गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. आलेख
  4. bollywood actor jeetendra 77th birthday special
Written By

अपनी अनोखी डांसिंग स्टाइल से जीतेन्द्र ने बनाई पहचान

अपनी अनोखी डांसिंग स्टाइल से जीतेन्द्र ने बनाई पहचान - bollywood actor jeetendra 77th birthday special
मुंबई के गोरेगांव में लड़कों का एक समूह अक्सर फिल्मों का पहला शो देखा करता था। फिल्म देखने के बाद वे लोगों को बताते कि फिल्म कैसी है। एक दिन निर्माता-निर्देशक वी शांताराम फिल्म देखने आए हुए थे। उन्होंने लड़कों के समूह में एक लड़के को फिल्म के बारे में लोगों से बातचीत करते हुए देखा।


वी शांताराम उस लड़के से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने निश्चय किया कि वह उसे अपनी फिल्म में काम करने का मौका देंगे। उन्होंने उसे अपने पास बुलाकर अपनी फिल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' में काम करने की पेशकश की। यह लड़का रवि कपूर था जो बाद में फिल्म इंडस्ट्री में जीतेन्द्र के नाम से मशहूर हुआ।
 
7 अप्रैल 1942 को एक जौहरी परिवार में जन्मे जीतेन्द्र का रूझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था, और वह अभिनेता बनना चाहते थे। वह अक्सर घर से भाग कर फिल्म देखने चले जाते थे। जीतेन्द्र ने अपने सिने करियर की शुरूआत 1959 में प्रदर्शित फिल्म 'नवरंग' से की जिसमें उन्हें छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला।

लगभग पांच वर्ष तक जीतेन्द्र फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता के रूप में काम पाने के लिये संघर्षरत रहे। वर्ष 1964 में उन्हें वी शांताराम की फिल्म गीत गाया पत्थरों ने में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म के बाद जीतेन्द्र अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वर्ष 1967 में उनकी एक और सुपरहिट फिल्म फर्ज प्रदर्शित हुई। रविकांत नगाइच निर्देशित इस फिल्म में जीतेन्द्र ने डांसिग स्टार की भूमिका निभाई। इस फिल्म में उन पर फिल्माया गीत 'मस्त बहारो का मैं आशिक' श्रोताओं और दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। इस फिल्म के बाद जीतेन्द्र को जंपिग जैक कहा जाने लगा।
 
फिल्म फर्ज से बनी डांसिंग स्टार की छवि 
फर्ज की सफलता के बाद डांसिग स्टार के रूप में जीतेन्द्र की छवि बन गई। इस फिल्म के बाद निर्माता निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी डांसिंग छवि को भुनाया। निर्माताओं ने उनको एक ऐसे नायक के रूप में पेश किया जो नृत्य करने में सक्षम है। इन फिल्मों में हमजोली और कारवां जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है। इस बीच जीतेन्द्र ने जीने की राह, दो भाई और धरती कहे पुकार के जैसी फिल्मों में हल्के-फुल्के रोल कर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया। वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म जैसे को तैसा के हिट होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में उनके नाम के डंके बजने लगे और वह एक के बाद एक कठिन भूमिकाओं को निभाकर फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए।

70 के दशक में जीतेन्द्र पर आरोप लगने लगे कि वह केवल नाच गाने से भरपूर रूमानी किरदार ही निभा सकते हैं। उन्हें इस छवि से बाहर निकालने में निर्माता-निर्देशक गुलजार ने मदद की और उन्हें लेकर परिचय, खुशबू और किनारा जैसी पारिवारिक फिल्मों का निर्माण किया। इन फिल्मों में उनके संजीदा अभिनय को देखकर दर्शक आश्चर्यचकित रह गए। जीतेन्द्र के सिने करियर पर नजर डालने पर पता लगता है कि वह मल्टी स्टारर फिल्मों का अहम हिस्सा रहे है। फिल्मी जगत के रूपहले पर्दे पर जीतेन्द्र की जोड़ी रेखा के साथ खूब जमी। अस्सी के दशक में उनकी जोड़ी अभिनेत्री श्रीदेवी और जया प्रदा के साथ काफी पसंद की गयी। अपनी अनूठी नृत्य शैली के कारण इस जोड़ी को दर्शकों ने सिर आंखों पर बैठा लिया।

वर्ष 1982 से 1987 के बीच जीतेन्द्र ने दक्षिण भारत के फिल्मकार टी रामाराव, के. बापैय्या, के. राघवेन्द्र राव आदि की फिल्मों में भी काम किया। 90 के दशक में अभिनय मे एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए उन्होंने खुद को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। 
 
वर्ष 2000 के दशक में फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं नहीं मिलने पर उन्होंने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। इस दौरान वह अपनी पुत्री एकता कपूर को छोटे पर्दे पर निर्मात्री के रूप स्थापित कराने में उनके मार्गदर्शक बने रहे। जीतेन्द्र ने 4 दशक लंबे सिने करियर में 250 से भी अधिक फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। वह इन दिनों अपनी पुत्री एकता कपूर को फिल्म निर्माण में सहयोग कर रहे है।