नितेश तिवारी की छिछोरे की रिलीज को 5 साल पूरे, यह 5 बातें फिल्म को बनाती हैं टाइमलेस क्लासिक  
					
					
                                       
                  
				  				
								 
				  
                  				  5 years of Chhichhore : अपनी बेहतरीन कहानी और अनोखे तरीके से डायरेक्शन के लिए मशहूर नितेश तिवारी ने कई हिट फ़िल्में बनाई हैं। उनकी हिट फ़िल्मों में से एक है 'छिछोरे', जिसमें ह्यूमर के साथ-साथ आज के युवाओं द्वारा सामना किए जाने वाले दबावों पर गहरी नज़र डाली गई है। इस फिल्म की रिलीज को 5 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर उन पलों पर एक नजर डालते हैं, जो इसे टाइमलेस क्लासिक बनाते हैं।
				  																	
									  
	 
	5 कारण जो छिछोरे को आज भी बनाते हैं एक मस्ट वॉच फिल्म
	 
	दमदार परफॉर्मेंस
				  
	सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर जैसे लीड एक्टर्स ने फिल्म में शानदार परफॉर्मेंस दी है, जो फिल्म की प्रभाव को बढ़ाता है। हर एक एक्टर ने अपनी भूमिका को असल बनाने हुए आकर्षण के साथ निभाया है, जिससे फिल्म में दोस्ती और संघर्ष देखने में असल और बेहद दिलचस्प लगते हैं। जबरदस्त पर्रोमेंसेज ने फिल्म की सफलता और इमोशनल इंपैक्ट को और भी मजबूत किया है। 
				  						
						
																							
									  
	 
				  
				  
	रिलेट करने वाला थीम्स
	छिछोरे में आज के युवाओं की समस्याओं को दिखाया गया है, जैसे स्कूल का दबाव, असफलता और दोस्तों का महत्व। ये विषय छात्रों और अभिभावकों सहित कई तरह के लोगों से जुड़ते हैं, जिससे फिल्म लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह दिखाता है कि मुश्किल समय में दोस्त एक-दूसरे की कैसे मदद करते हैं, जिसे कई दर्शक अपने जीवन से रिलेट कर सकते हैं।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	पुरानी यादें
	छिछोरे कॉलेज लाइफ और दोस्ती को दिखाती है, जो इसे उन सभी लोगों के लिए प्रासंगिक बनाती है जिन्होंने स्टूडेंट लाइफ को एंजॉय किया है। फिल्म में कॉलेज के मजेदार और बेफिक्र दिनों की दुनिया कई लोगों को उनके अपने अनुभवों की याद दिलाता है, जो इसके आकर्षण और अपील को बढ़ाता है।
				  																	
									  
	 
				  
				  
	भावनात्मक गहराई
	फिल्म में ह्यूमर और दिल छू लेने वाले पलों का मिश्रण है, जो मजबूत बने रहने और खुद को स्वीकार करने के महत्व को दर्शाता है। यह फिल्म लोगों को हंसाती है और साथ ही जरूरी संदेश भी देती है, जो इस बात पर रोशनी डालती है कि स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन कितना बेहतरीन है।
				  																	
									  
	 
	प्रेरणादायक और सकारात्मक सामाजिक संदेश
	"छिछोरे" सिखाती है कि सफलता का मतलब सिर्फ़ जीतना नहीं है, बल्कि असफलता से भी मज़बूती और धैर्य के साथ निपटना है। यह सवाल उठाती है कि समाज सफलता और असफलता को किस तरह देखता है। साथ यह फिल्म पर्सनल ग्रोथ और मेंटल हेल्थ के लिए ज़्यादा सही और समझदार रवैये का समर्थन करती है। 
				  																	
									  
	 
	फिल्म दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है की सफलता का मतलब क्या होता है, जहां यह मेंटल हेल्थ को ज्यादा इंपॉर्टेंस देने की बात करती है ना कि सिर्फ समाज की उम्मीदों को। कहा जाए तो यह फिल्म हर उम्र के लोगों के लिए एक इंस्पायरिंग और मीनिंगफुल है।