रोल को चुनने के लिए मैं कोई सोची-समझी नीति नहीं अपनाता : नसीरुद्दीन शाह
अगर मेरे साथ कोई नया कलाकार काम कर रहा हूं और वह कहें कि वह नर्वस हो रहा है या डर रहा है तो मुझे बहुत बुरा लगता है। मुझे लगता है कि मैंने क्या कर दिया जो वह मेरे सामने सहज होकर काम नहीं कर पा रहा। मुझे ऐसा लगता है कि क्या मैं कलाकार के तौर पर कम पड़ गया। या कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाया? यह कहना है नसीरुद्दीन शाह का जो अमेजन प्राइम की नई वेब सीरीज 'बंदिश बैंडिट्स' में नजर आने वाले हैं।
यह सीरीज संगीत से जुड़ी बातें और कहानी है। इसमें नए संगीत को दिखाया जाएगा, नई पीढ़ी को दिखाया जाएगा। पुराने संगीत और पुरानी पीढ़ी को दिखाया जाएगा, और जाहिर है इन दोनों ही विचारधारा में टकराव जरूर होगा।
नसीरुद्दीन शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि मैं पुराने दादा जैसा नहीं हूं या पुराने दादाजी का रोल निभाने वाले शख्सियत जैसा नहीं हूं जो अपने पोते को या उसकी की गई किसी भी गलती को नजरअंदाज कर जाए। हंसते-हंसते उसके उज्जवल भविष्य के लिए अपनी हर बात कुर्बान कर जाए।
मैं उन दादाओं में से हूं जो अपने पोते ने किए हुए गलत काम के लिए उसे कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए भी हिम्मत रखता हूं और लगभग यही रोल है मेरा बंदिश बैंडिट्स में और मैं सच कहूं तो मुझे बहुत मजा आया यह रोल करते हुए।
नसीरुद्दीन शाह ने वेबदुनिया को आगे बताते हुए कहा कि किसी भी रोल को चुनने के लिए मैं कोई बहुत सोची-समझी नीति नहीं अपनाता हूं। जो पसंद आ जाता है, एक झटके में उसी को चुन लेता हूं। अब वह पसंद क्या बात आएगी इसकी मैं कोई गारंटी नहीं ले सकता। क्या मुझे शूट लोकेशन पसंद आएगी या निर्देशक पसंद आएंगे या रोल पसंद आएगा या कहानी पसंद आएगी कहानी की सेटिंग पसंद आएगी पता नहीं बस पढ़ता हूं जो अच्छा लगा वह अचानक से अपना लेता हूं।
क्या आप इसमें गाना गाते हुए भी दिखाई देंगे?
गाना गाना मेरे लिए बहुत टेढ़ी खीर है। बहुत मुश्किल है मेरे लिए। मिर्जा गालिब में मैंने एक बार यह काम किया है और यकीन मानिए बड़ी ही मेहनत करनी पड़ी थी मुझे। वह तो भला हो गुलजार साहब थे जिन्होंने गीत लिखे या मिर्जा गालिब लिखा और जगजीत साहब थे जिनकी आवाज मुझे मिली तो इन दोनों को देखा देखी। मैंने भी कुछ कर लिया, लेकिन इसमें तो बिल्कुल भी गाने की हिम्मत नहीं थी।
यह बहुत क्लासिकल बेस्ड बंदिशें थी या बहुत क्लासिकल बेस्ट गाने बनाए गए थे जो मैं नहीं कर सकता था। अजय चक्रवर्ती जी और शंकर एहसान लॉय का शुक्रिया अदा करता हूं। इतनी खूबसूरती से गीत संगीत बनाया गया है कि मैं इस रोल को और इन गानों को निभा गया बस।
इस सीरीज में तमन्ना यानी श्रेया एक अंतरराष्ट्रीय सिंगिंग स्टार बनना चाहती हैं और अपने नए एलबम को हिट करने के लिए वह कुछ अलग से संगीत को तलाश रही होती है और इसी वजह से वह राधे से मिलती है जो राठौर खानदान के गायक हैं और अपने दादाजी, नसीरुद्दीन शाह को वादा करते हैं कि इस घराने के अलावा वह कहीं नहीं गाएंगे।
तमन्ना और ऋत्विक दोनों के बीच में दोस्ती होती है, संगीत होता है और फिर आगे चलकर प्यार जैसी बातें बढ़ जाती है और ऋत्विक जो राधे का रोल निभा रहे हैं वह अपने राठौड़ घराने को छोड़, तमन्ना के साथ फ्यूजन म्यूजिक की ओर चले जाते हैं और इसी बात की वजह से उनके दादाजी यानी नसीरुद्दीन शाह उनसे नाराज हो जाते हैं।
इस सीरीज में अतुल कुलकर्णी भी काम कर रहे हैं। अतुल कुलकर्णी का कहना है कि मैं इस रोल में एक्टिंग में मजा आ रहा था। मैं इस सीरीज में बिल्कुल भी गाना सीखने की सोच विचार से नहीं आया था। लेकिन हां एक बात जो मैंने सीखी वह यह कि कोई कलाकार गाना कैसे गाता है और उससे परफेक्शन के साथ एक्टिंग करके लोगों के सामने दिखाना या पर्दे पर कर लेना। यह बात जरूर मैंने सीख ली है। अब कोई भी क्लासिकल गाना गा रहा हूं। मैं कम से कम उसकी नकल तो कर ही लूंगा पर्दे पर।
वहीं पर राधे का रोल निभाने वाले ऋत्विक भौमिक का कहना है कि मुझे क्लासिकल संगीत हमेशा से पसंद आया है और अगर बंदिश बैंडिट्स की वजह से क्लासिकल संगीत को देश-विदेश में बढ़ावा मिलता है तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। यह नई पीढ़ी के लिए बाकी पुरानी पीढ़ी के लिए और यंग एडल्ट्स के लिए भी एक अच्छी वेब सीरीज साबित हो सकती है।