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Last Modified: मंगलवार, 4 दिसंबर 2018 (11:35 IST)

राजस्थान विधानसभा चुनाव: पाकिस्तानी हिंदुओं की नागरिता पर राजनीतिक खींचतान

राजस्थान विधानसभा चुनाव: पाकिस्तानी हिंदुओं की नागरिता पर राजनीतिक खींचतान - rajasthan assembly elections 2018
- नारायण बारेठ (जयपुर से)
 
राजस्थान में पाकिस्तान से आए हिन्दू अल्पसंख्यकों के पुनर्वास की मांग एक चुनावी मुद्दा बना हुआ है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने घोषणा पत्र में उनके कल्याण का वादा किया है लेकिन पाकिस्तान से भारत में नागरिकता की मुराद लेकर आए इन हिन्दुओं का कहना है बीजेपी ने उन्हें निराश किया है।
 
 
बीजेपी कहती है कि कांग्रेस तो बांग्लादेशी और बर्मी घुसपैठियों के लिए आवाज़ उठाती रही है और उसे कब से इन हिन्दुओं की चिंता होने लगी। इन हिन्दुओं के लिए स्वर मुखरित करते रहे सीमान्त लोग संगठन के मुताबिक़, पाकिस्तान से आए ऐसे सात हज़ार लोग हैं जो भारत की नागरिकता चाहते हैं। केंद्र ने नागरिकता के लिए प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन अब तक पांच सौ लोगों को ही भारत की नागरिकता मिल सकी है।
 
 
नागरिकता के वादे
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में नागरिकता का वादा किया है लेकिन कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इन विस्थापितों के सर्वांगीण विकास का वचन दिया है। कांग्रेस ने इन पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए एक निकाय गठित करने का वादा किया है।
 
 
राजस्थान में इससे पहले साल 2004-5 में 13 हज़ार पाकिस्तानी हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी गई थी। इससे पहले भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान भी बड़ी तादाद में हिन्दू अल्पसंख्यक पनाह की गुहार करते हुए सरहद पार करके इस तरफ़ चले आए थे। इस तरह मरुस्थली भू-भाग के ज़िलों में इनकी अच्छी उपस्थिति है।

 
क्या कहते हैं ये लोग
पाकिस्तान में पंजाब के रहीमयार ख़ान ज़िले से आए गोविन्द भील अब भारत के नागरिक हैं। उन्हें कोई डेढ़ दशक पहले भारत की नागरिकता मिल गई थी पर अभी उनके कई नाते रिश्तेदार भारत में शरण लेने के बावजूद नागरिकता के लिए गुहार लगा रहे हैं।
 
 
गोविन्द भील ने बीबीसी से कहा, "बीजेपी से बड़ी उम्मीद थी लेकिन बीजेपी ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसके मुक़ाबले कांग्रेस ने घोषणा पत्र में हमारी समस्या पर ज़्यादा कुछ करने का वादा किया है। बीजेपी ने हमारे पुनर्वास पर कोई ख़ास काम नहीं किया।" भील कहते हैं, "ज़ाहिर है हमारे लोग कांग्रेस का रुख़ करेंगे।"
 
 
सीमान्त लोग संगठन के अध्यक्ष हिन्दू सिंह सोढा कभी ख़ुद भी पाकिस्तान से भारत आ बसे थे। वह कहते हैं, "कांग्रेस ने हमारे तमाम मुद्दों पर ठीक से अपनी प्रतिबद्धता का इज़हार किया है मगर बीजेपी ने इन हिंदू विस्थापितों की उपेक्षा की है। इससे हमारे लोग मायूस हुए हैं क्योंकि उन्हें बीजेपी से कुछ अधिक आशाएं थीं।"
 
 
वे कहते हैं कि केंद्र सरकार ने दो साल पहले एक आदेश जारी कर इस समुदाय के पुनर्वास का निर्देश दिया था मगर इसके क्रियान्वन की रफ़्तार बेहद धीमी रही। भारतीय क़ानून के मुताबिक़, भारत में सात साल की रिहाइश के बाद ही कोई पाकिस्तानी हिन्दू नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
 
वापस भेजे गए थे कई लोग
केंद्र सरकार ने इन हिंदुओं के लिए लम्बी अवधि का वीज़ा देने की मांग स्वीकार कर ली थी। इसके तहत उन्हें नागरिकता न मिलने के बावजूद भारत में नौकरी-व्यापार करने की छूट मिल गई थी। इन हिन्दुओ में ज़्यादातर या तो दलित हैं या फिर भील आदिवासी समुदाय से हैं। इनमें से हर एक पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव की कहानी सुनाता मिलता है।
 
 
पिछले साल पुलिस ने जोधपुर में एक भील परिवार के नौ सदस्यों को जबरन पाकिस्तान वापस भेज दिया था। इस पर काफ़ी हंगामा भी हुआ था और संगठन के लोग मामले को राजस्थान हाई कोर्ट तक ले गए थे।
 
 
हाईकोर्ट ने चंदू भील और उसके परिजनों को पाकिस्तान भेजने पर रोक लगा दी थी लेकिन आदेश पर तामील होने से पहले ही अधिकारियों ने चंदू भील और परिवार को थार एक्सप्रेस से रवाना कर दिया था। बाद में हाईकोर्ट ने स्वत: इन विस्थापितों की बेबसी का संज्ञान लिया और सरकार को ज़रूरी निर्देश दिए।
 
 
इन हिन्दुओं में से एक गोविन्द भील कहते हैं, "चंदू और उसका परिवार मिन्नतें करता रहा लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। यह पहली बार हुआ जब पनाह की फ़रियाद लेकर आए किसी हिन्दू को जबरन उस तरफ़ भेज दिया गया हो।"
 
 
क्या कहती हैं पार्टियां
राज्य कांग्रेस के सचिव सुशील आसोपा कहते हैं, "कांग्रेस को पता है कि ये लोग कमज़ोर वर्गों से हैं और इनकी आर्थिक हालत भी ठीक नहीं है। लिहाज़ा एक निकाय गठित कर इनके मुकम्मल पुनर्वास की बात की गई है।" वे कहते हैं कि बीजेपी ने इन विस्थापितों के लिए कुछ नहीं किया। इस पर बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर पलटवार किया है।
 
 
त्रिवेदी ने बीबीसी से कहा, "कांग्रेस ने पाकिस्तान से आए हिन्दू और सिख समुदाय के लोगों के काम में रोड़े अटकाए। चूंकि राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए नागरिकता क़ानून में बदलाव नहीं हो सका। फिर भी सरकार ने वीज़ा नियमों में बदलाव कर इन विस्थापितों के लिए लम्बी अवधि का वीज़ा दिया। अब वे पैन कार्ड ले सकते है, नौकरी कर सकते है, ज़मीन-जायदाद ख़रीद सकते हैं। यानी वोटिंग को छोड़कर उन्हें सभी सहूलियतें दी गई हैं।"
 
 
सुधांशु त्रिवेदी कहते है कि 'बीजेपी इस मुद्दे पर पूरी तरह संवेदनशील है और जो भी ज़रूरी होगा, किया जाएगा।" बीजेपी प्रवक्ता त्रिवेदी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहते हैं, "मैं पूछना चाहता हूं उन लोगों से, जिनका दिल बांग्लादेशी घुसपैठियों और बर्मा के रोहिंग्या मुसलमानों के लिए धड़कता है लेकिन पाकिस्तान से आए हिन्दू और सिखों के लिए उन्होंने न कुछ कहा, न किया।"
 
 
इन पाकिस्तानी हिन्दुओं का बसेरा राजस्थान के जोधपुर में है, जहां वे मुश्किल हालात में जीवन बसर कर रहे हैं। धरती दोनों तरफ़ एक जैसी है लेकिन एक कांटेदार बाड़ मरुस्थल पर दो देशों की सीमा रेखा बनाती है। उस तरफ़ भी सूरज की रौशनी है और हवा बहती है। मगर ये हिन्दू विस्थापित कहते हैं कि कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, कोई यूं ही अपना घर-मक़ाम नहीं छोड़ता।
 
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