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Written By समय ताम्रकर

एक से बुरे दो : बुरी और बोर

फिल्म समीक्षा
IFM
निर्माता : सुरेश सेठ
निर्देशक : तारिक खान
संगीत : रवि पवार
कलाकार : अरशद वारसी, नताशा, राजपाल यादव, तुषा, गोविंद नामदेव, यशपाल शर्मा

एक से बुरे दो मिल जाएँ तो अच्छाई के लिए जगह ही नहीं बचती और अच्छी फिल्म भी नहीं बन सकती। ‍ऐसा लगता है कि बुरी फिल्म बनाने की कसम खाकर कुछ लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने बेहद बुरी और बोर फिल्म बना डाली। न ढंग की कहानी, न निर्देशन, न अभिनय, न संवाद।

कहानी है टोटी (अरशद वारसी) और टोनी (राजपाल यादव) की, जो छोटे-मोटे चोर हैं। उन्हें एक डॉन (गोविंद नामदेव) एक खजाने का नक्शा ढूँढने का जिम्मा देता है। जब उन्हें नक्शा मिल जाता है तो वे डॉन के बजाय खुद खजाने को हड़पने की सोचते हैं। टोटी और टोनी उसी घर में छिप जाते हैं जहाँ खजाना छिपा हुआ है। इसके बाद पकड़ने और भागने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

कहानी में दम नहीं है और स्क्रीनप्ले बेहद खराब। लगातार ऐसे दृश्य आते रहते हैं, जिनका कोई मतलब नहीं है। हँसाने के नाम पर ऊलजलूल हरकतें की गई हैं, जिन्हें देख कोई भी हँस नहीं सकता।

अरशद वारसी और राजपाल यादव इतनी घटिया एक्टिंग भी कर सकते हैं, ये फिल्म देखकर पता चला। कुल मिलाकर ‘एक से बुरे दो’ से दूर रहने में ही भलाई है।