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Last Updated : मंगलवार, 17 जून 2025 (06:15 IST)

राणा नायडू सीजन 2: नए किरदारों के साथ क्राइम, एक्शन और इमोशन का जबरदस्त तड़का

Rana Naidu Season 2 Review
वेब सीरीज 'राणा नायडू' का दूसरा सीजन आ गया है और यह पहले सीजन की तरह ही धमाकेदार है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बदलावों के साथ। सीजन 1 में गालियों की भरमार थी। हर संवाद में अपशब्द। मानो अपशब्द के इर्दगिर्द डायलॉग लिखे गए हैं, जिसने कुछ दर्शकों को असहज किया था। लेकिन सीजन 2 में सीजन 1 के मुकाबले 10 प्रतिशत ही अपशब्द हैं। 
 
यह दिखाता है कि मेकर्स ने दर्शकों की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दिया है और कहानी को गालियों पर निर्भर रहने के बजाय कथानक और किरदारों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे सीरीज में एक परिपक्वता आई है।
 
राणा नायडू सीज़न 1 कहानी से ज्यादा अपने मजबूत किरदारों के लिए पसंद की गई थी और सीजन 2 में कुछ नए किरदार जोड़े गए हैं जो कहानी को नया रंग देते हैं। रॉफ, आलिया, विराज जैसे नए किरदार दर्शकों को लुभाते हैं। 
 
लंबे समय बाद अर्जुन रामपाल ने 'रॉफ' के किरदार से अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया है। उनका किरदार खौफ पैदा करता है और सीरीज में एक नया आयाम जोड़ता है।
 
कृति खरबंदा ने एक महत्वाकांक्षी लड़की आलिया की भूमिका बखूबी निभाई है, जो अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। यह किरदार सीरीज में जटिलता और ड्रामा बढ़ाता है।
 
रजत कपूर, विराज ओबेरॉय के रूप में प्रभावित करते हैं। उनका किरदार सीरीज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कहानी को आगे बढ़ाता है।
 
ये नए किरदार सिर्फ मेहमान कलाकार नहीं हैं, बल्कि ये सीरीज की मुख्य कहानी में घुल-मिल जाते हैं और इसे एक अलग रंग देते हैं, जिससे दर्शकों को कुछ नया देखने को मिलता है।
 
पुराने किरदारों की चमक बरकरार है। राणा नायडू का किरदार हमेशा की तरह दिलचस्प बना हुआ है। वह तमाम मुश्किलों से जूझता हुआ अपनी टीम श्रीनि और लारा के साथ अपने परिवार को सुरक्षित रखने में लगा रहता है। राणा की यह लगातार लड़ाई दर्शकों को बांधे रखती है।
 
राणा के पिता नागा, जिसका किरदार वेंकटेश ने निभाया है, इस बार भी अपने अनोखे अंदाज से रंग बिखेरता है। नागा का किरदार सीरीज में मनोरंजन और पारिवारिक ड्रामा का संतुलन बनाए रखता है। उनके और राणा के बीच का जटिल रिश्ता सीरिज की भावनात्मक रीढ़ है।

सुरवीन चावला का किरदार की लिखावट कमजोर आई। वह बातें नैतिकता की करती हैं, लेकिन मौका परस्त भी दिखाई देती हैं। अभिनय के मामले में बढ़िया रहीं। 
 
यह सीरीज बखूबी दर्शाती है कि अपराध से जुड़े होने के बावजूद, नायडू परिवार छोटे-मोटे झगड़ों के बावजूद साथ खड़ा रहता है। यह पारिवारिक बंधन और वफादारी सीरीज की भावनात्मक गहराई को बढ़ाती है, जिससे दर्शक किरदारों से जुड़ पाते हैं।
 
सीरिज की सिनेमाटोग्राफी जबरदस्त है। अपराध और इमोशन को बेहतरीन ढंग से कैप्चर किया गया है। सिनेमैटोग्राफी चमकीली मुंबई और अपराध की दुनिया को बखूबी दर्शाती है। एक्शन सीन्स भी टॉप नॉच हैं। फाइट्स में रफ्तार और रियलिज्म दोनों दिखता है। टेक्नीकली यह सीरिज बेहद मजबूत है।
 
सीरीज में लगभग 40 मिनट के कुल 8 एपिसोड हैं, लेकिन इतनी तेजी से भागते हैं, जिससे दर्शकों को सोचने का अवसर कम मिलता है और वे कुछ कमियां नजरअंदाज कर जाते हैं। यह गति सीरीज में थ्रिल बनाए रखती है, लेकिन कभी-कभी यह ओवरबोर्ड हो जाती है।
 
कुछ सीन ऐसे हैं जो अति का शिकार हो जाते हैं या ऐसा लगता है कि राणा नायडू जो चाहे वो कर सकता है। यह 'राणा नायडू जो चाहे वो कर सकता है' वाली छवि कभी-कभी कहानी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है और थोड़ी अवास्तविक लगती है।
 
डीनो मोरिया का पुलिस अफसर वाला ट्रैक अधूरा लगता है। उनके किरदार का अंत क्या हुआ, ये पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया गया। संभावना है कि अगले सीजन में इसे विस्तार मिलेगा।
 
एक्शन सीन जबरदस्त हैं और कलाकारों की एक्टिंग टॉप नॉच है। जफ्फा और तेज के किरदार मनोरंजन के हल्के-फुल्के क्षण देते हैं, जो सीरीज की गंभीरता को थोड़ा कम करते हैं और दर्शकों को हंसने का मौका देते हैं।
 
कुल मिलाकर, 'राणा नायडू सीजन 2' क्राइम, इमोशन और रिश्तों का तेज रफ्तार ड्रामा है। यह निश्चित रूप से देखने लायक सीरीज है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें थ्रिलर और पारिवारिक ड्रामा का मिश्रण पसंद है।

रेटिंग : 3/5