• Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. मुलाकात
  4. Anushaka Sharma, Interview, Zero, Interview

Exculsive Interview : विराट कोहली से मैं क्रिकेट की और वे मुझसे फिल्मों की बात नहीं करते : अनुष्का शर्मा

Exculsive Interview : विराट कोहली से मैं क्रिकेट की और वे मुझसे फिल्मों की बात नहीं करते : अनुष्का शर्मा - Anushaka Sharma, Interview, Zero, Interview
"मेरी फिल्म का नाम भले ही ज़ीरो हो, लेकिन मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। मेरे गणित में बहुत अच्छे नंबर आते थे। मैं अपनी टीचर्स की फेवरेट स्टूडेंट कहलाती थी। गणित की स्कॉलर स्टूडेंट रही हूं।" अपने 'ज़ीरो' में किए गए वैज्ञानिक के रोल के ही मुताबिक अनुष्का असल ज़िंदगी में भी बहुत पढ़ाकू रही हैं। 'ज़ीरो' के प्रमोशनल इंटर्व्यूज़ के दौरान अनुष्का ने वेबदुनिया से बातचीत की। 
 
सेरिब्रल पाल्सी के मरीज़ जैसे जटिल रोल के लिए क्या कोई तैयारी की गई? 
मुझे जब अपने रोल के बारे में मालूम पड़ा तो मैं समझ गई थी कि मेरे लिए यह रोल आसान नहीं रहेगा। सेरिब्रल पाल्सी के शिकार लोगों के शरीर में बहुत सारी हलचल इच्छा के विपरीत होती रहती हैं। मुझे वो मूवमेंट्स के साथ-साथ अपने भाव कायम रखते हुए अपने डायलॉग बोलना थे। साथ ही मुझे ये भी दिखाना था कि राबिया वो शख्स है जिसने अपनी सारी कमियों को जीत लिया है। वह बहुत तेज़ दिमाग वाली लड़की है। सारी परेशानियों के बाद भी जो उसमें जीत की चमक है उसे भी पीछे नहीं पड़ने देना है.. ये सब बड़ा मुश्किल था। मैं बहुत सारे टेक्स लेती थी। एक शॉट हुआ तो मैं मॉनिटर पर देखती थी और अगर कहीं थोड़ा-सा भी मूवमेंट कम लगा तो मैं दोबारा शॉट देती थी। मुझे शूट के शुरुआती दिनों में बहुत मेहनत करना पड़ी थी क्योंकि ये रोल बहुत ही दमदार था।  मुझे गर्व है इस बात का कि मुझे ऐसे रोल मिलते रहे हैं। इसके लिए मैंने एक ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट और कार्डियॉलॉजिस्ट के साथ मिल कर काम किया। वो दोनों मुझे बताते रहते थे कि ऐसे लोगों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।"


 
आपको लगता है कि बाहरी देशों के बनिस्बत हमारे देश में दिव्यांगों के लिए बहुत सुविधाएं नही हैं? 
हां, मैं भी मानती हूं कि हमारे देश में बहुत सारी सुविधाओं का भाव है। कई जगहों पर ऐसे लोगों के लिए अलग से पार्किंग भी नहीं होती। देश के कुछ हिस्सों में सुविधाएं मिल जाती हैं, लेकिन इतनी नहीं जितनी मिलनी चाहिए। फिल्म में भी आप देखेंगे कि मैं अपना काम करने के अलावा भी बाहर घूमती हूं या अपने हिसाब से जी रही हूं। मुझे ज़ीरो की टीम ने बताया था कि ऐसा दूसरे देशों में मुमकिन है लेकिन हमारे देश में अभी तक वो सब कुछ नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि मैं बहुत लकी हूं कि ऐसा किरदार करने को मिला कि मैं दूसरे लोगों के जीवन में आने वाले चैलेंजेस को समझ सकी और अगर फिल्मों के ज़रिए कोई मदद हो जाए तो बहुत ही अच्छी बात होगी। 


 
आप अपने करियर के बेहतरीन दौर में हैं जहां आपको बहुत प्रशंसा मिल रही है। किससे सलाह मशविरा करती हैं? विराट से?
नहीं, मैं उनसे फिल्मों को ले कर कई मशविरा नहीं करती वरना पता नहीं क्या हो जाए? ना मैं उन्हें क्रिकेट के लिए कुछ कहती हूं, ना वे मुझे फिल्मों के लिए कुछ कहते हैं। वे अपनी दुनिया में और मैं अपनी फिल्मी दुनिया में। लेकिन मैं अपने भाई से ज़रूर सलाह लेती हूं। वह  फिल्म निर्माता हैं और उन्हें फिल्मों की समझ है। कई बार दूसरे निर्देशक दोस्त उनके लिए फिल्म स्क्रीनिंग कराते थे क्योंकि वो बहुत सही राह दिखाते हैं। मैं अपने फिल्मों की सलाह उनसे ज़रूर लेती हूं। 
 
कभी आपने अपने जीवन में किसी शून्य को महसूस किया है? कैसे निपटी उस शून्य या ज़ीरो से? 
बस वहीं महसूस करना रह गया है। सोचती हूं कभी ऐसा मौका आए तो कैसा रहेगा? बड़ा अनोखा होता है ज़ीरो क्योंकि उसी से नई शुरुआत होती है। वरना हम जिस तरह की इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं जो जीवन जी रहे हैं वो तो हमें हर पल एहसास कराता है कि हम बहुत ही तोप चीज़ हैं।