जूनियर महमूद : उधार की रोशनी में चमकने वाले कलाकार
Junior Mahmood passes away: 60 और 70 के दशक में महमूद बहुत बड़े कलाकार थे। फिल्मों में वे ज्यादातर हास्य भूमिकाएं अदा करते थे, लेकिन दर्शकों के बीच वे बेहद लोकप्रिय थे। हर प्रोड्यूसर और डायरेक्टर महमूद को अपनी फिल्म में लेना चाहता था। उस दौर के कई दिग्गज हीरो से ज्यादा फीस महमूद की थी।
महमूद के हाव-भाव, मैनेरिज्म, एक्टिंग स्टाइल, संवाद अदायगी को नईम सैय्यद नामक बाल कलाकार ने अपना लिया। महमूद की नकल में वे पारंगत हो गए। महमूद का अभिनय तो अपनाया ही, नाम भी ले लिया। नईम से वे जूनियर महमूद बन गए।
प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को यह जूनियर महमूद पसंद आया। जो निर्माता-निर्देशक महमूद को अपनी फिल्म में ले नहीं सकते थे वे जूनियर महमूद से काम चलाने लगे। वयस्क महमूद के साथ-साथ बाल महमूद भी लोगों को पसंद आने लगा और नईम की गाड़ी चल पड़ी।
जूनियर महमूद की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि सीनियर महमूद ने भी उनके साथ काम किया। दोनों महमूद को साथ देख दर्शकों का खूब मनोरंजन हुआ।
बाल कलाकार के रूप में नईम ने खूब सफलता हासिल की। लोग उनका वास्तविक नाम जानते ही नहीं थे और उन्हें ताउम्र जूनियर महमूद कह कर ही पुकारने लगे। जूनियर महमूद ने उस दौर के नामी सितारों के साथ फिल्में की।
जब जूनियर महमूद वयस्क हुए तो उन्हें काम मिलना कम होने लगा क्योंकि सीनियर महमूद का करियर भी उतार पर आ गया। लेकिन तब तक वे अच्छा खासा काम कर चुके थे। कई भाषाओं में बनी 250 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने काम किया। 6 मराठी फिल्म निर्देशित की। टीवी सीरियल किए।
अचानक एक दिन उन्हें पता चला कि चौथे स्टेज का कैंसर है और उनके पास बहुत ज्यादा समय नहीं है। अंतिम दिनों में उन्हें अपने सुनहरे दिन याद आने लगे। फिल्म अभिनेता जीतेन्द्र और सचिन से मिलने की ख्वाहिश उन्होंने प्रकट की जो पूरी हुई। जीतेन्द्र और सचिन के साथ फिल्म करते समय उनकी अच्छी दोस्ती भी हो गई थी।
जूनियर महमूद का उदाहरण बिरला है। उन्होंने महमूद के दौर में ही महमूद बन कर फिल्मों में काम किया और सफल हुए।