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Last Modified: मंगलवार, 31 जुलाई 2018 (10:43 IST)

हर भारतीय के डीएनए में है सिर हिलाने का यह बर्ताव

हर भारतीय के डीएनए में है सिर हिलाने का यह बर्ताव | indian head wobble
- चारुकेसी रामादुराई (बीबीसी ट्रैवल)
 
तमिलनाडु के तंजावुर शहर में सड़कों पर अक्सर आप को सिर हिलाने वाले खिलौने बिकते दिख जाएंगे। तमिल भाषा में इन्हें 'तंजावुर थलायात्ती बोम्मई' कहते हैं। इसका मतलब होता है, 'तंजावुर की सिर हिलाने वाली गुड़िया'।
 
 
चटख रंगों वाले ये खिलौने आम तौर पर किसी क्लासिकल डांसर के होते हैं या फिर बुज़ुर्ग दंपति। इस खिलौने के दो हिस्से होते हैं। एक हिस्सा पूरा शरीर होता है। और दूसरा हिस्सा इसका सिर, जो स्प्रिंग से धड़ से जुड़ा होता है।
 
 
सिर को हल्का सा भी छू लें, या हवा का झोंका आए, तो बड़ी तेज़ी से सिर गोल-गोल हिलने लगते हैं। हमारे देश में सिर हिलाकर संवाद करने की परंपरा की ये सबसे अच्छी नक़ल है। दूसरे देशों से आने वाले लोग अक्सर हमारी सिर हिलाने वाली आदत से पशोपेश में पड़ जाते हैं।
 
 
भारत आने वाले सभी सैलानी इस बात से परेशान हो जाते हैं, जब हम सिर हिलाकर संवाद करते हैं। भारतीयों का सिर हिलाना विदेशियों के लिए बहुत बड़ी पहेली है। ये हां या ना में सिर हिलाना ही नहीं होता। अक्सर गले के इशारे से हम बहुत सी बातें कह जाते हैं। जो न इनकार होती हैं और न ही इक़रार।
 
 
इंडियन हेड वॉबल
अंग्रेज़ी में इसे इंडियन हेड वॉबल (Indian Head Wobble) के नाम से जानते हैं। हिदुस्तानियों का सिर हिलाना एक झटके वाला संकेत नहीं होता। कई बार लोग लंबे वक़्त तक दाएं-बाएं सिर हिलाते रहते हैं। समझ ही नहीं आता कि वो क्या कह रहे हैं। रज़ामंदी जता रहे हैं या इनकार कर रहे हैं। सहमति है या इनकार है। 
 
 
मुंबई में गाइड का काम करने वाली प्रिया पाथियान कहती हैं कि अक्सर लोग सिर घुमाकर आठ का निशान बनाते हैं। इसका कोई भी मतलब निकाला जा सकता है।
 
 
इंटरनेट पर भारतीयों के इस सिर हिला कर संकेत देने की आदत पर तमाम पेज भरे पड़े हैं। इसके अलावा वीडियो भी हैं, जो भारत आने वाले सैलानियों की मदद के लिए नेट पर डाले गए हैं। यू-ट्यूब पर सर्च करें, तो दर्जनों देसी-विदेशी विशेषज्ञ इस 'इंडियन नॉडिंग' (Indian Nodding) को विस्तार से समझाते दिख जाएंगे। हालांकि, कोई भी इसे पूरी तरह से समझने या समझाने में अब तक नाकाम रहा है। कुछ साल पहले ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो गया था। एक हफ़्ते में ही उसे दस लाख से ज़्यादा लोगों ने देख डाला था।
 
 
सिर हिलाने का आख़िर मतलब क्या होता है? इसका मतलब साफ़ हां होता है? या ये इनकार करने का तरीक़ा है? असमंजस को बयां करता है? या फिर, इससे ग़ुस्से का इज़हार होता है?
 
 
पूरी बात का संदर्भ समझे बिना इस सिर हिलाने का मतलब बता पाना बहुत मुश्किल है। प्रिया पाथियान कहती हैं कि अक्सर सिर हिलाने का मतलब हां होता है। इसके ज़रिए आम भारतीय अपने दोस्ताना बर्ताव को ज़ाहिर करते हैं और सामने वाले के प्रति सम्मान भी जताते हैं। अब अगर आप को पूरी बात पता नहीं है, तो सिर हिलाने का ठीक-ठीक मतलब समझना मुश्किल है।
 
 
ब्रिटिश मूल की अमेरिकी यात्रा लेखक मार्गोट बिग ने भारत में पांच साल से ज़्यादा का वक़्त गुज़ारा है। उन्होंने भारत आने वाले सैलानियों के लिए गाइडबुक्स लिखी हैं। उनका मानना है कि भारत में लोगों के तमाम तरह से सिर हिलाने के अलग-अलग मायने होते हैं, 'एक तरफ़ सिर झुकाकर हिलाने का मतलब हां होता है या फिर इससे चलने का भी इशारा होता है। वहीं आगे-पीछे कुछ देर तक सिर हिलाने का मतलब ये होता है कि बात समझ में आ गई है।'
 
 
मेरा ख़ुद का तजुर्बा ये है कि जितनी तेज़ सिर हिलाया जाएगा, उसका मतलब हुआ उतनी तेज़ी से रज़ामंदी ज़ाहिर की जा रही है। भौंहे चढ़ाकर सिर हिलाने का मतलब ये हुआ कि फटाफट आप की बात मान ली गई है। वहीं दूसरी तरफ़ इसका मतलब ये भी हो सकता है कि 'जो तुम कह रहे हो तो ठीक ही है'। ये ठीक उसी तरह है जैसे कंधे उचकाकर लोग ये इशारा करते हैं कि उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता।
 
 
क्या यह आदत सांस्कृतिक विरासत है?
लेकिन, हम अगर ये समझते हैं कि ये भारतीयों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिलने वाली अनोखी आदत की सांस्कृतिक विरासत है, तो सिर हिलाने की परंपरा को एक दायरे में बांधना होगा। मशहूर संस्कृति विशेषज्ञ गीर्त हॉफस्टेड ने तमाम देशों के सांस्कृतिक नियमों पर विस्तार से रिसर्च की थी। इसके नतीजे चौंकाने वाले थे।
 
 
सत्ताधारी से दूरी के मानकों में भारत को 77 नंबर मिले थे। इसका मतलब ये है कि किसी देश के लोग अपने समाज में सत्ता को लेकर भेदभाव को किस हद तक बर्दाश्त करते हैं। जबकि दुनिया का औसत था 56.5. यानी हमारे देश में लोग ऊंच-नीच को बहुत मानते हैं। ताक़तवर लोगों के सामने सम्मान से सिर झुकाने में भारतीय आगे हैं। अपने से ऊंचे दर्जे के शख़्स से बात करते वक़्त, इनकार में बहुत कम ही सिर हिलाते हैं।
 
ये भारतीयों की तरबीयत, परंपरा का हिस्सा
हम भारतीयों की तरबीयत (परवरिश) ऐसी होती है कि हमें आज्ञाकारी और विनम्र होना बचपन से ही सिखाया जाता है। ख़ास तौर से मेहमानों और अपने से ज़्यादा उम्र के लोगों के प्रति सम्मान दिखाना तो हमारी परंपरा का अहम हिस्सा है।
 
 
मेहमानों और बुज़ुर्गों को सीधे तौर पर ना बोलने से हम लोग बचते हैं। हम कभी बुदबुदाते हैं, अनिश्चितता भरी मुस्कुराहट चेहरे पर ओढ़ लेते हैं। असमंजस में सिर हिलाते हैं। इन सभी का मतलब ये होता है कि हम पक्के तौर पर इनकार नहीं करना चाहते।
 
 
सिर हिलाने का यही मतलब होता है। दुविधा की स्थिति को बयां करना। और ये तरीक़ा बहुत असरदार साबित हुआ है अब तक। चेन्नई के लेखक प्रदीप चक्रवर्ती कहते हैं कि इस सिर हिलाने की आदत से हम भारतीय अक्सर हां या ना के बीच का रास्ता निकाल लेते हैं। रिश्तों में किसी मुश्किल परिस्थिति में सहयोग का एक रास्ता खुला छोड़ देते हैं।
 
 
प्रदीप के मुताबिक़, 'हमारा देश कृषि प्रधान रहा है। ऐसे समाज में आप किसी को भी खुले तौर पर इनकार का जोखिम नहीं ले सकते। क्या पता कब आप को उससे काम निकल आए। सीधे इनकार करने का मतलब रिश्ते पर पूर्ण विराम लगाना है।'
 
 
मुश्किल होता है भारतीयों के लिए 'ना' करना
प्रदीप चक्रवर्ती बात को विस्तार से समझाते हुए कहते हैं कि भारतीय समाज में ऊंच-नीच बहुत ज़्यादा है। ऐसे में हम भारतीय कई बार ऐसे हालात में फंस जाते हैं, जब सीधे से मना करना मुश्किल होता है। बॉस के साथ संवाद हो, घर के बड़ों की बात हो या समाज के नेताओं के साथ बातचीत हो, कई बार हालात ऐसे बनते हैं कि ना नहीं कहा जा सकता।
 
 
ऐसे मामलों में अस्पष्ट तौर पर सिर हिलाकर हम सीधे तौर पर ना कहने से भी बच जाते हैं। और जिस बात से सहमत नहीं हैं, उस पर रज़ामंदी देने से भी बच निकलते हैं। अब सामने वाला समझता रहे, जो उसको समझना हो!...प्रदीप चक्रवर्ती कहते हैं कि, 'मुझे पता है कि मैं नहीं कर सकता, लेकिन मैं ना भी नहीं कह सकता। इसलिए सीधे तौर पर इनकार करने के बजाय मैं सिर हिलाकर थोड़ा वक़्त लेना चाहता हूं।'
 
 
सिर हिलाकर संवाद, ख़ुश करने का तरीक़ा
दर्जों में बंटे हमारे समाज में सिर हिलाकर संवाद, सबको ख़ुश करने का तरीक़ा माना जा सकता है। लेकिन कई बार लोग इस तरीक़े से बात कहने पर कनफ्यूज़ होते हैं। परेशान होते हैं। विदेशी तो अक्सर समझ नहीं पाते हैं। भारत में काम करने वाले विदेशी भी इस मुश्किल से दो-चार होते हैं। टूरिस्ट जब दुकानदारों से ख़रीदारी कर रहे होते हैं, तो अक्सर वो सामने वाले के संकेत समझ ही नहीं पाते। कई बार तो हम भारतीय भी सिर हिलाने का मतलब नहीं समझ पाते।
 
 
अब इस बारे में चाहे जितने वीडियो बने हों, इंटरनेट के पन्ने रंगे गए हों, मगर सिर हिलाने का राज़ पूरी तरह से समझना बहुत बड़ी चुनौती है। कई बार मैं ख़ुद सिर हिलाते लोगों से चीख कर पूछना चाहती हूं कि आख़िर तुम कहना क्या चाहते हो?
 
 
अमेरिकी टीवी सीरियल आउटसोर्स्ड में तो बाक़ायदा इस मसले पर चर्चा दिखाई गई है। अब आप इसे पसंद करें, या नापसंद करें या फिर झुंझलाएं। लेकिन आप भारतीयों के सिर हिलाकर बात करने के तरीक़े की अनदेखी नहीं कर सकते। भारत आने वाले बहुत से विदेशी तो इसकी नक़ल भी करने लगते हैं।
 
 
बेंगलुरु की रहने वाली पत्रकार अनीता राव काशी कहती हैं कि ये बर्ताव हर भारतीय के डीएनए में है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमें विरासत में मिलता आया है। मार्गोट बिग ख़ुद भी मानती हैं कि जब भी वो हिंदी बोलती हैं, तो, जाने-अनजाने सिर हिलाने लगती हैं। कई बार लोग उन्हें टोकते भी हैं। लेकिन अब वो उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन गया है।
 
 
भारत में ज़िंदगी बिताने के अपने तजुर्बे से मैं एक सलाह सब को दूंगी। जब भी आप किसी को सिर हिलाकर बात करते देखें, तो आप भी उसी तरीक़े से बात करें। हो सकता है कि आपकी उस शख़्स से ज़िंदगी भर की दोस्ती गंठ जाए।
 
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