- आलोक पुतुल (रायपुर से बीबीसी)
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने प्रदेश की रमन सिंह सरकार पर आरोप लगाया है कि 2013 में बस्तर में हुए माओवादी हमले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं समेत 28 लोगों की मौत में वो शामिल थी। भूपेश बघेल ने कहा, "बस्तर के झीरम में कांग्रेस नेताओं पर माओवादी हमले से पहले सरकार ने करोड़ों रुपए भिजवाए थे, इस बात की पक्की सूचना मेरे पास है। अगर सरकार इस मामले की सीबीआई जांच करवाए तो मैं सारे सबूत पेश करने के लिये तैयार हूं।"
लेकिन रमन सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है, "अगर भूपेश बघेल के पास सबूत हैं तो वे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को शपथ पत्र दें, जो इस मामले की जांच कर रही है।" रमन सिंह ने आगे कहा, "भूपेश बघेल हिम्मत दिखाएं। कांग्रेस की एनआईए के सामने एक पर्ची देने तक की हिम्मत नहीं है।"
राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा ने भी कहा, "अगर भूपेश बघेल के पास झीरम घाटी घटना के संबंध में कोई भी सबूत है तो वे उसे एनआईए के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। एनआईए उस साक्ष्य के आधार पर दूसरा पूरक चालान न्यायालय में प्रस्तुत कर सकती है।"
घटना : 25 मई 2013 को बस्तर के दरभा-झीरम इलाके से गुज़र रही कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर संदिग्ध माओवादियों ने हमला किया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर के आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा समेत 28 लोग मारे गये थे। देश में किसी राजनीतिक दल पर माओवादियों का यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था।
कांग्रेस पार्टी अभी तक इस मामले में राजनीतिक षड्यंत्र का आरोप लगाती रही है और इस दृष्टिकोण से जांच की मांग भी करती रही है। लेकिन बीते शनिवार को अंबिकापुर जेल में बंद एक पूर्व स्पेशल पुलिस अफ़सर अभय सिंह मार्को से मुलाकात के बाद भूपेश बघेल ने दावा किया कि सरकार और माओवादियों के बीच सांठगांठ के सबूत अभय सिंह के पास हैं, इसलिए उन्हें पुलिस ने झूठे मामलों में फंसा कर जेल भेज दिया है।
भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें नहीं चाहतीं कि झीरम कांड की सीबीआई जांच हो। क्यों नहीं चाहतीं, इसकी वजहें साफ है। बघेल ने सवाल उठाया कि उसी दौरान बस्तर में मुख्यमंत्री की विकास यात्रा के लिए 1700 से अधिक जवान सुरक्षा के लिए तैनात थे और कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के लिए सिर्फ 138 जवानों की तैनाती क्यों थी?
भूपेश बघेल बोले, "रमन सिंह जानते हैं कि इन सवालों के जवाब उनकी सरकार को बेनकाब कर देंगे। इसलिए वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, सीबीआई जांच को टाल रहे हैं।" भूपेश बघेल ने ये भी आरोप लगाया कि झीरम हमले समेत माओवादियों और पुलिस के बीच सांठगांठ की पूरी जानकारी पूर्व एसपीओ अभय सिंह मार्को को है इसलिए जेल में अभय सिंह मार्को को इंजेक्शन देकर बीमार कर दिया गया है।
कौन है अभय सिंह : 2002 से छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ माओवाद प्रभावित सरगुजा में काम करने का दावा करने वाले अभय सिंह मार्को को अलग-अलग अवसरों पर तीन आईजी समेत कई अफसरों ने काम के लिए सराहना की है। लेकिन 2013 में अभय सिंह ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया कि पुलिस के कुछ शीर्ष अधिकारियों और माओवादियों के बीच सांठगांठ है और यह रहस्य जान लेने के कारण उन्हें पुलिस के अफसरों और माओवादियों से खतरा पैदा हो गया है।
हाईकोर्ट के बंद कमरे में हुई इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने अभय सिंह को नियमानुसार सुरक्षा देने और उनके आरोपों की जांच के निर्देश राज्य सरकार को दिए। इस बीच अभय सिंह के ख़िलाफ पुलिस ने कुछ आपराधिक मामले दर्ज किए और गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया।
अभय सिंह के वकील सतीश चंद्र वर्मा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने जांच के बाद आई रिपोर्ट को यह कहते हुए आज तक सार्वजनिक नहीं किया है कि इससे राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है।
इस मामले में राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों से जब हमने उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने ये कहते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि मामला अदालत में विचाराधीन है।