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संजय लीला भंसाली और उनकी फिल्मों के महिला किरदार

संजय लीला भंसाली और उनकी फिल्मों के महिला किरदार - Sanjay Leela Bhansali, Heroines, Padmavat, Aishwarya Rai Bachchan, Deepika Padukone
इस वक्त बॉलीवुड में निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली पर जितनी चर्चाएं चल रही हैं, उतनी चर्चाओं का हिस्सा फिलहाल शायद ही कोई अन्य हो। भंसाली अपनी आगामी फिल्म पद्मावत को लेकर खासे विवादों में चल रहे हैं। इस फिल्म पर विवादों की वजह चाहे जो भी हो, लेकिन युवाओं का एक बड़ा तबका इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित भी नजर आ रहा है। 
 
फिल्म को लेकर चल रहे विवाद की वजह से लोगों के बीच फिल्म देखने की उत्सुकता तो है ही, साथ ही इसमें भंसाली की भी अहम भूमिका है। यदि आप गौर करें तो भंसाली की फिल्में कई मायनों में बेहद खास होती हैं। इतनी खास कि अभिनेत्रियां भी इनके साथ काम करने के लिए बेहद उत्साहित नजर आती हैं। फिल्म की कहानी हो, या भंसाली का निर्देशन, इनकी लगभग सभी फिल्मों में एक खास मसाला तो होता ही है। 
 
आइए भंसाली के काम पर एक नजर डालते हुए उनकी फिल्मों के बारे में थोड़ा-बहुत समझने की कोशिश करते हैं। 
 
नौ फिल्मों की नौ नायिकाएं 
यदि भंसाली की फिल्मों पर बात चल रही है तो उनके द्वारा निर्देशित की गई फिल्मों पर एक नजर डाल लेते हैं। पद्मावत उनके निर्देशन में बन रही 9वीं फिल्म है। साल 1996 में आई फिल्म खामोशी : द म्यूजिकल, भंसाली के निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। इस फिल्म ने आते ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया था, साथ ही भंसाली की यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर क्रिटिक अवॉर्ड समेत कई अन्य अवॉर्ड अपने नाम करने में सफल रही। इसके बाद साल 1999 में आई हम दिल दे चुके सनम ने भंसाली को बॉलीवुड में बतौर निर्देशक स्थापित कर दिया। साल 2002 में देवदास और साल 2005 में ब्लैक के जरिए भंसाली अपनी जगह और भी मजबूत करते चले गए। 
 
इसके बाद उनके करियर में थोड़ी सी गिरावट भी दर्ज की गई, जब उनकी लगातार दो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिर पड़ी थी। साल 2007 में आई सांवरिया और साल 2010 में आई गुजारिश से इन्हें निराशा हाथ लगी, हालांकि गुजारिश को क्रिटिक्स के द्वारा काफी सराहा गया था। 
 
इन दो फिल्मों की असफलता के बाद भंसाली ने साल 2013 में एक बार फिर अपने अंदाज में गोलियों की रासलीला राम-लीला के जरिए वापसी करते हुए धूम मचा दी। रणवीर-दीपिका के साथ सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने अपने बहुप्रतीक्षित फिल्म पर काम करते हुए साल 2015 में बाजीराव-मस्तानी पेश की, जो एक बड़ी हिट साबित हुई। 
 
भंसाली की हर फिल्म दर्शकों के दिमाग पर एक छाप छोड़ देती है, यह सिलसिला पद्मावत के साथ भी जारी रहने की पूरी संभावना है। अब आइए इन फिल्मों को बारीकी से देखते हुए भंसाली का काम समझने की एक कोशिश करते हैं। 
 
सशक्त महिला किरदार 
भंसाली की फिल्में देखने के बाद यह महसूस किया जा सकता है कि इनकी फिल्मों में अभिनेत्रियों का किरदार हमेशा से ही बेहद मजबूत एवं महत्वपूर्ण रहा है। बड़े-बड़े सितारा अभिनेताओं की मौजूदगी के बावजूद इनकी फिल्मों में महिला किरदार अपनी एक अलग पहचान स्थापित करने में कामयाब रहती है। 
 
इनकी पहली फिल्म खामोशी : द म्यूजिकल से ही यह सिलसिला चला आ रहा है। खामोशी में नाना पाटेकर व सलमान खान की मौजूदगी के बावजूद मुख्य आकर्षण मनीषा कोइराला रहीं। इसी तरह हम दिल दे चुके सनम में भी सलमान व अजय देवगन के रहते हुए ऐश्वर्या के किरदार को बेहद महत्वपूर्ण तरीके से पेश किया गया था। देवदास में जितनी अहमियत देवदास की थी, उतनी ही पारो व चंद्रमुखी की भी थी। 
 
अमिताभ बच्चन के सितारा कद और दमदार अभिनय के आगे किसी अन्य कलाकार का परदे में जगह बना पाना बेहद मुश्किल माना जाता है। ऐसे में फिल्म ब्लैक एक अपवाद की तरह नजर आती है, अमिताभ के होते हुए फिल्म में रानी मुखर्जी का किरदार दर्शकों के दिमाग पर जादू सा करता नजर आया था। गुजारिश में भले ही रितिक मुख्य भूमिका में थे, लेकिन ऐश्वर्या को जिस खूबसूरती के साथ पेश किया गया है उसके बिना फिल्म अधूरी सी लगती है। 
 
रणवीर-दीपिका के साथ आई गोलियों की रासलीला राम-लीला और बाजीराव मस्तानी में भी यह बात गौर की जा सकती है कि दीपिका के किरदार की अहमियत किन्हीं भी मायनों में रणवीर के किरदार से कम नहीं थी। राम-लीला में दोनों ही किरदार एक साथ चलते नजर आते हैं, तो बाजीराव मस्तानी में कई जगह दीपिका व प्रियंका के सामने आप बाजीराव बने रणवीर को नजरअंदाज करने की भूल कर बैठेंगे। 
 
भंसाली की आगामी फिल्म पद्मावत में भी रणवीर व शाहिद कपूर के होते हुए मुख्य आकर्षण में दीपिका पादुकोण का किरदार ही है। 
 
बॉलीवुड में एक ओर तो पुरुष-प्रधान होने के इल्जाम लगते रहे हैं, और दूसरी ओर भंसाली के काम की समीक्षा करने पर आप पाएंगे कि ये पुरुष-प्रधान इंडस्ट्री की अवधारणा को हर कदम पर सफलतापूर्वक चुनौती देते आए हैं। 
 
हीरोइनों को खूबसूरती के साथ पेश करने में माहिर 
भंसाली की फिल्मों में एक बात और गौर करने लायक है। ये अपनी हर फिल्म में अभिनेत्रियों को इतनी खूबसूरती से पेश करते हैं कि देखने वाले मंत्रमुग्ध से हो जाते हैं। हम दिल दे चुके सनम व देवदास वे फिल्में हैं जिनमें ऐश्वर्या का सबसे खूबसूरत काम निखर कर सामने आया है। उसी तरह दीपिका के फ़िल्मी सफर की सभी फिल्में उठाकर देखने के बाद आप कह सकते हैं कि राम-लीला व बाजीराव मस्तानी उनके करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में शामिल है। इन फिल्मों में नजर आई ऐश्वर्या व दीपिका का खूबसूरती में शायद ही कोई मुकाबला हो। 
 
इनके अलावा खामोशी में मनीषा एवं ब्लैक व सावरिया में रानी को भी बेहद खूबसूरती से पेश किया गया है। शायद यही वजह है कि अभिनेत्रियों हमेशा भंसाली के साथ काम करने की इच्छुक रहती हैं। 
 
भव्य फिल्मों के शौकीन हैं संजय लीला भंसाली 
भंसाली अपनी फिल्मों को बेहद भव्यता के साथ पेश करते हैं। हम दिल दे चुके सनम से भंसाली ने जो सिलसिला शुरू किया था, वह पद्मावत तक चला आ रहा है। इनकी फिल्मों में शानदार बैकग्राउंड और भव्य व शाही महलनुमा घर आंखों को एक अलग ही सुकून देते हैं। आपको शायद इस बात की जानकारी न हो पर साल 2002 में आई देवदास उस समय की सबसे महंगी फिल्म थी, जिसे बनाने में करीब 50 करोड़ रुपये का खर्चा आया था। देवदास फिल्म में दिखाई गई हवेली को तैयार करने में लगभग 12 करोड़ कांच के टुकड़ों का उपयोग किया गया था। 
 
यदि आपने राम-लीला व बाजीराव मस्तानी फिल्में देखी हैं तो भंसाली का भव्यता प्रेम आपको भी नजर आया होगा। फिल्म पद्मावत का ट्रेलर देखकर भी यही कयास लगाए जा रहे हैं कि भंसाली की अन्य फिल्मों की तरह इसमें भी कई भव्य दृश्य आंखों को सुकून पहुंचाते नजर आएंगे। 
 
फिल्मों में अहम महिला किरदार, अभिनेत्रियों को खूबसूरत अंदाज में पेश करने की कला और भव्यता से प्रेम, जाहिर तौर पर इन्हीं प्रमुख वजहों से अभिनेत्रियों को भंसाली के साथ काम करना बेहद भाता है। 
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