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Written By BBC Hindi
Last Modified: रविवार, 4 जुलाई 2021 (09:06 IST)

मध्य प्रदेश: रिकॉर्ड वैक्सीनेशन के दावे पर उठे कई सवाल, क्या है सच

मध्य प्रदेश: रिकॉर्ड वैक्सीनेशन के दावे पर उठे कई सवाल, क्या है सच - Madhya Pradesh : questions raised on record vaccination claim
शुरैह नियाज़ी, भोपाल से बीबीसी हिंदी के लिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बीती 21 जून को नई वैक्सीन नीति लागू की और इसी दिन मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड 17 लाख 44 हज़ार कोरोना टीके लगाए गए।
 
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक देश में उस दिन कुल 88 लाख से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगा था। टीके लगाने के मामले में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर रहा।
 
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अपने 'नंबर-वन' होने का ख़ूब प्रचार भी किया। लेकिन फिर चंद दिनों में ही रिकॉर्ड की असलियत सामने आने लगी।
 
रिकॉर्ड पर सवाल उठाने वाली कई शिकायतें सामने आने लगीं। मसलन 13 साल के किशोर को 56 का अधेड़ बना दिया गया और संदेश भी भेज दिया गया कि आपका वैक्सीनेशन हो गया है। वहीं एक ही व्यक्ति का टीकाकरण तीन नामों से हुआ।
 
प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री विश्वास सारंग इन आरोपों से बहुत चिंतित नहीं दिखते। पूछने पर बस इतना कहते है, 'जांच करा ली जाएगी'।
 
'रिकॉर्ड बनने वाले दिन' यानी 21 जून को ही भोपाल निवासी रजत डेंगरे को मोबाइल पर मैसेज मिला कि उनके बेटे वेदांत डेंगरे का वैक्सीनेशन कामयाब रहा। लेकिन वेदांत महज़ 13 साल के हैं और सरकार ने अभी 18 साल से कम उम्र के लोगों के टीकाकरण का काम शुरु ही नहीं किया है। रजत डेंगरे ने पोर्टल से टीकाकरण हो जाने का प्रमाण पत्र भी डाउनलोड किया।
 
रजत डेंगरे बताते हैं कि उन्होंने अपने पुत्र के किसी और काम के सिलसिले में नगर निगम में उसकी पहचान के दस्तावेज़ जमा किए थे। उनके मुताबिक़ शायद उन्हीं दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर उनके बेटे को टीके का प्रमाण पत्र दे दिया गया है।
 
रजत डेंगरे अब उस प्रमाण पत्र को निरस्त करने के लिए दफ़्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने उनसे कहा कि कि ऐसा कर पाना मुश्किल है। हालांकि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि जब बच्चों का टीकाकरण शुरु होगा तो उनके पुत्र को वैक्सीन लगा दी जाएगी।
 
रजत के पुत्र वेदांत ने बताया, "मैसेज के हिसाब से मेरी उम्र 56 साल बताई गई है।" उस मैसेज में उनका पता भी कहीं और का है।
 
अमिताभ पांडेय को वैक्सीन लगने का मैसेज 22 जून को मिला, लेकिन उसमें उनका नाम अमिताभ पांडेय नहीं भूपेंद्र कुमार जोशी लिखा हुआ था।
 
संदेश में लिखा गया था कि उन्हें वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी है। जबकि अमिताभ पाण्डेय ने पहली वैक्सीन अप्रैल में लगवाई थी और अभी उन्हें दूसरी डोज़ लगनी बाकी है। हंसते हुए वो कहते हैं, "मुझे नहीं पता कब मेरा नाम अमिताभ पाण्डेय से भूपेंद्र कुमार जोशी हो गया!" उनके मुतबिक़, 21 जून को वैक्सीनेशन के लिए न तो वो कहीं गए थे और न ही उनके परिवार का कोई व्यक्ति गया था।
 
लोगों की शिकायत
भोपाल शहर की नुज़हत को भी वैक्सीन लगने का मैसेज मिला, जबकि उन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है। नुज़हत कहती है, "इस तरह की हेराफेरी से बहुत नुक़सान है। बहुत से लोग वैसे ही वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते हैं। जिन्हें ऐसे मैसेज आये होंगे वो आगे भी टीका नहीं लगवायेंगे क्योंकि उनके पास सबूत के तौर पर सार्टिफिकेट मौजूद है।"
 
राजधानी भोपाल से दूर भी हालात कुछ अलग नहीं। सतना में चयनेंद्र पांडेय नाम के व्यक्ति को मोबाइल पर तीन मैसेज मिले। तीन अलग-अलग नामों से। पहला मैसेज कालिंदी के नाम से, दूसरा चंदन और तीसरा कातिक राम के नाम से। जिसमें बताया गया कि उन्हें वैक्सीन की डोज़ मिल गई है। जबकि चयनेंद्र पांडेय ने अब तक वैक्सीनेशन नहीं कराया है।
 
वैक्सीनेशन के काम को देख रहे भोपाल क्षेत्र के इंचार्ज संदीप केरकट्‌टा इन बातों के जवाब में कहते हैं, "हम इन मामलों को देख रहे हैं कि यह हुआ कैसे? इसकी जांच कराई जा रही है उसी के बाद बताया जा सकता है कि क्या हुआ?"
 
विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा कहते हैं, "रिकॉर्ड के चक्कर में सरकार को लोगों की जान की भी परवाह नहीं है। बेहतर यह है कि सरकार ईमानदारी से लोगों को वैक्सीन लगवाये ताकि कोरोना की तीसरी लहर से बचा जा सके।"
 
प्रदेश के चिकित्सा, शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग इन आरोपों पर बस इतना कहते हैं कि मामले की जांच करायी जाएगी।
 
स्वयंसेवी संस्था जन स्वास्थ्य अभियान के संयोजक, अमूल्य निधि का कहना है कि वैक्सीनेशन जैसे अभियान में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है और 'सरकार ने वैक्सीनेशन को ही अंतिम हथियार मान कर पूरे स्वास्थ्य अमले को रिकॉर्ड बनाने के लिये लगा दिया है।'
 
उनका मानना है कि मास्क पहनना, अस्पतालों में दवाई और उपकरणों की व्यवस्था जैसी चीज़ों पर सरकार को ध्यान देने की ज़रूरत है तभी कोरोना पर जीत मिल सकेगी।
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