विशाल डडलानी का खुला पत्र
मुनि तरुण सागरजी, सभी जैन साधु, मुनियों और जैन धर्म मानने वालों का ध्यान पाने के लिए खुला पत्र
अब चार दिन हो गए हैं जब मैंने मुनि तरुण सागर जी के हरियाणा असेंबली में वेशभूषा को लेकर ट्वीट किया था। मुझे लगता है कि एक इंसान के तौर पर मैं अपनी ड्यूटी निभाने में असफल रहा हूं। जिनमें दूसरों की भावनाओं का सम्मान शामिल है। मेरा किसी को आहत करने का कोई इरादा नहीं था।
मैं धार्मिक इंसान नहीं हूं, परंतु मुझे पता है कि लोगों के लिए धर्म कितना महत्वपूर्ण है। मैंने माफी चाही है तरुण सागरजी और उनके अनुयायियों से भी। मेरी माफी की गुहार मेरी गिल्ट और दर्द के लिए काफी नहीं है। एक जिम्मेदार भारतीय के रूप में मुझे मुनि तरुण सागरजी के अनुयायियों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था।
खासतौर पर जैन लोगों से माफी मिलने के बाद से, मुझे महसूस हुआ है कि उनके दिल कितने बड़े हैं। उनकी भीतर कितनी अच्छाई और शक्ति है। मैं हमेशा लोगों के अधिकारों के लिए खड़ा रहा और मुझे लगता है कि मैंने अपने देश के लिए अपने प्यार को नीचा कर दिया क्योंकि मेरे किए से तरूण सागरजी जैसे दयालु मुनि पर प्रभाव पड़ा है। हालांकि मुझे किसी और से डरने की जरूरत नहीं, परंतु मुझे खुद से निराशा और चोट पहुंची है।
मैं फिर से माफी मांगना चाहता हूं। यह पूरी तरह साफ करना चाहता हूं कि किसी भी पॉलिटिकल पार्टी से मेरा कोई संबंध नहीं है। एक कलाकार के तौर पर, मैं सिर्फ समाज के लिए काम करूंगा। गरीबों की स्थिति बेहतर हो इस दिशा में काम करूंगा जैसा जैन समाज करता है।
यह मेरा घमंड था जिसने मुझे सोचने से पहले बोलने पर मजबूर कर दिया। इसी कारण मैंने अनजाने में मेरे जैन साथियों की भावानाओं को ठेस पहुंचाई है। यही वह घमंड है जिसे मैं खत्म करना चाहता हूं, आपकी मदद से। मैं फिर से माफी मांगता हूं, पूरे दिल से। मुनि और सभी जैन भाइयों से माफी चाहता हूं। मैं वादा करता हूं, यह ऐसी गलती थी जो कभी भी दोहराई नहीं जाएगी।
अपनी दयालुता दिखाते हुए मुनिजी ने पहले ही कह दिया है कि मेरे वाक्य कोई मायने नहीं रखते। परंतु फिर भी मुझे व्यक्तिगत तौर पर माफी चाहिए। यह मेरी आशा है कि मैं अपना पछतावा और उनके प्रति अपना सम्मान उन तक पहुंचा सकूं। पर्यूषण के समय में आपकी माफी चाहता हूं।
- विशाल डडलानी