निर्देशक : जगमोहन मूँदड़ा संगीतकार : एआर रहमान कलाकार : ऐश्वर्या राय, नवीन एंड्रूस, मिरंडा रिचर्डसन, नंदिता दास घरों में महिलाओं के साथ हिंसात्मक व्यवहार एक विश्वव्यापी और आम समस्या है। ‘प्रोवोक्ड’ ऐसी ही एक सच्ची घटना पर आधारित है। जिंदगी की सच्ची घटना पर यदि फिल्म बनी हो तो पटकथा बहुत मजबूत होनी चाहिए और यही ‘प्रोवोक्ड’ मार खा जाती है। इसमें कोई शक नहीं है कि कहानी बहुत अच्छी है और दर्शकों की पूरी सहानुभूति फिल्म की मुख्य पात्र किरणजीत अहलूवालिया के साथ रहती है। लेकिन फिल्म के प्रति यही बात नहीं कही जा सकती है। फिल्म टुकड़ो-टुकड़ो में अच्छी है।
कहानी है पंजाबी महिला किरणजीत अहलूवालिया (ऐश्वर्या राय) की जो दो बच्चों की माँ भी है। अपने शराबी पति दीपक अहलूवालिया (नवीन एंड्रूस) की क्रूरता से वह परेशान है और एक दिन वह उसे आग के हवाले कर देती है। हत्या के आरोप में उसे जेल हो जाती है। जेल में उसकी मुलाकात एक अंग्रेज महिला वेरोनिका स्कॉट (मिरंडा रिचर्डसन) से होती है। किरणजीत उससे अंग्रेजी भाषा सीखती है। किरणजीत अपनी अंग्रेज दोस्त को जब अपनी आपबीती सुनाती है तो उसकी सहानुभूति किरणजीत के साथ हो जाती है। वेरोनिका अपने भाई एडवर्ड फोस्टर को मदद करने को कहती है। एडवर्ड कोर्ट में किरणजीत की ओर से अपील करता है। यह मामला एक सामाजिक संस्था के सामने आता है। वे इसे मीडिया के जरिए आम लोगों के बीच उठाते है और किरणजीत की रिहाई की मांग करते है। आखिर में किरणजीत को आजाद किया जाता है और वह एक बार फिर वह अपने बच्चों से मिल पाती है।
निर्देशक जगमोहन मूँदड़ा ने विषय तो अच्छा चुना है लेकिन उसका फिल्मी रूपांतरण करने में उनके लेखक चूक गए हैं। फिल्म देखने के बाद आपको कुछ दृश्य याद रहते हैं पूरी फिल्म नहीं। कई दृश्य खींचे गए है और उनमें दोहराव भी है। फिल्म कहीं से भी आपके दिल को छूती नहीं है।
जहाँ तक अभिनय की बात है, ऐश्वर्या राय ने इस रोल के साथ पूरा न्याय किया है। यह फिल्म उनके द्वारा अभिनीत श्रेष्ठ फिल्मों में से एक है। नवीन एंड्रूस और मिरंडा रिचर्डसन ने भी अपनी छाप छोड़ी है। एआर रहमान का बैकग्राउण्ड म्यूजिक फिल्म के मूड के हिसाब से अच्छा है। आर्ट फिल्म पसंद करने वालों को भी यह फिल्म निराश करती है। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म के चलने की कोई संभावना नहीं है।