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Written By ND

असल जिंदगी में एक्टिंग करूँ तो पागल हो जाऊँगा! : रणवीर सिंह

असल जिंदगी में एक्टिंग करूँ तो पागल हो जाऊँगा! : रणवीर सिंह -
मात्र दो फिल्म पुराने रणवीरसिंह को अचानक मीडिया में शाहरुख खान के बाद हिन्दी सिनेमा की सबसे बड़ी खोज कहा जाने लगा है, जबकि न तो वे हीरो के पारंपरिक खाँचे में फिट होते हैं, न फिल्मी परिवार से हैं और न ही फिल्मी दुनिया से उनका कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध रहा है।

फिर शुरुआत भी ऐसी जिसके लिए बड़े-बड़े स्टार सन तरसते हों... दुनिया के 10 बड़े प्रोडक्शन हाउस में से एक यशराज बैनर के साथ, वह भी सोलो हीरो के तौर पर! हकीकत में रणवीरसिंह की किस्मत का सितारा उसी दिन से बुलंद हो गया था।

हालाँकि यशराज की 'बैंड, बाजा, बारात' को फिल्म समीक्षक अनुष्का की अंतिम, रणवीर की पहली और आखिरी तथा यशराज बैनर के सूरज के अस्त होने की शुरुआत मान रहे थे लेकिन एक महत्वाकांक्षी लड़की और एक खिलंदड़ लड़के की इस प्रेम कहानी ने समीक्षकों के अनुमानों को न सिर्फ गलत सिद्ध कर दिया बल्कि बिट्‌टू शर्मा की जो भूमिका रणवीरसिंह ने निभाई थी, उसे रणवीर की पहचान ही बना डाला। हर दृष्टि से वह किरदार कुछ अजीब था, असभ्य, चिढ़ाने वाला, इश्कबाज, बिगड़ैल और लापरवाह लड़का... हीरो वाली कोई क्वालिटी नहीं...।

इसके बाद भी वह किरदार न सिर्फ पसंद किया गया, बल्कि बहुत लोकप्रिय भी हुआ है। यही कारण है कि अब भी रणवीर को लोग बिट्‌टू शर्मा के नाम से ही बुलाते हैं, साथ ही रणवीर कहते हैं कि बिट्‌टू शर्मा उनके व्यक्तित्व और जीवन का अभिन्न हिस्सा हो गया है।

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रणवीर यह तो मानते हैं कि वे एक अटेंशन सीकिंग चाइल्ड रहे हैं लेकिन इस तरह एकाएक मिली सफलता ने उन्हें एक तरह से बौरा दिया है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इस तरह की लोकप्रियता और दीवानगी को कैसे हैंडल किया जाए।

सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स पर रणवीरसिंह के फर्जी अकाउंटों की संख्या कैटरीना कैफ से भी ज्यादा है। वे कहते हैं कि हिन्दी फिल्मों के लिए दीवानगी उनमें बहुत पहले से ही थी, लेकिन जिस तरह हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मी परिवारों के बच्चों को लांच किया जा रहा था, उसमें उनके लिए कोई गुंजाइश बची नहीं थी और यही सोचकर उन्होंने अपने दूसरे शौक क्रिएटिव राइटिंग की तरफ गंभीरता से सोचना शुरू किया और इसी उद्देश्य से उन्होंने इंडियाना यूनिवर्सिटी, अमेरिका से क्रिएटिव राइटिंग में बीए के लिए एडमिशन लिया। फिल्मों का पागलपन कम हो ही नहीं रहा था और अंततः वे फिल्मों में आ ही गए।

रणवीर स्पष्ट कहते हैं कि उनके जीवन में बनावट के लिए कोई जगह नहीं है। उनके शब्दों में, 'सोचता हूँ कि क्यों बिट्‌टू शर्मा का किरदार लोगों को पसंद आया तो लगता है कि शायद इसलिए कि उसमें कोई बनावट नहीं थी। जैसा वह है, वैसा ही है...। और सच पूछें तो बहुत हद तक मैं भी वैसा ही हूँ। कैमरे के सामने एक्टिंग तक तो ठीक है लेकिन असल जिंदगी में भी यदि मुझे एक्टिंग करना पड़े तो मैं पागल ही हो जाऊँगा!'

एक्टिंग और राइटिंग के अतिरिक्त रणवीर को संगीत से प्यार है। वे कहते हैं कि यह शायद दुनिया की वह चीज है, जिसमें आप खुद को खो सकते हैं...। उनके पास म्यूजिक एलबम्स की भरमार है और उन्हें उसके लिए गर्व है।

देखा जाए तो 'बैंड, बाजा, बारात' और 'लेडीज वर्सेस रिकी बहल' दोनों ही फिल्मों में रणवीर का किरदार कमोबेश एक-ही सा रहा है लेकिन फिर भी उनकी फैन फॉलोइंग बहुत ज्यादा है। अब वे इस साल के अंत में रिलीज होने वाली पीरियड फिल्म 'लुटेरे' में सोनाक्षी के अपोजिट नजर आएँगे। सोनाक्षी के साथ काम करते हुए वे काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।

- वरुण सोनवणे