• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. India Pakistan Match
Written By
Last Modified: सोमवार, 12 जून 2017 (11:53 IST)

ब्लॉग: '...फ़ाइनल में भारत को हरा के मुझे ख़ुश कर दे'

ब्लॉग: '...फ़ाइनल में भारत को हरा के मुझे ख़ुश कर दे' - India Pakistan Match
- वुसतुल्लाह ख़ान (पाकिस्तान से)
 
पूल मैच में जो दिल भारत ने पाकिस्तान को हरा के तोड़ दिया था वो ही दिल श्रीलंका ने भारत को सात विकेटों से हरा के जोड़ दिया। अब बस इतना और हो जाए कि आज पाकिस्तान श्रीलंका से जीत के सेमी फ़ाइनल में पहुंच जाए। भले डकवर्थ-लुइस फ़ॉर्मूला ही क्यों न लगाना पड़े।
 
सच्ची बात तो ये है कि मुझे इस फ़ॉर्मूले के बारे में कद्दू कुछ नहीं पता, मगर इतना सुना है कि ये फ़ॉर्मूला बारिश के बाद खेले जाने वाले ओवर्स पर लागू होता है और साउथ अफ्रीका को हराने में यही फ़ॉर्मूला पाकिस्तान के काम आया था।
 
अगर पाकिस्तान आज श्रीलंका को भी डकवर्थ-लुइस करके सेमी फ़ाइनल में और फिर सेमी फ़ाइनल में इंग्लैंड को रौंदता हुआ फ़ाइनल तक पहुंच गया और दूसरी ओर से भारत बांग्लादेश को मारता हुआ फ़ाइनल में आ गया तो पाकिस्तान के पास पूल मैच में अपनी हार का बदला लेने और भारत को फ़ाइनल में चित करने का एक आखिरी शानदार मौका होगा।
 
बस भारत हार जाए
इसके बाद बस इतना हो जाए कि फ़ाइनल में भारत की इनिंग्स मुक्कमल होते ही सावन ऐसा टूट के बरसे कि ग्राउंड में घुटने-घुटने पानी खड़ा हो जाए और फिर पाकिस्तान बस दो ओवर्स खेले और भारत के तीन सौ से अधिक सूखे रन के मुक़ाबले में बस 15 गीले रन बनाए और डकवर्थ-लुइस फ़ॉर्मूले के अनुसार एवरेज़ रनरेट पर विजेता हो जाए।
 
अगर ये नहीं हो सकता तो कुछ ऐसा हो जाए कि श्रीलंका आज का मैच पाकिस्तान से जीत के सेमी फ़ाइनल में इंग्लैंड को हरा के फ़ाइनल में भारत को हरा दे। या फिर श्रीलंका आज पाकिस्तान को हरा के सेमी फ़ाइनल में इंग्लैंड से हार जाए और फिर इंग्लैंड फ़ाइनल में भारत को हरा के मुझे ख़ुश कर दे।
 
या फिर सेमी फ़ाइनल में बांग्लादेश भारत को हरा के फ़ाइनल में भले किसी से भी हार जाए, मुझे कोई दुख न होगा। या फिर की कुछ ऐसा हो जाए कि जिस दिन बांग्लादेश और भारत का सेमी फ़ाइनल हो उस दिन बाढ़ आ जाए और फिर ये बाढ़ अगले एक हफ्ते तक न रुके और फ़ाइनल ही कैंसिल करना पड़ जाए। हमारे जैसे करोड़ों और हैं यूं भारत के फ़ाइनल में पहुंचकर जीतने का चांस भी बाढ़ में बह जाएगा।
 
अब आप कहेंगे कि मैं कितनी घटिया सोच रखता हूं। मुझे क्रिकेट से नहीं बस इससे दिलचस्पी है कि किसी तरह भारत न जीते। हां ऐसा ही है। हां मैं घटिया हूं। मगर मैं अकेला नहीं। मेरे जैसे करोड़ों हैं जो लाहौर, कराची, इस्लामाबाद, मुंबई, दिल्ली, कुरुक्षेत्र और लखनऊ में इसी तरह सोचते हैं।
 
वो और जेंटलमैन होंगे जो क्रिकेट के मैदान में जूस-चिप्स और सेब वगैरह लेकर सिर्फ क्रिकेट एंज्वॉय करते होंगे। हम तो भैया अपने साथ 70 साल का कूड़ा क्रिकेट लेके ग्राउंड में जंग देखने और करने जाते हैं और घर में टीवी के सामने भी बैठे हों तो हमारे ग्लास में जूस नहीं ज़हर भरा होता है। आप अपनी श्यानपत्ती अपने लिए बचा के रखो। हम ऐसे ही थे। हैं और रहेंगे।
 
ओम पुरी से और क्या चाहिए...? बाबा जी का ठुल्लू!
ये भी पढ़ें
बीबीसी विशेष: जहां सब्ज़ी से सस्ती हैं मशीनगन की गोलियां