शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Why boris johnson is compared with Narendra Modi
Written By BBC Hindi
Last Modified: शनिवार, 14 दिसंबर 2019 (10:43 IST)

बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन का मोदी क्यों कहते हैं वहां बसे भारतीय?

बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन का मोदी क्यों कहते हैं वहां बसे भारतीय? - Why boris johnson is compared with Narendra Modi
ज़ुबैर अहमद, बीबीसी संवाददाता, लंदन
'बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के मोदी हैं।' ये विचार ब्रिटेन में रहने वाले आम प्रवासी भारतीयों के हैं। वो कहते हैं कि ब्रितानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह लोकप्रिय नहीं हैं लेकिन वैचारिक समानता दोनों को एक दूसरे के नज़दीक लाई है। उनका मानना है कि बोरिस जॉनसन आगे भी चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं।
 
जॉनसन ने अपनी पार्टी को 25 सालों में पहली बार ज़बरदस्त जीत दिलाई है। हालांकि इन विचारों से सभी सहमत नहीं हैं।
 
ब्रैडफ़र्ड के एक मंदिर के मैनेजमेंट के अध्यक्ष मुकेश शर्मा कहते हैं, 'हम दावे के साथ नहीं कह सकते कि दोनों नेताओं में कोई समानता है। हमने कंज़र्वेटिव पार्टी को वोट दिया इसलिए हम संतुष्ट हैं। लेकिन कई लोगों ने बोरिस को ब्रेग्ज़िट के कारण वोट दिया।'
 
बोरिस जॉनसन ने भारतीय मूल को लुभाने की काफ़ी कोशिशें की हैं क्योंकि वो इस समुदाय की अहमियत से वाक़िफ़ हैं।
 
भारतीय मूल के सांसदों की संख्या बढ़ी
कंज़र्वेटिव पार्टी के भारतीय मूल के सांसदों की संख्या पाँच से बढ़कर सात हो गई है। लेबर पार्टी के भी सात उम्मीदवार चुनाव जीते हैं।
 
भारतीय मूल की प्रीति पटेल को गृह मंत्री बनाए रखा जा सकता है। बोरिस के नए मंत्रिमंडल में भी भारतीय मूल के सांसद होंगे और विपक्ष में भी।
 
बोरिस जॉनसन चुनावी मुहिम के दौरान लंदन के नीसडेन मंदिर गए जिसका मक़सद ये पैग़ाम देना था कि कंज़र्वेटिव पार्टी भारत और भारतीय मूल के लोगों की दोस्त है।
 
मंदिर में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निजी स्तर की दोस्ती का दावा किया और स्वीकार किया कि 15 लाख भारतीय मूल के लोगों ने ब्रिटेन के विकास में काफ़ी योगदान दिया है। गुरुवार को चुनावी नतीजे आए। कंज़र्वेटिव पार्टी को भारी बहुमत मिला। कहा ये जा रहा है कि 1987 के बाद से इसकी सबसे बड़ी विजय है।
 
ब्रेग्ज़िट से निकलना आसान होगा?
ये चुनावी नतीजे ब्रेग्ज़िट के वादे पर मिले। कंज़र्वेटिव पार्टी ने वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आयी तो यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को तुरंत बाहर ले जाएगी।
 
ब्रिटेन की भारतीय मूल की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने बुधवार की रात को कहा कि ब्रिटेन अगले महीने यूरोपीय संघ से बाहर हो जाएगा। इसका मतलब ये हुआ कि अब ब्रिटेन किसी भी देश के साथ अपने संबंध अपनी तरह से बनाने के लिए आज़ाद होगा।
 
लेकिन विश्लेषक कहते हैं ये अलहदगी आसान नहीं होगी। मैनचेस्टर के लेबर पार्टी के एक समर्थक दिलबाग़ तनेजा के अनुसार ये अलहदगी उसी तरह की होगी जिस तरह सालों तक चलने वाली शादी के बाद तलाक़शुदा जोड़े की होती है। तलाक़ के बाद तनहाई का एहसास दोनों को होगा। ब्रिटेन को नए दोस्तों की तलाश होगी।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने ब्रिटेन से घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की बात कही है। बोरिस जॉनसन के सबसे पहले क़दम के तौर पर अमेरिका से एक बड़ा व्यापारिक संबंध बनाना शामिल होगा।
 
लेबर पार्टी से एक युग से जुड़े लॉर्ड मेघनाद देसाई कहते हैं कि भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ते मज़बूत हैं जो अब और भी मज़बूत हो सकते हैं।
 
यहाँ रह रहे भारतीय मूल के लोगों का ख़याल है कि बोरिस जॉनसन ब्रेग्ज़िट के बाद शायद सबसे पहली विदेशी यात्रा भारत की ही करेंगे।
 
लंदन के एक दुकानदार ईश्वर प्रधान की इच्छा है कि प्रधानमंत्री सबसे पहले भारत का दौरा करें। वो कहते हैं, 'उनका भारत से पुराना लगाव है। उनकी पूर्व पत्नी भारतीय थीं। वो लंदन के मेयर की हैसियत से भारत जा चुके हैं। वो बुनियादी तौर पर भारत के हिमायती हैं।'
 
भारत और ब्रिटेन के ऐतिहासिक रिश्ते ज़रूर हैं लेकिन इसमें गहराई की कमी दिखती है। गर्मजोशी भी कभी कभार महसूस होती है। अगर दो तरफ़ा व्यापार पर नज़र डालें तो ये 15-17 अरब डॉलर के इर्द-गिर्द सालों से चला आ रहा है। भारत के व्यापारिक संबंध यूरोपीय संघ से कहीं अधिक घनिष्ठ हैं। ऐसे में ब्रिटेन के साथ ट्रेड समझौता करने से भारत को कुछ अधिक लाभ नहीं होगा। इस समय ब्रिटेन को भारत की ज़रूरत अधिक है ना कि भारत को ब्रिटेन की।
 
लेबर पार्टी के भारतीय मूल के पाँचवीं बार सांसद वीरेंद्र शर्मा के अनुसार भारतीय मूल के लोग भारत और ब्रिटेन के बीच एक पुल का काम कर सकते हैं।
 
वो कहते हैं, "सत्ता में कोई भी पार्टी आए भारत से उसे मज़बूत संबंध बनाकर रखना पड़ेगा। हमारी पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कश्मीर पर जो स्टैंड लिया था उसे मैंने ख़ुद रद्द किया था।" उनके मुताबिक़ भारत एक बड़ा मार्केट है जिससे व्यापारिक समझौता दोनों देशों के पक्ष में होगा।
 
भारत की लगभग 900 कंपनियों ने या तो यहाँ निवेश किया हुआ है या यहाँ दफ़्तर खोलकर यूरोप में व्यापार कर रही हैं।
 
जलियांवाला बाग़ के लिए माफ़ी मांगेंगे?
शुक्रवार को आए चुनावी नतीजों के बाद कई प्रवासी भारतीयों से बात करके समझ आया कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार बढ़ सकता है और भारतीय युवकों को यहाँ अधिक नौकरियाँ मिल सकती हैं मगर इतना दोनों पक्षों के लिए काफ़ी नहीं होगा।
 
एक रेस्टोरेंट के मालिक सुरजीत सिंह के विचार में अगर बोरिस जॉनसन जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफ़ी माँग लें तो ये ब्रिटेन और भारत के रिश्तों में एक नई जान फूँक सकता है।
 
लेबर पार्टी ने जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफ़ी माँगने का वादा किया था। अब बोरिस जॉनसन की भारी बहुमत वाली सरकार इसे अंजाम दे सकती है।
 
दूसरी तरफ़ पाकिस्तानी मूल के लोगों की भी ये सोच है कि बोरिस जॉनसन भारत के साथ रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश करेंगे। बीबीसी के साजिद इक़बाल के अनुसार बोरिस और मोदी की दोस्ती दोनों देशों के रिश्तों में रंग लाएगी।
ये भी पढ़ें
इंग्लैंड के चुनाव परिणाम भारत के हित में हैं