निर्माता : नीला माधब पांडा, वन ड्रॉप
निर्देशक : नीला माधब पांडा
कलाकार : कुणाल कपूर, राधिका आप्टे, गुलशन ग्रोवर, सौरभ शुक्ला, रॉबिन दास
रिलीज डेट : 28 अगस्त 2015
फिल्म पानी पर आधारित एक व्यंग्य है जहां उड़ीसा में पानी के हालात को उभारा गया है। यह एक ब्लैक कॉमेडी है जिसमें दो गांव पानी के स्त्रोत को लेकर पिछले कई दशकों से झगड़ रहे हैं जहां पानी को रोजमर्रा के जीवन में मुद्रा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
यह कहानी है दो गांवों की, एक गांव ऊंचाई पर स्थित है तो एक नीचे।
शुरुआत में केवल एक ही गांव था, जो संपन्न और सामाजिक तौर पर आधुनिक होता था। वहीं दूसरी ओर निचले गांव की स्थापना उन लोगों के जरिये होती है, जिन्हें ऊंचाई स्थित गांव से सजा के तौर पर बाहर निकाल दिया जाता है।
तीस साल पहले, दो अलग जातियों में उपजे प्यार के चलते 'कामगारों' को ऊपरी गांव से निकाल दिया जाता है और इस प्रकार निचले गांव की स्थापना होती है। इस गांव के लोग पानी के रखरखाव में होशियार होते हैं और समय बीतने पर कृषि और अन्य व्यवसायों से अमीर हो जाते हैं।
इसके विपरीत ऊंचाई वाले गांव को पानी की कमी की समस्या से जूझना पड़ता है और पानी दोनों गांवों के बीच मुद्रा का कार्य करता है।
नीचे वाले गांव के भरपूर मात्रा में पानी होता है वहीं ऊंचे गांव के पास पानी नहीं बचता। बिगड़ते हालातों के चलते ऊपरी गांव का राजा अपने हथियार के रूप में अपने बेटे का इस्तेमाल करता है और पानी पाने की कोशिश में लग जाता है।
वह अपने बेटे राज को निचले गांव के सरपंच की बेटी को गर्भवती करने और उसके बाद शादी के नाम पर पानी की मांग करने की योजना बनाता है। राज निचले गांव में पहुंचने के बाद हालात अलग पाता है और अपने हिसाब से आगे बढ़ने की योजना बनाता है।
कहानी में मोड़ तब आता है जब लड़के को लड़की से सच्ची मोहब्बत हो जाती है। फिल्म एक सामान्य प्रेम कहानी को केंद्र में लेकर व्यंग्यात्मक रूप में बनाई गयी है जहां पानी की कीमत पैसे के सामान है।