क्या होगा संजय दत्त की लिखी किताब 'सलाखें' में
जेल में संजय दत्त ने लंबा समय गुजारा। पैपर बैग्स जैसे आइटम्स बनाने के साथ-साथ वे रेडियो जॉकी भी रहे। संजय ने कुछ यार-दोस्त भी बना लिए जिनके साथ 'शायरी' के दौर चलते थे। ज़ीशान कुरैशी और समीर हिंगले के साथ मिलकर संजू बाबा ने पांच सौ 'शेर' हिंदी में लिख डाले। इनको संजय अब किताब की शक्ल देने वाले हैं। नाम भी सोच लिया है 'सलाखें' क्योंकि सलाखों के पीछे ही संजय के अंदर छिपा हुआ लेखक बाहर आया है।
मान्यता पर क्या लिखा था संजय ने... अगले पेज पर
संजय ने पांच सौ में से तकरीबन सौ शेर लिखे हैं। जेल में एक बार मान्यता उनसे मिलने आई थीं। मान्यता को बुखार था। इस पर संजय ने शेर लिखा-
आंखों में नमी थी, बदन तप रहा था,
फिर भी होंठों पे हंसी थी और बातों में प्यार था
आपको देख के दु:ख हुआ पर खुशी भी हुई
उसी खुशी के साथ पैगाम भी था कि आप मुझसे मोहब्बत करते हो
संजय को क्यों नहीं आ रही है नींद... अगले पेज पर
जेल से बाहर आने के बावजूद भी संजय के दिमाग से वे खौफनाक यादें छूटी नहीं हैं। अभी भी वे रातों को सो नहीं पाते हैं। नींद लगते ही उठ जाते हैं। संजय का कहना है कि वे पैरोल पर घर आते थे तब भी उनका यही हाल था। जेल बहुत बुरी चीज है और उन्हें इससे उबरने में वक्त लगेगा।
निर्माताओं का लगा तांता... अगले पेज पर
संजय की उम्र हो चली है। लंबे समय से उन्होंने कोई फिल्म नहीं की है, बावजूद इसके उनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। निर्माता संजय के इर्दगिर्द मंडरा रहे हैं। वे संजय को साइन करना चाहते हैं। संजय पहले उन निर्माताओं की फिल्म करना चाहते हैं जिनके साथ उन्होंने वादा किया था। संभव है कि वे 'शेर' की शूटिंग करे जिसकी प्लानिंग बहुत पहले हो चुकी थी। वे अपने घरेलू बैनर तले भी कुछ फिल्म शुरू करने का इरादा रखते हैं।