आर्थिक मंदी ने जिस तरह कॉर्पोरेट जगत को संकट में लाकर खड़ा किया है, उसी तरह हिन्दी फिल्म उद्योग पर भी उसका अच्छा खासा असर हुआ है। इस मार की वजह से पिछले कुछ महीनों में घोषित की गई कई फिल्मों की योजनाएँ आगे खिसकाई गई हैं। साथ ही करोड़ों की माँग कर रहे कलाकारों को अब कोई साइन करने आगे नहीं आ रहा है।
नायक-नायिकाओं ने ही नहीं, अन्य कलाकारों ने भी अपने दाम 20 से 25 प्रतिशत कम कर दिए हैं। इस मंदी की मार का ताजा उदाहरण सलमान खान का है। 'टी-सीरिज' और 'टिप्स' कैसेट कंपनी ने अपनी नई फिल्मों के लिए 40 से 50 करोड़ में सलमान को साइन किया था। आर्थिक मंदी की मार झेल रही इन कंपनियों ने अब सलमान से अपनी कीमत कम करने की गुजारिश की है हालाँकि सलमान ने भी आर्थिक मंदी को देखते हुए कीमत कम करने का निर्णय लिया है।
पिछले एक-डेढ़ वर्ष से नायकों की कीमत आसमान छूने लगी थीं। रितिक रोशन को 30 करोड़ में साइन किया गया था तो अक्षय कुमार को 60 करोड़ में। नायकों की तरह नायिकाओं की कीमत भी ऊपर ही जा रही थी। करीना कपूर, कैटरीना कैफ को 5-6 करोड़ में साइन किया गया था हालाँकि इन कलाकारों को जो रकम दी जा रही थी, वह दो-तीन फिल्मों के लिए थी।
कलाकारों को यह कीमत कॉर्पोरेट कंपनियों के फिल्म बाजार में जोर-शोर से उतरने की वजह से मिली थी। महेश भट्ट ने बताया कि इन कॉर्पोरेट कंपनियों को फिल्म व्यवसाय के बारे में जरा भी जानकारी नहीं है। उन्हें सिर्फ इससे मिलने वाली रकम दिख रही थी। यही वजह थी कि उन्होंने कलाकारों को अपने पाले में रखने के लिए करोड़ों का खेल खेला, जो अब उनके गले में आ गया है।
ट्रेड एनेलिस्ट एनपी यादव ने बताया कि फिल्मों के बजट में कलाकारों का हिस्सा 40 से 50 प्रतिशत होता है। पहले से ही यह अनुपात चलता आ रहा है। ज्यादातर नायक ही सबसे ज्यादा पैसे लेते हैं लेकिन नायिकाओं में सिर्फ हेमा मालिनी और श्रीदेवी ने ही नायकों से ज्यादा पैसे लिए हैं। आज फिल्म के बजट में पब्लिसिटी का बजट 10 से 15 प्रतिशत होता है। आज के नायकों को 50-60 करोड़ देने की जो बातें हो रही हैं वह पूरी तरह गलत हैं।
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- चंद्रकांत शिंदे
SUNDAY MAGAZINE
इसी तरह फिल्म के कलेक्शन के आँकड़े भी गलत दिए जाते हैं। आज जो कहता है कि मेरी फिल्म ने सौ करोड़ का व्यवसाय किया है वह कुल आँकड़ा होता है। असल में उनके हाथ में इस आँकड़े की 40 या 50 प्रतिशत रकम ही आती है। कॉर्पोरेट कंपनियों ने ही कुल आँकड़े देने की शुरुआत की क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को खींचना चाहते थे। शाहरुख को छोड़ दें तो कोई भी कलाकार, फिल्म को 80-90 करोड़ नेट प्रॉफिट तक नहीं ले जा सकता। अन्य कलाकारों की फिल्म देश में 35 से 40 करोड़ नेट से ज्यादा बिजनेस कर ही नहीं कर सकती। अब कॉर्पोरेट कंपनियों ने अपने प्रोजेक्ट आगे खिसका दिए हैं।