शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. Game changer starring ram charan kiara advani review in hindi
Last Updated : शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 (13:51 IST)

Game Changer Review: शोषण बनाम शासन की कहानी

Game Changer Review: शोषण बनाम शासन की कहानी | Game changer starring ram charan kiara advani review in hindi
शंकर की गिनती दक्षिण भारतीय कमर्शियल सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों में होती है। जेंटलमैन (1993), इंडियन (1996), जींस (1998), नायक (2001), शिवाजी द बॉस (2007), रोबोट (2010), 2.0 (2018) जैसी ब्लॉकबस्टर  फिल्में उनके नाम पर दर्ज हैं। पिछले कुछ समय से दक्षिण भारत के दूसरे निर्देशक कामयाबी के मामले में उनसे आगे निकल गए हैं और शंकर अपना दबदबा कायम रखने के लिए बेताब हैं। 
 
तमिल और हिंदी फिल्म बनाने के बाद उन्होंने ‘गेम चेंजर’ फिल्म से तेलुगु फिल्मों में अपनी शुरुआत की है, जिसमें रामचरण लीड रोल में हैं। रामचरण भी प्रभास और अल्लू अर्जुन जैसे तेलुगु फिल्म स्टार्स की बराबरी में खड़ा होना चाहते हैं और गेम चेंजर उसी दिशा में किया गया प्रयास है। 
 
रामचरण को एक मसीहा और आम आदमी के लिए लड़ने वाला किरदार देकर स्थापित करने की कोशिश की गई है। फिल्म के एक गाने में रामचरण अपने आम फैंस के लिए गाना गाते हैं कि मैं भी हूं तुम्हारे जैसा, एकदम सामान्य, तुमसे जुदा नहीं हूं मैं। 
 
शंकर तकनीक और वीएफएक्स के नए प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने अपनी पिछली फिल्मों से दर्शकों को चमत्कृत भी किया है, लेकिन ‘गेम चेंजर’ में ये बात मिसिंग तो है ही, कहानी और स्क्रीनप्ले भी बहुत रूटीन है। कोई नई बात या नया एंगल नजर नहीं आता। उल्टे शंकर अपनी पिछली फिल्मों और अन्य हिट फिल्मों से प्रभावित नजर आए हैं और उन्होंने उन्हीं बातों को दोहराने की कोशिश की है। 
 
शंकर की फिल्मों में किरदार या तो ब्लैक होते हैं या व्हाइट, ग्रे शेड को वे कम जगह देते हैं। यही बात ‘गेम चेंजर’ में भी नजर आती है। 
 
राम (राम चरण) एक पुलिस ऑफिसर है, लेकिन अपने गुस्से के कारण और प्रेमिका दीपिका (कियारा आडवाणी) के दबाव के चलते वह कलेक्टर बन जाता है। उसकी टक्कर होती है बोब्बीली मोपिदेवी (एसजे सूर्या) नामक भ्रष्ट नेता से जो आंध्र प्रदेश के सीएम का बेटा है और आगे चल कर मुख्यमंत्री भी बनता है। 
 
एक कलेक्टर के पास कितना पॉवर है, यदि वह ईमानदार है तो क्या-क्या नहीं कर सकता, इलेक्शन कमीशन के अफसर चाहे तो भ्रष्ट नेताओं पर किस तरह से अंकुश लगा सकते हैं, इन बातों पर भी फिल्म फोकस करती है। 


 
भारतीय राजनीति के गिरते स्तर और नेताओं के भ्रष्टाचार और उनकी सोच को लेकर भी कई सीन रचे गए हैं। मुख्यमंत्री की लाश के पास ही दावेदार लड़ते हैं जो बताता है कि नेताओं को कुर्सी कितनी प्यारी है और उसके लिए सिद्धांतों और नैतिकता को भी ताक पर रख देते हैं। 
 
रेत माफिया, जमीन से खनिज निकाल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले और आदिवासियों का हक छीनने वाले  उद्योगपतियों के खिलाफ भी फिल्म आवाज उठाती है, लेकिन ये सब इतने रूटीन तरीके से दिखाया गया है कि ये प्रभाव नहीं छोड़ पाता। 
 
इसके अलावा इमोशन पैदा करने के लिए राम के पिता अप्पान्ना (रामचरण) की कहानी भी दिखाई गई है, लेकिन बात नहीं बन पाती। बीच-बीच में राम और दीपिका की प्रेम कहानी को भी दर्शाया गया है, लेकिन इसके लिए ठीक से सिचुएशन नहीं बनाई गई है और ये महज खानापूर्ति लगती है। 
 
दरअसल स्क्रिप्ट कुछ नया पेश नहीं करती और शंकर जो अपने अनोखे और मनोरंजक प्रस्तुतिकरण के लिए जाने जाते हैं, वे भी निराश करते हैं। फिल्म में मनोरंजक दृश्यों की कमी है। कलेक्टर और नेता के सीन इतने ज्यादा है कि बोरियत होने लगती है। कैट-माउस का यह गेम रोचक नहीं लगता। सेकंड हाफ बेहद लंबा और खींचा हुआ है। 
 
शंकर अपनी आदत के अनुरूप हर सीन को भव्य बनाते हैं। बैकग्राउंड में जहां 10 डांसर्स की जरूरत हो वहां वे 100 खड़े कर देते हैं, लेकिन इस फिल्म में ये पैसों की बरबादी लगती है। कई दृश्यों को उन्होंने बहुत ही ज्यादा लाउड रखा है और एक्टर्स से लाउड एक्टिंग करवाई है जो आंखों और कानों को चुभती है। गानों को बहुत ही भव्यता के साथ फिल्माया गया है और शंकर ने अनोखी दुनिया रची है। 

 
रामचरण ने डांस किया है, फाइट की है, लेकिन वे अपनी एक्टिंग से स्टार पॉवर वाला जादू जगा नहीं पाए हैं। फिल्म में उन्हें ग्लोबल स्टार रामचरण लिखा गया है, लेकिन इसके वे इर्दगिर्द भी नजर नहीं आए। 
 
एसजे सूर्या ने विलेन के रूप में अपना दबदबा बनाया है और उनके एक्सप्रेशन देखने लायक हैं। कियारा आडवाणी के लिए करने को ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन वे अपने स्क्रीन प्रेजेंस से याद रह जाती हैं। अंजली छोटे रोल में गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। 
 
फिल्म में तेलुगु-तमिल-मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार छोटे-छोटे रोल में नजर आएं, जिनमें समुथिराकानी, श्रीकांत, सुनील, जयराम शामिल हैं। 
 
फिल्म के संवाद धारदार नहीं है। एक्शन रूटीन है। गाने अनुवाद से लगते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमाटोग्राफी बढ़िया है। 
 
कुल मिला कर गेम चेंजर, गेम चेंज नहीं कर पाती बल्कि यह रूटीन गेम जैसी है।  
 
  • निर्देशक: शंकर
  • फिल्म : Game Changer (2025)
  • गीतकार : स्वानंद किरकिरे और अन्य  
  • संगीतकार : थमन एस
  • कलाकार : रामचरण, कियारा आडवाणी, एसजे सूर्या, श्रीकांत, जयराम
  • 2 घंटे 45 मिनट    
  • रेटिंग : 2/5 
ये भी पढ़ें
Bigg Boss 18 : चुम दरांग को मिला अरुणाचल प्रदेश के सीएम का सपोर्ट