15 साल की उम्र में सिमी ग्रेवाल ने रखा था एक्टिंग की दुनिया में कदम, निर्देशन में भी आजमाया हाथ
बॉलीवुड अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल 77 वर्ष की हो गई हैं। पंजाब के लुधियाना में एक सिख परिवार में 17 अक्टूबर 1947 को जन्मीं सिमी ग्रेवाल को बचपन से ही अभिनय का शौक था, लेकिन घर वाले चाहते थे कि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण करें। घरवालों ने सिमी को पढ़ाई के लिए बहन के साथ इंग्लैंड भेज दिया। वहां जाकर सिम्मी ने अपनी शिक्षा पूरी की।
लगभग 15 वर्ष की उम्र में सिमी ग्रेवाल बतौर अभिनेत्री बनने का सपना लेकर मुंबई आ गईं। सिमी ने अपने सिने करियर की शुरुआत वर्ष 1962 में प्रदर्शित अंग्रेजी फिल्म 'टारजन गोज टु इंडिया' से की। इस फिल्म में उनके नायक की भूमिका अभिनेता फिरोज खान ने निभाई। दुर्भाग्य से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नकार दी गई।
वर्ष 1962 में ही सिमी ग्रेवाल की राज की बात और सन ऑफ इंडिया जैसी फिल्में रिलीज हुई लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नही पहुंचा। वर्ष 1965 सिमी के सिने करियर के लिए महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी तीन देवियां और जौहर महमूद इन गोआ जैसी फिल्में रिलीज हुई। उन्हें फिल्म तीन देवियां में अभिनेता देवानंद के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म की सफलता के बाद सिमी ग्रेवाल फिल्म इंडस्ट्री में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गईं।
वर्ष 1966 में प्रदर्शित फिल्म 'दो बदन' सिमी के करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। राज खोसला के निर्देशन में प्रेम त्रिकोण पर बनी इस फिल्म में मनोज कुमार और आशा पारेख ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में सिमी ने एक डॉक्टर की भूमिका निभाई थी। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गईं।
वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म 'साथी' सिमी के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शामिल है। राजेन्द्र कुमार और वैजयंती माला की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में सिमी ने अपने दमदार अभिनय से दर्शको का दिल जीत लिया साथ ही अपने करियर में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गईं। वर्ष 1970 में सिमी को राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में काम करने का अवसर मिला।
इस फिल्म में उन्होंने एक युवा टीचर की भूमिका निभाई थी, जिसे उसके स्कूल में पढ़ने वाला छात्र प्यार करने लगता है। फिल्म में युवा छात्र की भूमिका ऋषि कपूर ने निभाई थी। फिल्म में अपने बोल्ड दृश्यों के कारण सिमी को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1970 में ही सिमी के करियर की एक और अहम फिल्म 'अरण्ये दिन रात्रि' प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में उन्हें पहली बार महान निर्माता-निर्देशक सत्यजीत रे के साथ काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की मौजूदगी के बावजूद सिमी दर्शको का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब हो गईं।
वर्ष 1976 में सिमी ग्रेवाल की कभी कभी और चलते चलते जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई। फिल्म कभी कभी में उन्हें मशहूर निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म चलते चलते में किशोर कुमार की आवाज में उनपर फिल्माया यह गीत 'चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना' आज भी श्रोताओं को भावविभोर कर देता है। अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वयं को चरित्र अभिनेत्री के रूप में भी स्थापित करने के लिए सिमी ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में उन्होंने सुभाष घई की सुपरहिट फिल्म 'कर्ज' में खलनायिका का किरदार निभाया।
पुनर्जनम पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसी महात्वाकांक्षी युवती का किरदार निभाया जो दौलत के लालच में अपने पति का खून करने से भी नही हिचकती। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामंकित की गई। सिम्मी ग्रेवाल ने ने सिर्फ अभिनय ही नहीं, बल्कि निर्देशन में भी हाथ आजमाया। उन्होंने फिल्म 'रुखसत' को भी निर्देशन किया।
फिल्मों के अलावा अभिनेत्री ने कई टीवी शो का भी निर्देशन किया। नब्बे के दशक में सिमी ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया और छोटे पर्दे की ओर भी रूख कर लिया। इस क्रम में वर्ष 1999 में उन्होंने स्टार प्लस पर टॉक शो 'रेनदे विथ सिमी ग्रेवाल' को होस्ट किया। उनके शो पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग का इंटरव्यू पेश किया गया। सिमी ग्रेवाल ने अपने सिने करियर में लगभग 40 फिल्मों में अभिनय किया है।