखती हो। इतना कसा हुआ निर्देशन, संपादन कि कुर्सी से हिलने का अवसर भी न मिले। ...
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कुत्ते तब पसंद आ सकती है जब ज्यादा उम्मीद से नहीं देखा जाए। यह एक डार्क किस्म की फिल्म है जिसमें लालची और जंगली किस्म के किरदार एक रुपयों से भरी वैन लूटना चाहते हैं। बेसिक आइडिया तो अच्छा है, लेकिन स्क्रीनप्ले की कमी समय-समय पर उभरत कर ड्रामे के ...
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क्या नहीं था रोहित शेट्टी के पास? एक उम्दा कहानी, शानदार स्टारकास्ट और फिल्म बनाने के लिए खूब सारा पैसा। लेकिन रोहित ढंग की फिल्म नहीं बना पाए। 'सर्कस' में न कॉमेडी है और न ही मनोरंजन। पूरी फिल्म में दर्शक हंसने का अवसर ढूंढते रहते हैं, लेकिन एक भी ...
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