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Written By भाषा

मुकेश : दिल जलता है तो जलने दे...

जन्मदिन 22 जुलाई पर विशेष

Mukesh : Dil Jalta Hai To Jalne De… | मुकेश : दिल जलता है तो जलने दे...
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हिंदी फिल्म जगत में गायक मुकेश को उनकी अलग तरह की आवाज के लिए हमेशा याद किया जाता है और उनके गीत आज भी लोगों को सुकून देते हैं। केवल 56 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए मुकेश ने अपने कई गीतों को तो फिल्म के पर्दे पर प्रदर्शित होते भी नहीं देखा था।

मुकेश के इस संसार से अलविदा कह जाने के बाद भी कई साल तक उनके गीत फिल्मों में जादू बिखेरते रहे और संगीतप्रेमियों को उनकी जिंदादिल आवाज से सुकून पहुँचाते रहे।

22 जुलाई 1923 को एक सामान्य परिवार में जन्मे मुकेश ने दिल्ली में नौकरी करते हुए अपनी आवाज को रिकॉर्ड कराने की कवायद शुरू की और गायन जारी रखा।

मुकेश के संसार से जाने के बाद 1977 से लेकर 80 तक कई फिल्मों में उनकी आवाज से सजे गीत आते रहे और दर्शकों को उनके होने का आभास कराते रहे, जो उनके जीते जी पर्दे पर नहीं उतर सके थे।

इन फिल्मों में धरमवीर, अमर अकबर एंथनी, खेल खिलाड़ी का, दरिंदा, चाँदी सोना आदि हैं। इन कर्णप्रिय गीतों में 1978 में प्रदर्शित फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ का ‘चंचल शीतल निर्मल कोमल’ भी शामिल है।

मोहम्मद रफी, मन्ना डे और किशोर कुमार जैसे महान गायकों के समकालीन तथा 50 से 70 के दशक के बीच हिंदी फिल्मों में आवाज के जरिये छाए रहे गायक मुकेश अभिनेता राजकपूर की आवाज बन गए थे। राजकपूर के अभिनय से सजी अधिकतर फिल्मों में पर्दे के पीछे आवाज मुकेश की होती थी। मुकेश के निधन के बाद राज कपूर ने कहा था, ‘‘मैंने अपनी आवाज खो दी है।’’

मुकेश ने यूँ तो करियर की शुरुआत 1941 में फिल्म ‘निर्दोष’ में अभिनेता-गायक के तौर पर की थी, लेकिन पहली बार पार्श्वगायक के तौर पर 1945 में उन्होंने उस समय के जानेमाने अभिनेता मोतीलाल के लिए फिल्म ‘पहली नजर’ में गीत गाया था। इसके संगीतकार अनिल विश्वास थे।

हिंदी फिल्मों के लिए उनके पार्श्वगायन की पहली खूबसूरत प्रस्तुति ‘दिल जलता है तो जलने दे’ के तौर पर आई थी। उन्हें गायक के तौर पर पहचान दिलाने में मोतीलाल का भी योगदान रहा, जो उनकी गायन प्रतिभा को पहचानकर मुंबई ले गए थे।

उनका निधन 27 अगस्त 1976 को अमेरिका के मिशीगन में दिल का दौरा पड़ने से हो गया था। वहाँ वे एक कंसर्ट में शिरकत करने गए थे।

मुकेश की आवाज को उनके पुत्र नितिन मुकेश ने भी जीवंत रखा है, वहीं उनके पौत्र नील नितिन मुकेश अभिनय के क्षेत्र में दमदार शुरुआत करने के बाद आज उनकी फिल्मी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

(भाषा)