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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025 (13:16 IST)

स्वामी चैतन्य महाप्रभु कौन थे, उनके जीवन की खास बातें जानकर हैरान रह जाएंगे

चैतन्य महाप्रभु का जीवन परिचय और सामाजिक कार्य

स्वामी चैतन्य महाप्रभु कौन थे, उनके जीवन की खास बातें जानकर हैरान रह जाएंगे - Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2025
Chaitanya Mahaprabhu: चैतन्य महाप्रभु एक प्रमुख वैष्णव संत और समाज सुधारक थे। उन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की नींव रखी, जिसके द्वारा कृष्ण भक्ति का प्रचार किया गया। उन्हें कृष्ण और राधा का संयुक्त अवतार माना जाता है और उनकी लोकप्रियता भारत के पूर्वी भागों में बहुत अधिक है।ALSO READ: रामकृष्ण परमहंस जयंती, जानें उनका जीवन, उल्लेखनीय कार्य और प्रेरक विचार
 
कई स्थानों पर होली के दिन चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन को एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जहां राधा-कृष्ण जी की प्रतिमाओं को रथ में विराजित करके रथयात्रा निकाली जाती है और महिलाएं नृत्य करते हुए आगे चलती है। चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी उन्हें भगवान का अवतार मानते हैं।

उन्होंने अपने विचारों और कार्यों से समाज को एक नई दिशा प्रदान की। उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई लीलाएं और चमत्कार किए। 
 
चैतन्य महाप्रभु का जीवन परिचय : चैतन्य महाप्रभु का जन्म 18 फरवरी, 1486 ई. को बंगाल के नादिया जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. जगन्नाथ मिश्र था और माता का नाम शचि देवी था। उनका असली नाम विश्वरूप था, लेकिन उनके माता-पिता 'निभाई' के नाम से बुलाते थे।

उनके अन्य नाम विश्वम्भर मिश्र, गौरसुंदर, श्रीकृष्ण चैतन्य भारती, निमाई पंडित गौरांभ महाप्रभु, गौरहरि, आदि भी थे। वे बालपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा स्वभाव से सरल और भावुक व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नादिया में पूरी की और फिर नवद्वीप में उच्च शिक्षा प्राप्त की, जो उस समय शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। चैतन्य महाप्रभु का विवाह 15 वर्ष की आयु में विष्णुप्रिया से हुआ था। 
 
मात्र 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया और अपना नाम कृष्ण चैतन्य रखा। उन्होंने पूरे भारत में भ्रमण कर कृष्ण भक्ति का प्रचार किया। चैतन्य महाप्रभु एक ऐसे संत थे, जिन्होंने भक्ति मार्ग पर चलते हुये राधा-कृष्ण जी के ध्यान में अपना जीवन व्यतीत किया। उन्होंने जगह-जगह जाकर हरिनाम का प्रचार किया था। चैतन्य महाप्रभु का महाप्रयाण उड़ीसा के तीर्थस्थल पुरी में हुआ था।ALSO READ: महाशिवरात्रि पर जानिए शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग के 12 रहस्य
 
चैतन्य महाप्रभु के सामाजिक कार्य: 
- चैतन्य महाप्रभु ने जातिवाद और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।
- उन्होंने सभी वर्गों के लोगों को एक साथ मिलकर कृष्ण भक्ति करने के लिए प्रेरित किया।
- उन्होंने गरीबों और असहायों की सेवा करने का संदेश दिया।
- उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई।
- उन्होंने 'हरिनाम संकीर्तन' आंदोलन शुरू किया, जिसके माध्यम से उन्होंने कृष्ण भक्ति का प्रचार किया।
 
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